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नीतीश को इंडिया ब्लॉक के संयोजक के रूप में प्रपोज करना चाहती थीं पार्टियां, लेकिन हिंदी-हिंदुस्तान विवाद ने बिगाड़ दिया सारा गेम

विपक्षी दलों के इंडिया अलायंस की दिल्ली में चौथी बैठक सबसे ज्यादा चर्चा में है. इसकी कई वजहें हैं. पहली यही कि ममता बनर्जी ने अचानक मल्लिकार्जुन खड़गे को विपक्ष का चेहरा बनाने का प्रस्ताव रखकर चौंका दिया. दूसरा- बैठक में नीतीश कुमार ने 'हिंदी-हिंदुस्तान' विवाद पर खुलकर नाराजगी जताकर दूसरों को हैरान कर दिया. सूत्र बताते हैं कि इंडिया अलायंस के कुछ सहयोगी दल संयोजक के लिए बिहार के सीएम नीतीश कुमार का नाम प्रस्तावित करना चाहते थे. लेकिन, बाद में इस पर चर्चा नहीं हो सकी.

दिल्ली में इंडिया अलायंस की बैठक के दौरान कांग्रेस नेता सोनिया गांधी और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार. (फोटो- पीटीआई) दिल्ली में इंडिया अलायंस की बैठक के दौरान कांग्रेस नेता सोनिया गांधी और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार. (फोटो- पीटीआई)
अमित भारद्वाज
  • नई दिल्ली,
  • 27 दिसंबर 2023,
  • अपडेटेड 10:46 AM IST

19 दिसंबर को इंडिया अलायंस में शामिल सभी 28 पार्टियों की दिल्ली में चौथी बैठक हुई. इस बैठक में दो घटनाक्रमों ने सभी का ध्यान खींचा है. पहला- पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी की तरफ से पीएम फेस के लिए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का नाम प्रस्तावित करना और दूसरा- नीतीश कुमार का 'हिंदी-हिंदुस्तान' मुद्दे पर नाराज होना. सूत्रों के मुताबिक, नीतीश कुमार उस समय भड़क गए, जब डीएमके नेता टीआर बालू ने आरजेडी सांसद मनोज झा से बिहार के सीएम के भाषण का अंग्रेजी में अनुवाद देने का आग्रह किया था.

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सूत्रों के अनुसार, बिहार के मुख्यमंत्री ने ना सिर्फ आरजेडी सांसद मनोज झा की खिंचाई की, बल्कि बैठक में यह भी कहा कि हर किसी को 'हिंदुस्तान में हिंदी' आनी चाहिए. सीएम कुमार की भावनाओं के अचानक फूटने से इंडिया ब्लॉक के कई नेता हैरान रह गए. इस बीच, बैठक के एक हफ्ते बाद जनता दल (यूनाइटेड) के भीतर के घटनाक्रम से नीतीश कुमार पर हर किसी की निगाहें टिकी हैं. 

'नीतीश की नाराजगी के बाद आगे नहीं बढ़ सका प्रस्ताव'

इंडिया अलायंस में शामिल पार्टियों के शीर्ष सूत्रों ने बताया कि दिल्ली बैठक में कई वरिष्ठ नेताओं को इंडिया ब्लॉक के संयोजक पद के लिए नीतीश कुमार का नाम प्रस्तावित करना था. मीटिंग में मौजूद शीर्ष सूत्रों ने बताया कि ममता दीदी की तरफ से पीएम चेहरे के लिए मल्लिकार्जुन खड़गे का नाम प्रस्तावित करने के बाद अगली बड़ी रणनीति नीतीश कुमार को बड़ी भूमिका देने की थी. कुछ नेताओं का मानना था कि बिहार के मुख्यमंत्री का नाम इंडिया ब्लॉक के संयोजक पद के लिए प्रस्तावित किया जाएगा. लेकिन, नीतीश कुमार ने बैठक में 'हिंदी-हिंदुस्तान' विवाद को उठा दिया, जिसके बाद अन्य लोगों ने प्रस्ताव पर चुप रहना बेहतर समझा.

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नेता का कहना था कि नीतीश के अचानक नाराजगी जाहिर करने से उत्तर-दक्षिण विभाजन की बहस छिड़ गई और नीतीश कुमार के नाम का प्रस्ताव करने के लिए परिस्थितियां बदल गईं. इस बीच, जेडीयू भी इन घटनाक्रमों से वाकिफ है.

