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कौन हैं केरल की 'रॉकस्टार हेल्थ मिनिस्टर' केके शैलजा, जिन्हें अब कैबिनेट में जगह नहीं मिली?

केके शैलजा पहली बार 1996 में कुथुपरंबा सीट से विधायक चुनी गईं. उसके बाद 2006 में वो कन्नूर जिले की पेरावूर सीट से विधायक बनीं. इस बार वह मट्टानूर सीट से 60,963 वोटों के अंतर से चुनाव जीतीं.

कोरोना से निपटने पर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में आई थीं केके शैलजा (फोटो-ट्विटर) कोरोना से निपटने पर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में आई थीं केके शैलजा (फोटो-ट्विटर)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 19 मई 2021,
  • अपडेटेड 1:34 PM IST
  • निपाह और कोरोना से निपटने में तारीफ बटोर चुकी हैं केके शैलजा
  • ब्रिटिश अखबार द गार्जियन ने रॉकस्टार हेल्थ मिनिस्टर बताया था

केरल की स्वास्थ्य मंत्री केके शैलजा को पिछले साल कोरोना महामारी पर काबू पाने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली. उन्हें संयुक्त राष्ट्र भी बुलाया गया. ब्रिटिश अखबार फाइनेंशियल टाइम्स ने उन्हें 2020 की सबसे प्रभावशाली महिलाओं की लिस्ट में जगह दी. लेकिन उन्हीं केके शैलजा को केरल में सीएम पिनराई विजयन ने नई कैबिनेट से बाहर कर दिया है. इसको लेकर विवाद भी हो रहा है. 

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दरअसल, सीपीएम पार्टी ने तय किया है कि नई कैबिनेट में पुराने चेहरों को शामिल नहीं किया जाएगा. मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ही इकलौते ऐसे मंत्री होंगे, जो नई कैबिनेट का हिस्सा होंगे. बाकी जो भी पुरानी सरकार में कैबिनेट में शामिल थे, उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है. इनमें सबसे बड़ा नाम केके शैलजा का है. 

लेकिन ये केके शैलजा हैं कौन? 
केरल विधानसभा की वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के मुताबिक, केके शैलजा का जन्म 20 नवंबर 1956 को कन्नूर जिले के मट्टानूर में हुआ था. उनके पिता का नाम के. कुंदन और मां का नाम केके शांता है. केके शैलजा ने बीएससी और बीएड की पढ़ाई की है. वो एक रिटायर्ड टीचर हैं. राजनीति में उनकी एंट्री स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया यानी एसएफआई के जरिए हुई. 

केके शैलजा पहली बार 1996 में कुथुपरंबा सीट से विधायक चुनी गईं. उसके बाद 2006 में वो कन्नूर जिले की पेरावूर सीट से विधायक बनीं. 2016 में फिर से कुथुपरंबा से ही जीतीं. लेकिन इस बार पार्टी ने उन्हें मट्टानूर सीट से खड़ा किया. ये केके शैलजा की लोकप्रियता का नतीजा ही था कि वो इस बार 60,963 वोटों के अंतर से चुनाव जीतीं. केरल के चुनाव में इससे पहले इतने ज्यादा वोटों के अंतर से किसी ने जीत दर्ज नहीं की है. मुख्यमंत्री पिनराई विजयन खुद धरमादाम सीट से 50,123 वोटों के अंतर से जीते हैं. 

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पहले निपाह और फिर कोरोना को काबू किया
केके शैलजा पिछली सरकार में स्वास्थ्य मंत्री थीं. 2018 में ही केरल में निपाह वायरस ने दस्तक दे दी. निपाह कोरोना से भी ज्यादा खतरनाक था क्योंकि इसमें डेथ रेट 70% था. कोरोना में डेथ रेट 2% से भी कम है. निपाह से निपटने के लिए उन्हें एक अच्छी रणनीति बनाई. खुद ही अस्पतालों का दौरा किया. हर दिन प्रेस कॉन्फ्रेंस कर हालातों की जानकारी दी. केरल इससे पहले इबोला वायरस की मार भी झेल चुका था. 

इबोला और निपाह वायरस को मैनेज करने की रणनीति का फायदा कोरोना को काबू करने में भी मिला. केरल में ही पिछले साल 30 जनवरी को देश का पहला कोरोना मरीज मिला था. केके शैलजा का मानना था कि कोई भी बीमारी हो, एक अच्छी योजना बनाकर और उस पर अमल करके उस पर काबू पाया जा सकता था. जनवरी 2020 से ही सभी एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशनों पर स्क्रीनिंग शुरू कर दी और जिनमें भी कोरोना के लक्षण मिले, उन्हें सीधे अस्पताल भेजा गया. कुछ ही महीनों में केरल में कोरोना काबू में आ गया.

दुनिया ने की केके शैलजा की तारीफ
कोरोनावायरस से निपटने में केके शैलजा ने जिस तरह से काम किया, उसकी दुनियाभर में तारीफ हुई. उन्हें संयुक्त राष्ट्र ने पिछले साल यूनाइटेड नेशंस पब्लिक सर्विस डे पर पैनल डिस्कशन के लिए आमंत्रित किया. ब्रिटिश अखबार द गार्जियन ने उन्हें 'रॉकस्टार हेल्थ मिनिस्टर' बताया. बीबीसी ने उन्हें एशियन वुमन कोरोना फाइटर्स की लिस्ट में जगह दी. ब्रिटिश मैग्जीन 'प्रोस्पेक्ट' ने उन्हें 2020 के टॉप थिंकर की लिस्ट में पहले नंबर पर रखा. न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जेसिंडा आर्डर्न को दूसरे नंबर पर जगह दी गई थी. ब्रिटिश वेबसाइट फाइनेंशियल टाइम्स ने भी उन्हें 2020 की सबसे प्रभावी महिलाओं की लिस्ट में शामिल किया.

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