
राजनीतिक दल परिवारवाद से दूर रहने की भले ही कितनी ही बातें कर लें, लेकिन हर चुनाव में इसकी झलक देखने को मिल जाती है. यूपी में विधान परिषद के लिए हुए 36 सीटों पर हुए चुनाव में जीते कुछ चेहरे ऐसे हैं, जो न सिर्फ एक दूसरे से पूरी तरह जुड़े हैं, बल्कि एक ही परिवार का हिस्सा हैं. अब विधानमंडल के सत्र के दौरान विधानभवन में ये चेहरे एक साथ नजर आएंगे.
पिता-पुत्र विधान परिषद पहुंचे
यूपी में विधान परिषद के चुनाव से ऐन पहले एमएलसी यशवंत सिंह को पार्टी से निष्कासित कर दिया गया. वजह थी कि यशवंत सिंह आजमगढ़ सीट पर बीजेपी के घोषित प्रत्याशी के खिलाफ अपने बेटे विक्रांत सिंह की चुनाव में मदद कर रहे थे. विक्रांत सिंह बीजेपी से टिकट मांग रहे थे और उनके मुताबिक उन्होंने पार्टी के ही संकेतों पर चुनाव की तैयारी भी कर ली थी. लेकिन पार्टी ने उनको टिकट नहीं दिया. चुनाव के नतीजे आए तो बागी होकर निर्दलीय चुनाव लड़े और जीत हासिल की.
अब बीजेपी के एमएलसी यशवंत सिंह और उनके बेटे निर्दलीय एमएलसी एक साथ एक ही सदन (विधान परिषद) में बैठेंगे. यशवंत सिंह 2018 में विधान परिषद सदस्य चुने गए थे. अब दोनों विधान परिषद में साथ बैठेंगे. वैसे सूत्र तो ये भी बताते हैं कि जल्द ही यशवंत सिंह का निष्कासन भी वापस हो सकता है. ऐसे में फिर पिता-पुत्र एक ही पार्टी से एक सदन में बैठेंगे. विक्रांत सिंह ने अपनी जीत के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ में आस्था जतायी थी तो यशवंत सिंह ने भी ये कहा था की निष्कासन पर किसी ने उनसे संपर्क नहीं किया.
अलग-अलग सदनों में चचेरे भाई
इस बार यूपी में विधानमंडल का सत्र एक चचेरे भाइयों के लिए भी खास होगा. राजा भैया हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में विधायक बने हैं तो वहीं उनके चचेरे भाई अक्षय प्रताप सिंह ‘गोपाल जी’ उनकी पार्टी जनसत्ता दल से विधान परिषद पहुंचे हैं. लखनऊ से लेकर कुंडा तक हमेशा साथ दिखने वाले राजा भैया और अक्षय प्रताप भी एक साथ दिखेंगे.
वहीं, पारिवारिक टीम में द्विवेदी परिवार भी शामिल हो गया है. मेजर सुनील दत्त द्विवेदी फर्रुखाबाद सदर सीट से बीजेपी के विधायक हैं. सुनील दत्त बीजेपी के कद्दावर नेता रहे स्व. ब्रह्मदत्त द्विवेदी के बेटे हैं, जिनकी हत्या 1997 में हुई थी. सुनील दत्त द्विवेदी के सगे चाचा डॉ. हरिदत्त द्विवेदी के बेटे और भाजयुमो यूपी के अध्यक्ष प्रांशु दत्त द्विवेदी को इस बार बीजेपी ने एटा-फर्रुखाबाद सीट से एमएलसी के लिए टिकट दिया था. प्रांशु दत्त ने जीत हासिल कर विधान परिषद जा रास्ता तय किया. अब विधानमंडल के सत्र में दोनों भाई विधान भवन पहुंचेंगे.
अंसारी और आजम परिवार
इधर, विधानमंडल के सत्र में एक ही सदन (विधानसभा) में अंसारी परिवार की दूसरी पीढ़ी के दो सदस्य अब्बास अंसारी और सुहैब अंसारी ‘मुन्नु अंसारी’ साथ बैठेंगे. मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी मऊ से तो मुन्नु अंसारी मोहम्मदाबाद से विधायक हैं. अगर आजम खान को आने वाले दिनों में जमानत मिल जाती है तो पिता-पुत्र की जोड़ी भी विधानसभा में दिखेगी. आजम खान और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम दोनों विधानसभा के लिए चुने गए हैं.