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सिक्का उछालकर पोस्टिंग, अमरिंदर के खिलाफ बगावती तेवर, कौन हैं चरणजीत सिंह चन्नी?

पंजाब के नए सीएम बनने जा रहे चरणजीत सिंह चन्नी दलित समुदाय से आते हैं. देश के मुद्दों पर तो उन्हें कम ही बार बोलते हुए देखा गया है, लेकिन पंजाब की राजनीति में वे एक मुखर आवाज हैं. दलित हित के लिए तो उन्होंने कई मौकों पर अपनी ही पार्टी के खिलाफ भी स्टैंड ले रखा है.

पंजाब के नए सीएम चरणजीत सिंह चन्नी ( पीटीआई) पंजाब के नए सीएम चरणजीत सिंह चन्नी ( पीटीआई)
सुधांशु माहेश्वरी
  • नई दिल्ली,
  • 19 सितंबर 2021,
  • अपडेटेड 8:42 PM IST
  • बड़ा दलित चेहरा, कैप्टन के विरोधी
  • विवादों से पुराना नाता, मुखर आवाज

पंजाब के नए मुख्यमंत्री का ऐलान हो गया है. दलित चेहरा चरणजीत सिंह चन्नी को पंजाब का नया किंग बना दिया गया है. अटकलें तो उनके नाम की ना के बराबर थी, लेकिन अंत में सुखजिंदर रंधावा से रेस में आगे निकल उन्होंने खुद की दावेदारी पर मुहर लगवा ली. अब आखिर कांग्रेस ने नवजोत सिंह सिद्धू और सुखजिंदर रंधावा जैसे लोकप्रिय नेताओं को छोड़ चरणजीत सिंह चन्नी पर क्यों दांव लगाया है? इसका जवाब दोनों सियासी और जातीय समीकरण के आधार पर दिया जा सकता है.

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दलित चेहरा, कैप्टन के विरोधी

पंजाब के नए सीएम बनने जा रहे चरणजीत सिंह चन्नी दलित समुदाय से आते हैं. देश के मुद्दों पर तो उन्हें कम ही बार बोलते हुए देखा गया है, लेकिन पंजाब की राजनीति में वे एक मुखर आवाज हैं. दलित हित के लिए तो उन्होंने कई मौकों पर अपनी ही पार्टी के खिलाफ भी स्टैंड ले रखा है.

ऐसे में दलित वोटरों पर उनकी अच्छी-खासी पकड़ मानी जाती है. अभी वर्तमान में चरणजीत सिंह चन्नी चमकौर साहिब सीट से विधायक हैं. कैप्टन की सरकार में उन्हें कैबिनेट मंत्री भी बनाया गया था. उन्हें तकनीकी शिक्षा मंत्री का पद सौंपा गया था.

चरणजीत से जुड़े कुछ विवाद

लेकिन उस पद पर रहते हुए उनके कुछ ऐसे वीडियो वायरल हुए थे कि तब की कैप्टन सरकार के लिए बड़ी मुसीबत खड़ी हुई थी. साल 2018 में चरणजीत सिंह चन्नी का एक वीडियो सोशल मीडिया पर काफी वायरल रहा था. वीडियो में मंत्री सिक्का उछाल कर लोगों की पोस्टिंग करने का फैसला ले रहे थे.

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दरअसल एक ही जगह जाने के लिए दो लोग लड़ रहे थे, तो चरणजीत ने टॉस कर उस पोस्टिंग का फैसला लिया था. उस वीडियो के सामने आने के बाद विपक्ष ने अमरिंदर सरकार की काफी आलोचना की थी और चरणजीत चन्नी पर भी सवाल खड़े हो लिए थे. अब ये विवाद तो फिर भी बाद में ठंडा पड़ गया लेकिन ग्रंथ गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी वाले मामले ने कैप्टन और चरणजीत की तकरार को जारी रखा.

कैप्टन से दूरी कब शुरू हुई?

सिख धार्मिक ग्रंथ गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी वाले मामले में क्योंकि कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई थी, उस वजह से पंजाब सरकार के कई मंत्री नाराज बताए जा रहे थे. ऐसे में जब उस समय कई पुराने मामले फिर उठाए गए, तो चरणजीत चन्नी जैसे नेताओं की अमरिंदर से नाराजगी शुरू हो गई थी. बाद में जब नवजोत सिंह सिद्धू ने माहौल को और ज्यादा गर्म किया, तो चन्नी ने खुलकर अपने बगावती तेवर दिखा दिए थे.

जब पंजाब में चार मंत्री और 20 विधायकों ने खुलकर कैप्टन अमरिंदर सिंह का विरोध किया था, उन्हें हटाने की मांग हुई थी, उनमें से एक नेता चरणजीत सिंह चन्नी भी थे. ऐसे में अमरिंदर के इस्तीफे में उनका भी योगदान रहा है. उन्हें हमेशा से कैप्टन के खिलाफ बोलते हुए देखा गया है.

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सिद्धू से कैसे रिश्ते?

लेकिन इस सब के बावजूद भी चरणजीत सिंह चन्नी, नवजोत सिंह सिद्धू के ज्यादा करीबी नहीं हैं. दोनों की राजनीति में सिर्फ इतनी समानता है कि उन्होंने कैप्टन का लगातार विरोध किया है, उन्हें सीएम पद से हटाने का प्रयास किया है. कहा जाता है कि 'दुश्मन का दुश्मन दोस्त होता है'. कुछ ऐसे ही रिश्ते चन्नी और सिद्धू के बीच भी रहे हैं. ऐसे में सिद्धू को पंजाब की गद्दी तो नहीं दी गई है, लेकिन एक कैप्टन विरोधी को सीएम बना दिया गया है.

कांग्रेस की पीछे की रणनीति

चन्नी के राजनीतिक करियर की बात करें तो 2007 में वे विधानसभा के सदस्य बने थे. बाद में 2015 से 2016 तक वे विपक्ष के नेता भी रहे हैं. इसके बाद 47 की उम्र में कैप्टन सरकार में उन्हें कैबिनेट मंत्री बना दिया गया था. 

लेकिन अब कांग्रेस की नजर पंजाब के 32 फीसदी दलित वोट पर है. ऐसे में चरणजीत सिंह चन्नी पर चुनाव से ठीक पहले दांव चल दिया गया है. कितना कामयाब रहते हैं, कुछ महीनों में साफ हो जाएगा.

 

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