
राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के न्योते को लेकर मचे सियासी बवाल के बीच गुरुवार को झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का बयान भी सामने आया है. उन्होंने कहा है कि वह सेकुलर हैं और इसलिए मंदिर, मस्जिद, चर्च, गुरुद्वारे सब जगह जाते हैं. अगर उन्हें 22 जनवरी को राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा में जाने का न्योता मिलता है तो वह कार्यक्रम में शामिल होंगे.
दरअसल, राम मंदिर के न्योते को लेकर इन दिनों सियासी गलियारों में बवाल मचा हुआ है. विपक्ष के ज्यादातर सियासी दलों के प्रमुख को अब तक राम मंदिर के उद्घाटन का न्योता मिल चुका है. इसमें से कुछ कार्यक्रम में शामिल होने की बात कर रहे हैं तो वाम दलों सहित कुछ नेताओं ने शामिल ना होने की बात कही है.
किन-किन नेताओं को मिला न्योता
राम मंदिर ट्रस्ट की ओर से कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे और अधीर रंजन चौधरी को न्योता मिला है. अब तक कांग्रेस की ओर से स्पष्ट नहीं किया गया है कि पार्टी के नेता अयोध्या में होने वाले समारोह में शामिल होंगे या नहीं. इसके अलावा बिहार के सीएम नीतीश कुमार और पूर्व सीएम लालू यादव को भी बुलाया गया है. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भी निमंत्रण मिला है. ट्रस्ट की ओर से लेफ्ट पार्टी के नेताओं को बुलाया गया है. इसको लेकर सीपीआईएम महासचिव सीताराम येचुरी ने स्पष्ट कर दिया है कि वो इस कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे.इसके अलावा समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव को अबतक निमंत्रण नहीं मिला है. पार्टी नेता डिंपल यादव ने कहा है कि अगर उन्हें न्योता मिलेगा, तो वो अयोध्या जरूर जाएंगे. अगर न्योता नहीं मिलेगा तो वो भगवान के दर्शन करने के लिए बाद में जाएंगे.
पवार को भी नहीं मिला निमंत्रण
बता दें कि NCP अध्यक्ष शरद पवार को भी अब तक अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन के लिए आमंत्रित नहीं किया गया है. उन्होंने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा था कि यह समझना मुश्किल है कि पार्टी इस मुद्दे का इस्तेमाल राजनीतिक या व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए कर रही है या नहीं.