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कौन हैं सुभाषिनी यादव, जो शरद यादव की सियासी विरासत को बढ़ा रही हैं आगे?

Sharad Yadav Death: जदयू के पूर्व अध्यक्ष और प्रखर समाजवादी नेता शरद यादव का निधन हो गया है. गुरुवार (12 जनवरी) को उनका गुरुग्राम के एक अस्पताल में निधन हो गया. उनके निधन की सूचना बेटी सुभाषिनी शरद यादव ने ट्विटर के जरिये दी. सुभाषिनी शरद यादव ने ट्वीट कर लिखा- पापा नहीं रहे. शरद यादव दिल्ली से सटे गुरुग्राम के फोर्टिस अस्पताल में भर्ती थे.

शरद यादव और उनकी बेटी सुभाषिनी. (फोटो- ट्विटर) शरद यादव और उनकी बेटी सुभाषिनी. (फोटो- ट्विटर)
उदित नारायण
  • नई दिल्ली,
  • 13 जनवरी 2023,
  • अपडेटेड 6:32 AM IST

Sharad Yadav Death: जदयू के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव (75 साल) का निधन हो गया है. उनके निधन की खबर सबसे पहले बेटी सुभाषिनी यादव की तरफ से ट्वीट करके दी गई. सुभाषिनी ने लिखा- 'पापा नहीं रहे.' इसके साथ ही दुखी होने का इमोजी बनाया. शरद यादव गुरुग्राम के फोर्टिस अस्पताल में भर्ती थे. गुरुवार देर रात शरद यादव का पार्थिव शरीर एंबुलेंस से दिल्ली में छतरपुर स्थित आवास पर लाया गया. यहां 5 वेस्टर्न डीएलएफ में शुक्रवार को दिनभर पार्थिव शरीर अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा.  

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शरद यादव 7 बार लोकसभा के सांसद रहे हैं. वे केंद्रीय मंत्री भी रहे हैं. इसके साथ ही जयप्रकाश नारायण से लेकर चौधरी चरण सिंह और अटल बिहारी वाजपेयी के साथ काम करने का लंबा अनुभव समेटे थे. वे समाजवादी विचारों के मुखर समर्थक थे और डॉ. राम मनोहर लोहिया के आदर्शों से काफी प्रभावित थे. शरद यादव के निधन पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत अन्य बड़े नेताओं ने शोक जताया और श्रद्धांजलि दी है.

राजनीति में सक्रिय हैं सुभाषिनी

शरद यादव की दो संतान हैं. बेटी सुभाषिनी और बेटा शांतनु है. सुभाषिनी राजनीति में सक्रिय हैं और कांग्रेस पार्टी से जुड़ी हैं. हाल ही में वह राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में भी खासी सक्रिय देखी गईं. सबसे पहले उन्होंने मध्य प्रदेश, राजस्थान में यात्रा जॉइन की. उसके बाद हरियाणा और पंजाब में भी यात्रा में शामिल हुईं. सुभाषिनी ने पिता शरद यादव से राजनीति सीखी है और उनके विचारों को आगे बढ़ाने की बात करती हैं.

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शरद यादव ने मई 2022 में खाली किया था सरकारी आवास

पिछले साल 31 मई 2022 को जब शरद यादव ने दिल्ली में 7, तुगलक रोड वाला सरकारी आवास खाली किया, तब सुभाषिनी ने ही ट्वीट कर इसकी जानकारी दी थी. शरद यादव इस बंगले में करीब 22 साल तक रहे. इससे पहले उन्होंने लुटियंस जोन में भी काफी वक्त बिताया. शरद यादव अपना सरकारी आवास छोड़ते वक्त कहा था- इस घर से कई लड़ाइयां लड़ी गई हैं. यहां पर कई सारी यादें जुड़ी हैं.

शरद यादव की बेटी सुभाषिनी यादव ने ट्वीट में कहा था- तुगलक रोड पर 23 साल की सफल यात्रा को समाप्त करते हुए 48 साल के शुद्ध, समर्पित और निस्वार्थ योगदान समाज के उत्थान के लिए रहा. अब नई शुरुआत की प्रतीक्षा में.

ये तस्वीर 3 जनवरी 2023 की है. पिता शरद यादव के साथ सुभाषिनी. फोटो- ट्विटर

2020 में कांग्रेस में शामिल हुईं सुभाषिनी

बता दें कि सुभाषिनी यादव 2020 विधानसभा चुनाव के समय कांग्रेस में शामिल हो गई थीं. उन्होंने बिहारीगंज सीट से चुनाव भी लड़ा था. हालांकि, हार गई थीं. चुनावी कैंपेनिंग में राहुल गांधी के वोट मांगने के बाद सुभाषिनी यादव ने एक इमोशनल पोस्ट लिखा था. जिसमें उन्होंने बताया था कि कैसे राहुल गांधी ने बीमार पिता के नहीं पहुंच पाने की स्थिति में उनको बहन बताया और हौसला-अफजाई की. सुभाषिनी यादव की शादी हरियाणा में एक राजनीतिक परिवार में हुई है. वे प्रियंका गांधी और राहुल गांधी की काफी करीबी मानी जाती हैं.

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बेटी विरासत संभालने आगे आईं, लेकिन हार गईं

शरद यादव का बिहार की मधेपुरा लोकसभा सीट से खासा लगाव रहा है. अगस्त 2017 में नीतीश कुमार से अनबन के बाद जदयू से बाहर आए शरद यादव ने लोकतांत्रिक जनता दल (LJD) का गठन किया था. वे 2019 के चुनाव में महागठबंधन के हिस्सा भी रहे और मधेपुरा से चुनाव लड़े. लेकिन, हार गए थे. बताते हैं कि शरद चाहते थे कि इस बार मधेपुरा से उनके परिवार का कोई सदस्य चुनाव लड़े. ये इच्छा उनकी वर्षों से थी. हालांकि, तब पारिवारिक सदस्य की राजनीति में एंट्री नहीं हुई थी. एक साल बाद 2020 में बेटी सुभाषिनी कांग्रेस में शामिल हुईं तो उन्होंने मधेपुरा की बिहारीगंज विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था. 

 

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