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इंदिरा गांधी के सुरक्षा इंचार्ज से मिजोरम में चुनावी चमत्कार तक... लालदुहोमा का सियासी सफरनामा

लालदुहोमा की राजनीतिक यात्रा चुनौतियों से भरी रही है. इंदिरा गांधी से प्रभावित होकर लालदुहोमा ने राजनीति में आने का फैसला किया और भारतीय पुलिस सेवा से इस्तीफा देकर कांग्रेस पार्टी जॉइन कर ली. उनका राजनीतिक लक्ष्य मिजोरम नेशनल फ्रंट (एक समय में राज्य का विद्रोही संगठन जो मिजोरम को भारत से अलग स्टेट बनाना चाहता था) और भारत सरकार के बीच शांति वार्ता पर केंद्रित था.

लालदुहोमा भारतीय पुलिस सेवा के पूर्व अधिकारी हैं. वह पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के सुरक्षा प्रभारी रह चुके हैं. लालदुहोमा भारतीय पुलिस सेवा के पूर्व अधिकारी हैं. वह पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के सुरक्षा प्रभारी रह चुके हैं.
aajtak.in
  • आइजोल,
  • 04 दिसंबर 2023,
  • अपडेटेड 12:46 PM IST

मिजोरम के चुनाव नतीजे आज घोषित हुए और जैसा कि इंडिया टुडे-एक्सिस माय इंडिया के एग्जिट पोल में संभावना जताई गई थी, वही हुआ भी. जोरम पीपुल्स मूवमेंट (ZPM) ने यहां शानदार जीत दर्ज की है. उसे 40 में से 27 सीटें मिलती हुई दिख रही हैं. जबकि सत्ताधारी मिजो नेशनल फ्रंट 10 सीटों पर सिमट रही है. भाजपा को 2 सीटें मिली हैं और कांग्रेस सिर्फ 1 सीट पर सिमट कर रह गई है.

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यह लगभग स्पष्ट हो गया है कि 74 वर्षीय पूर्व आईपीएस अधिकारी और जेडपीएम नेता लालदुहोमा मिजोरम के अगले मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेंगे. मिजोरम के तुआलपुई गांव में 22 फरवरी 1949 को जन्मे लालदुहोमा राजनीतिक क्षेत्र के लिए अजनबी नहीं हैं. उनका सफर एक आईपीएस अधिकारी के रूप में शुरू हुआ. वह पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सिक्योरिटी टीम के नेतृत्वकर्ता भी रहे. उन्होंने 1984 में मिजोरम से लोकसभा के लिए निर्वाचित होकर इतिहास रच दिया. 

IPS रहते इंदिरा गांधी के सुरक्षा प्रभारी थे लालदुहोमा

हालांकि, उनके राजनीतिक करियर को तब धक्का लगा जब वह दल-बदल विरोधी कानून के तहत अयोग्यता का सामना करने वाले पहले सांसद बने. इस झटके के बावजूद, लालदुहोमा ने मिजोरम के राजनीतिक परिदृश्य में अपनी छाप छोड़ना जारी रखा. लालदुहोमा ने अपने आईपीएस करियर के दौरान गोवा में एक स्क्वाड लीडर के रूप में कार्य किया. यहां उन्होंने अपराध में संलिप्त हिप्पियों और तस्करों पर कार्रवाई का नेतृत्व किया.

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गोवा में स्क्वाड लीडर के रूप में उनकी उपलब्धियों ने राष्ट्रीय स्तर पर ध्यान आकर्षित किया, जिसके कारण 1982 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के सुरक्षा प्रभारी के रूप में उनका नई दिल्ली स्थानांतरण हो गया. जोरम पीपुल्स मूवमेंट (जेडपीएम) के संस्थापक और अध्यक्ष के रूप में, लालदुहोमा ने मिजोरम के राजनीतिक परिदृश्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. 2018 के मिजोरम विधानसभा चुनाव में, उन्हें ZNP के नेतृत्व वाले जोरम पीपुल्स मूवमेंट (ZPM) गठबंधन के पहले मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में चुना गया था.

इंदिरा गांधी से प्रभावित होकर 1984 में राजनीति में आए

लालदुहोमा की राजनीतिक यात्रा चुनौतियों से भरी रही है. इंदिरा गांधी से प्रभावित होकर लालदुहोमा ने राजनीति में आने का फैसला किया और भारतीय पुलिस सेवा से इस्तीफा देकर कांग्रेस पार्टी जॉइन कर ली. उन्हें 31 मई 1984 को मिजोरम कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में चुना गया. उनका राजनीतिक लक्ष्य मिजोरम नेशनल फ्रंट (एक समय में राज्य का विद्रोही संगठन जो मिजोरम को भारत से अलग स्टेट बनाना चाहता था) और भारत सरकार के बीच शांति वार्ता पर केंद्रित था.

लालदुहोमा ने एमएनएफ के नेता और भारत सरकार के खिलाफ बगावत छेड़ने वाले लालडेंगा की भारत वापसी की व्यवस्था की. लालडेंगा और इंदिरा गांधी की मुलाकात 31 अक्टूबर की दोपहर को होने वाली थी, लेकिन उसी सुबह इंदिरा गांधी की हत्या कर दी गई. दिसंबर 1984 के लालदुहोमा मिजोरम निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में लोकसभा चुनाव लड़े और उनकी जीत हुई. उसी वर्ष उन्हें कांग्रेस के अध्यक्ष पद से हटने के लिए मजबूर होना पड़ा.

