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बंगाल के रण में मुख्यमंत्री कैंडिडेट घोषित किए बगैर उतरेगी BJP, विजयवर्गीय ने दिए संकेत

कैलाश विजयवर्गीय ने कहा है कि सरकार बनने की स्थिति में मुख्यमंत्री कौन बनेगा, यह पार्टी के निर्वाचित विधायक तय करेंगे. हम एकजुट होकर चुनाव लड़ेंगे और नरेंद्र मोदी की लीडरशिप में जीत दर्ज कर सूबे में सरकार बनाएंगे.

भाजपा के बंगाल प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय (फाइल फोटोः पीटीआई) भाजपा के बंगाल प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय (फाइल फोटोः पीटीआई)
मनोज्ञा लोइवाल
  • कोेलकाता,
  • 25 अगस्त 2020,
  • अपडेटेड 5:30 PM IST
  • चुनाव को ‘पीएम मोदी बनाम सीएम ममता’ बनाने की रहेगी बीजेपी की कोशिश
  • कैलाश विजयवर्गीय बोले- बंगाल में एकजुट होकर लड़ेंगे चुनाव
  • 'चुनाव जीतने के बाद विधायक तय करेंगे सीएम का नाम'

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के लिए अब ज्यादा वक्त नहीं बचा है. कुछ महीने बाद 2021 में बंगाल का ये चुनावी रण होगा? क्या बीजेपी इस चुनाव में मुख्यमंत्री के लिए बिना किसी चेहरे को आगे किए उतरेगी? क्या बीजेपी की कोशिश 2021 बंगाल विधानसभा चुनाव को ‘पीएम नरेंद्र मोदी बनाम सीएम ममता बनर्जी’ बनाने की रहेगी?

बिना सीएम चेहरे के साथ उतरने के संकेत
बीजेपी के वरिष्ठ नेता और बंगाल प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने बिना सीएम चेहरे के पार्टी के चुनाव में उतरने के संकेत दिए हैं. उनका कहना है कि पार्टी चुनाव जीतती है तो मुख्यमंत्री के नाम का फैसला पार्टी के निर्वाचित विधायकों की ओर से किया जाएगा. 

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कैलाश विजयवर्गीय ने कहा, "हम मोदी की लीडरशिप में एक साथ चुनाव लड़ेंगे और सरकार बनाएंगे. तब विधायकों की राय के मुताबिक पश्चिम बंगाल में मुख्यमंत्री का नाम तय किया जाएगा. हमारे पास लोकतंत्र है. हमारे यहां सामूहिक नेतृत्व हैं. दिलीप दा (दिलीप घोष), मुकुल दा (मुकुल रॉय), राहुल (राहुल सिन्हा) और पूरी टीम साथ खड़ी होगी और चुनाव लड़ेगी."

बीजेपी से कई दावेदार
बता दें कि बंगाल में बीजेपी की ओर से मुख्यमंत्री उम्मीदवार का चेहरा बनने की होड़ दिलचस्प मोड़ पर पहुंच गई. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के पसंदीदा लोग भी इस उम्मीदवारी के लिए दावेदारी जताने लगे हैं.

पश्चिम बंगाल के मौजूदा बीजेपी अध्यक्ष दिलीप घोष से लेकर मेघालय के पूर्व राज्यपाल तथागत रॉय तक, केंद्रीय मंत्री से लेकर राज्यसभा सांसद तक, पार्टी में कई ऐसे लोग हैं, जो बंगाल में पार्टी की ओर से मुख्यमंत्री का चेहरा बनने की चाहत रखते हैं. लेकिन जहां तक पार्टी का सवाल है तो वो अब आरएसएस के दिशा-निर्देशों पर अधिक काम कर रही है. 

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तथागत रॉय ने क्यों बताया वफादार स्वयंसेवक?
मेघालय के हाल तक राज्यपाल रहे तथागत रॉय की सक्रिय राजनीति में वापसी और उनके वफादार स्वयंसेवक होने संबंधी बयान ने घटनाक्रम में नए आयाम जोड़े हैं. 

तथागत रॉय ने हालांकि कहा, "नहीं, यह आप नहीं कह सकते. ऐसा कहना बहुत पूर्वकालिक है. मुख्यमंत्री कौन होगा, इसका अंतिम फैसला विधायक करेंगे. इसलिए, पहले हमें चुनाव जीतना है और बीजेपी में मेरे शामिल होने का तात्कालिक लक्ष्य है. उससे पहले, मुख्यमंत्री का चेहरा रखा जाएगा या नहीं, ये पार्टी नेतृत्व तय करेगा. मैं अभी तक पार्टी में शामिल भी नहीं हुआ हूं. ऐसी चीजों पर टिप्पणी नेतृत्व ही कर सकता है."

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बेशक, ये ऐसे मुद्दे हैं जहां पार्टी नेतृत्व अंतिम निर्णय लेगा. लेकिन ये भी सच है कि ऐसे कई चेहरे हैं जो पार्टी की ओर से मुख्यमंत्री का चेहरा बन कर 2021 विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी के खिलाफ ताल ठोकना चाहते हैं.

बता दें कि 2016 राज्य विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस के परिवार से आने वाले चंद्र कुमार बोस का नाम ममता बनर्जी के मुकाबले मुख्यमंत्री के लिए पार्टी उम्मीदवार के नाते बढ़ाया था. बोस जनवरी 2016 में तत्कालीन बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की मौजूदगी में पार्टी में शामिल हुए.

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बीजेपी के इनसाइडर्स किसे बताते हैं जरूरत?
बीजेपी के इनसाइडर्स मानते हैं कि ममता बनर्जी को सीएम की गद्दी से हटाने के लिए ‘भूमि-पुत्र’ की जरूरत है. साथ ही मतदाताओं के तीव्र ध्रुवीकरण के लिए पार्टी को अपने ‘हिंदी लगाव’ से दूर रहना चाहिए. 

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बीजेपी ने 2019 लोकसभा चुनाव में राज्य की 42 सीटों में से 18 सीटें जीतकर सभी को हैरान किया. बीजेपी की कोशिश रहेगी कि 2021 विधानसभा चुनाव को भी 'पीएम नरेंद्र मोदी बनाम सीएम ममता बनर्जी' के तौर पर बंगाल के वोटरों के सामने पेश किया जाए. 

 

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