'नीतीश को सबसे बता रहे हैं जेडीयू नेता'

जेडीयू के एक वरिष्ठ नेता ने बताया, हम इस फैक्ट से अवगत हैं कि कुछ नेता संयोजक पद के लिए नीतीश जी का नाम चाहते थे. उनके पास बिहार के सीएम के रूप में लंबा प्रशासनिक अनुभव और केंद्रीय मंत्री के रूप में छह साल का अनुभव है. जेडीयू नेता ने नीतीश के नाम के प्रस्ताव की वकालत की और कहा, जब नया तीसरा मोर्चा लगभग आकार ले चुका था, जिसमें अखिलेश यादव, ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल और केसीआर जैसे नेता शामिल थे. तब यह नीतीश कुमार ही थे, जिन्होंने उन्हें मनाया. ये नेता इस बात पर अड़े थे कि वे गैर-कांग्रेसी विपक्षी गठबंधन बनाना चाहते हैं. 

'कांग्रेस पर जानकारी लीक करने का आरोप'

हालांकि, नीतीश जी इन नेताओं और कांग्रेस को समझाने में कामयाब रहे और सभी को पटना में एक मंच पर ले आए. उनसे बेहतर इस प्रस्ताव में कौन फिट होगा. वे शरद पवार के बाद इंडिया गठबंधन के सबसे अनुभवी नेता हैं. हालांकि, टीआर बालू और नीतीश कुमार से जुड़ी बातें लीक किए जाने से जेडीयू नेता नाराज हैं. उन्होंने कांग्रेस नेताओं पर यह जानकारी लीक करने का आरोप लगाया है.

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'कांग्रेस नेता कह रहे संयोजक की जरूरत नहीं'

इस बीच, कई कांग्रेस नेताओं ने ऑन रिकॉर्ड कहा है कि इंडिया ब्लॉक को संयोजक की जरूरत नहीं है, क्योंकि चीजें सही दिशा और सुचारू रूप से चल रही हैं. वाम दलों के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि 'कोऑर्डिनेशन कमेटी की ओर से काम किया जा रहा है. अभी पूरा फोकस सीट शेयरिंग फॉर्मूले को सुलझाने पर है, संयोजक पद पर नहीं. फोकस सीट शेयरिंग पर ही रहना चाहिए. हमारे पास कम समय बचा है.

'कई दल नीतीश को देना चाहते हैं अलायंस की जिम्मेदारी'

हालांकि, ऐसे अन्य गठबंधन सहयोगी भी हैं, जो नीतीश कुमार को इंडिया ब्लॉक का अध्यक्ष या संयोजक बनाने के विचार का समर्थन करते हैं. उनका तर्क है कि इससे यह एक गठबंधन जैसा दिखने लगेगा. वाम दलों में से एक के वरिष्ठ नेता ने कहा, शुरू से ही कई दलों को इंडिया अलायंस के लिए एक अध्यक्ष और संयोजक जैसे पद की जरूरत महसूस हुई है. इससे कांग्रेस का वर्चस्व खत्म हो जाएगा और मौजूदा ब्लॉक भी एक राजनीतिक गठबंधन की तरह दिखने लगेगा.

'रोडमैप के लिए संयोजक की जरूरत बता रहीं पार्टियां'

नेता ने आगे कहा, एक बार जब कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे का नाम पीएम फेस के लिए प्रस्तावित किया गया तो नीतीश कुमार को संयोजक बनाकर अलायंस को 'संतुलित' कर दिया जाता. गैर-कांग्रेस इंडिया ब्लॉक नेताओं ने यह भी तर्क दिया कि संयोजक नियुक्त करने से कार्यान्वयन से संबंधित मुद्दों का समाधान हो जाएगा. उदाहरण के लिए, कोऑर्डिनेशन कमेटी ने भोपाल में संयुक्त रैली आयोजित करने समेत कई निर्णय लिए थे. उन पर कभी अमल नहीं हुआ. कोऑर्डिनेशन कमेटी की बैठकें, कैंपेन कमेटी की बैठकें भी नियमित नहीं की गई हैं. सीट बंटवारे के लिए अभी तक कोई समय-सीमा तय नहीं की गई है. ऐसे मुद्दों को सुव्यवस्थित करने और एक रोडमैप बनाने के लिए संयोजक होना जरूरी है.

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