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कांग्रेस पार्टी लालदुहोमा के अपेक्षाओं के अनुरूप मिजोरम में शांति बहाली के लिए कदम नहीं उठा रही थी, इसलिए उन्होंने 1986 में कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया, जो 1985 के दल-बदल विरोधी कानून के तहत विधायिकाओं में बने रहने के प्रावधान का उल्लंघन था. भारत के संविधान (1985 का बावनवां संशोधन) की दसवीं अनुसूची (पैराग्राफ 2 खंड 1ए) के अनुसार, संसद और राज्य विधानमंडल के सदस्यों को अयोग्य ठहराया जा सकता है, यदि वे उस पार्टी को छोड़ देते हैं जिससे वे चुनाव लड़कर संबंधित सदन के लिए निर्वाचित हुए हैं.

अयोग्यता का सामना करने वाले देश के पहले सांसद

लोकसभा अध्यक्ष ने 24 नवंबर 1988 को लालदुहोमा को अयोग्य घोषित कर दिया, और जिस पार्टी (कांग्रेस) का उन्होंने प्रतिनिधित्व किया उसकी सदस्यता छोड़ने के लिए भारत में दल-बदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य घोषित होने वाले पहले सांसद बने. उन्होंने 1986 में मिजो नेशनल यूनियन (MNU) का गठन किया जिसका बाद में मिजोरम पीपुल्स कॉन्फ्रेंस में विलय हो गया और उन्हें कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया. 2018 के चुनाव में, वह और उनकी पार्टी 6 दलों के गठबंधन, जोरम पीपुल्स मूवमेंट (ZPM) में शामिल हो गए. इस गठबंधन में शामिल अन्य दल मिजोरम पीपुल्स कॉन्फ्रेंस, जोरम नेशनल पार्टी, जोरम एक्सोडस मूवमेंट, जोरम डीसेंट्रलाइजेशन फ्रंट, जोरम रीफॉर्मेशन फ्रंट, मिजोरम पीपुल्स पार्टी हैं.

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जेडपीएम ने आधिकारिक तौर पर उन्हें मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया. जेडपीएम को उस समय भारत के चुनाव आयोग से आधिकारिक पार्टी के रूप में मान्यता नहीं मिल सकी थी, इसलिए लालदुहोमा ने एक स्वतंत्र (किसी भी पार्टी से संबद्ध नहीं) उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा. वह दो निर्वाचन क्षेत्रों, आइजोल पश्चिम I और सेरछिप से चुने गए. उन्होंने आइजोल पश्चिम I सीट छोड़ दी और सेरछिप का प्रतिनिधित्व करना चुना, जहां उन्होंने मौजूदा मुख्यमंत्री ललथनहावला को 410 वोटों से हराया था. उन्हें मिजोरम विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के रूप में चुना गया.

जब 2020 में रद्द हो गई थी लालदुहोमा की विधायकी

उन्होंने ZPM के नेता के रूप में काम करना जारी रखा, जो 2019 में एक पंजीकृत राजनीतिक दल बन गया. सितंबर 2020 में, सत्तारूढ़ दल मिजो नेशनल फ्रंट के 12 विधायकों ने मिजोरम विधानसभा अध्यक्ष लालरिनलियाना सेलो के सामने एक प्रस्ताव पेश प्रस्तुत किया, जिसमें लालदुहोमा पर दल-बदल कानून का उल्लंघन करने का आरोप लगा. चूंकि उन्होंने एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा और जीतकर विधानसभा पहुंचे थे. लेकिन वह ZPM पार्टी के नेता के रूप में कार्य कर रहे थे, इसी आधार पर एमएनएफ ने स्पीकर से लालदुहोमा की सदस्यता रद्द करने की मांग की.

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दल-बदल विरोधी कानून (पैराग्राफ 2 खंड 2) के अनुसार, यदि कोई स्वतंत्र रूप से निर्वाचित सदस्य चुनाव के बाद किसी भी पार्टी में शामिल होता है तो उसे अयोग्य ठहराया जा सकता है. 27 नवंबर 2020 को, अध्यक्ष ने आधिकारिक तौर पर उन्हें विधायिका से अयोग्य घोषित कर दिया. वह मिजोरम विधानसभा, या भारत के किसी भी राज्य विधानमंडल से दल-बदल कानून के उल्लंघन के लिए हटाए जाने वाले पहले विधायक बने. लालदुहोमा अपने राजनीतिक करियर में दो बार दल-बदल कानून के उल्लंघन के लिए विधायिका से अपनी सदस्यता गंवा चुके थे. 

अब मिजोरम के मुख्यमंत्री बनने की रेस में सबसे आगे

उन्होंने निराश होकर कहा, 'मैंने निर्दलीय चुनाव लड़ा क्योंकि मेरी पार्टी ZPM का पंजीकरण पूरा नहीं हुआ था...कानून उन दलबदलुओं को दंडित करने के लिए है जो दूसरी पार्टी में शामिल हो जाते हैं. लेकिन मैं ZPM के प्रति समर्पित रहा हूं. मेरा मामला पूरे भारत में अभूतपूर्व है.' लालदुहोमा ने हार नहीं मानी. वह 17 अप्रैल 2021 को सेरछिप निर्वाचन क्षेत्र के उप-चुनाव में, एमएनएफ पार्टी के अपने प्रमुख प्रतिद्वंद्वी वनलालजॉमा को 3310 वोटों से हराकर दोबारा विधायक बने. लालदुहोमा की पत्नी का नाम लियानसाइलोवी है. उनके दो बेटे हैं और वह अपने परिवार के साथ आइजोल के चौल्हमुन में रहते हैं. अब वह मिजोरम के अगले मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं.

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