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उपराष्ट्रपति चुनाव टोकन फाइट नहीं, ये बदलाव का वक्त, विपक्ष की VP कैंडिडेट मार्गरेट अल्वा बोलीं

विपक्ष की उप राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा ने कहा कि यह चुनाव संविधान के मूल्यों को बनाए रखने के लिए लड़ा जा रहा है, मैं करीब 20 पार्टियों की ओर से चुनाव लड़ रही हूं. ये बदलाव का समय है. ये हमारे लिए प्रतीकात्मक लड़ाई नहीं हैं. विपक्ष के सदस्य मूल्य वृद्धि पर चर्चा की मांग कर रहे हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि सरकार ने एजेंडे में क्या रखा है? क्या देश में खेलों का मुद्दा ऐसा है जिस पर चर्चा होनी चाहिए.

मार्गरेट अल्वा (फाइल फोटो) मार्गरेट अल्वा (फाइल फोटो)
राजदीप सरदेसाई
  • नई दिल्ली,
  • 02 अगस्त 2022,
  • अपडेटेड 11:58 PM IST

उप राष्ट्रपति चुनाव 6 अगस्त को होने हैं. भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल जगदीप धनखड़ को अपना उम्मीदवार बनाया है. जबकि विपक्ष ने मार्गरेट अल्वा को अपना उम्मीदवार बनाया है. मार्गरेट अल्वा ने कहा कि ये हमारे लिए प्रतीकात्मक लड़ाई कतई नहीं हैं. मैं करीब 20 पार्टियों की ओर से चुनाव लड़ रही हूं. उन्होंने कहा कि इस समय देश में 'अनौपचारिक आपातकाल' लगा हुआ है. ये बदलाव का समय है. ये टोकन फाइट नहीं है. 

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इंडिया टुडे/आजतक से बातचीत करते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री मार्गरेट अल्वा ने कहा कि यह चुनाव संविधान के मूल्यों को बनाए रखने के लिए लड़ा जा रहा है, जिसके लिए हम सभी प्रतिबद्ध हैं. साथ ही हमारे लोकतांत्रिक संस्थानों की नींव की रक्षा के लिए चुनाव लड़ा जा रहा है, जो इन दिनों जबरदस्त दबाव में हैं.  

यह पूछे जाने पर कि वह चुनाव क्यों लड़ रही हैं. इस पर उन्होंने कहा कि सरकार ने जो विकल्प पेश किया है, वह देखें. बंगाल में जो हुआ वह चिंतित करने वाला है. मार्गरेट अल्वा ने कहा कि जीत या हार मुद्दा नहीं है. लोकतंत्र में चुनाव में आप इसलिए लड़ते हैं, क्योंकि आप किसी चीज में विश्वास करते हैं.

TMC के समर्थन को लेकर कही ये बात
 

तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने आगामी उपराष्ट्रपति चुनाव में वोटिंग से परहेज किया है. इस सवाल पर अल्वा ने कहा कि देखते हैं क्या होता है. उन्होंने कहा कि मुझे विश्वास है कि ममता बनर्जी ने विपक्षी एकता का नेतृत्व किया है. ममता बनर्जी का अपना एजेंडा है. उन्होंने कहा कि आप सिद्धांतों, एजेंडे और वोटर्स के सामने अपनी बात रखते हुए चुनाव लड़ते हैं. यही हम एकजुट विपक्ष के रूप में कर रहे हैं.

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मूल्य वृद्धि है विपक्ष का मुद्दा 


अपने एजेंडे के बारे में बात करते हुए मार्गरेट अल्वा ने कहा कि संसद में अपनी बात रखने वाले हर सदस्य के अधिकार का सम्मान करना होता है. मार्गरेट अल्वा ने कहा कि विपक्ष और सरकार को एक साथ लाने की प्राथमिक जिम्मेदारी सभापति की होती है. इस सत्र के दौरान मूल्य वृद्धि एक मुद्दा है. विपक्ष के सदस्य मूल्य वृद्धि पर चर्चा की मांग कर रहे हैं. क्या आप जानते हैं कि सरकार ने एजेंडे में क्या रखा है? क्या देश में खेलों का मुद्दा ऐसा है जिस पर चर्चा होनी चाहिए. 

अल्वा ने पूछा- ऐसे संसद कैसे चलेगी
 

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सरकार एक कोड लेकर आई है कि संसद में कुछ शब्दों का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है. इंदिरा गांधी के शासनकाल में ऐसी चीजें नहीं थीं. उन्होंने भाजपा पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब लोगों को बोलने की अनुमति नहीं है, तो संसद क्या चलेगी. अल्वा ने कहा कि मैं 30 साल से संसद के सदन में हूं. मैंने मुद्दों को उठाया है. कई बहसें की हैं. सरकार इन्हें साथ टाल सकती है, लेकिन क्या इसका मतलब ये है कि आप विपक्ष को चुप करा सकते हैं. क्या ये सही है कि उन्हें सदन से बाहर निकाल दो या उन्हें निलंबित कर दो.
 
दक्षिण के मुद्दे पर ये कहा

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अल्वा ने कहा कि दक्षिणी राज्य आज एक तरह से भेदभाव महसूस करते हैं. ऐसा लग रहा था कि दक्षिण को दिल्ली में आवाज उठाने की जरूरत है. दूसरी तरफ, आप हिंदी के बारे में बात कर रहे हैं, मतलब अपनी बात थोप रहे हैं. 

फोन बंद करने के आरोप पर बोलीं अल्वा


सरकार के खिलाफ फोन टैपिंग के आरोपों के बारे में पूछे जाने पर मार्गरेट अल्वा ने कहा कि मेरे कॉल अजीब लोगों के पास जा रहे थे. एमटीएनएल के अध्यक्ष को हस्तक्षेप करना पड़ा और इस मुद्दे को हल करना पड़ा. 

संजय राउत के मुद्दे को लेकर बीजेपी पर निशाना


शिवसेना नेता संजय राउत की गिरफ्तारी पर उन्होंने कहा कि जैसे ही भ्रष्ट लोग भाजपा में शामिल होते हैं, वे वॉशिंग मशीन से धुल जाते हैं. उन्होंने कहा कि मैं ऐसे लोगों की लिस्ट दे सकती हूं. 

'लोगों को बोलने की आजादी नहीं'

कांग्रेस और बीजेपी शासन के बीच अंतर पर बोलते हुए मार्गरेट अल्वा ने कहा कि मुझे निश्चित रूप से लगता है कि संसद के अंदर और बाहर डर की भावना है. लोगों को बोलने की अनुमति नहीं है. लोग जो बोलते हैं या लिखते हैं उसके कारण लोग जेल में हैं. सार्वजनिक मंचों पर बोलने वालों पर देशद्रोह और यूएपीए लगाया जाता है. पुलिस एक राज्य से दूसरे राज्य में जाती है और लोगों को उठाती है. हम कैसे लोकतंत्र में रह रहे हैं. क्या आज आपातकाल घोषित कर दिया गया है और फिर लोगों को उठाया जाता है? आप सभी को चेतावनी दी जाती है. भविष्य की योजनाओं के बारे में पूछे जाने पर अल्वा ने कहा कि मुझे लगता है कि एक नागरिक के रूप में यह मेरा कर्तव्य है कि चीजें गलत होने पर उन पर बोलने में सक्षम होना चाहिए. मुझे नहीं लगता कि मुझे किसी भी तरह से सार्वजनिक दृष्टिकोण से प्रतिबंधित किया जा सकता है.

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