Advertisement

बेटी कांग्रेस में, बेटा RJD में, अब आगे कौन संभालेगा शरद यादव की राजनीतिक विरासत?

पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव की मौत के बाद अब सभी की निगाहें इस ओर हैं कि शरद यादव की सियासी विरासत कौन संभालेगा? यह सवाल इसलिए भी अहम है क्योंकि बेटा और बेटी दोनों ही राजनीतिक रूप से सक्रिय हैं. शरद यादव के बेटे शांतनु बुंदेला आरजेडी में हैं तो बेटी सुभाषिनी यादव कांग्रेस में हैं. 

शरद यादव (फाइल फोटो) शरद यादव (फाइल फोटो)
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली,
  • 16 जनवरी 2023,
  • अपडेटेड 3:47 PM IST

दिग्गज समाजवादी नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव का अंतिम संस्कार उनके पैतृक गांव में किया गया. उनके बेटे शांतनु बुंदेला और बेटी शुभाषिनी यादव ने उन्हें मुखाग्नि दी. ऐसे में अब सभी की निगाहें इस बात पर हैं कि शरद यादव की सियासी विरासत कौन संभालेगा, क्योंकि दोनों ही राजनीतिक रूप से सक्रिय हैं. शरद यादव के बेटे शांतनु बुंदेला आरजेडी में हैं तो बेटी सुभाषिनी यादव कांग्रेस में हैं. 

Advertisement

शरद यादव के निधन की खबर गुरुवार की रात बेटी सुभाषिनी यादव ने सबसे पहले ट्वीट कर दी, 'पापा नहीं रहे.' इसके बाद ही लोगों तक खबर पहुंची थी. सुभाषिनी यादव राजनीतिक तौर पर बेहद सक्रिय रहती हैं. 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव से पहले सुभाषिनी ने कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की थी और बिहारीगंज सीट से चुनावी मैदान में उतरी थीं, लेकिन वह जीत नहीं सकीं.

शरद यादव ने अपनी पार्टी का RJD में किया था विलय

वहीं, शरद यादव के बेटे शांतनु बुंदेला बिहार में राजनीतिक रूप से सक्रिय हैं. शरद यादव ने पिछले दिनों अपनी पार्टी का आरजेडी में विलय किया था तो उनके साथ शांतनु ने भी सदस्यता ग्रहण की थी. इस दौरान उन्होंने बिहार में ही अपनी आगे की राजनीति करने और मधेपुरा से लोकसभा चुनाव भी लड़ने का ऐलान किया था. ऐसे में अब जाहिर तौर पर शरद यादव की सियासी विरासत पर शांतनु बुंदेला भी अपनी दावेदारी पेश करेंगे. 

Advertisement

शांतनु बुंदेला और सुभाषिनी दोनों ही शरद यादव की सियासी विरासत पर अपना-अपना हक जताएंगे. सुभाषिनी यादव का मायका ही नहीं बल्कि ससुराल पक्ष में सियासी परिवार है. सुभाषिनी की शादी हरियाणा में जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके कमलवीर सिंह राव के बेटे राजकमल राव से हुई है. कमलजीत कांग्रेस से हरियाणा सरकार में मंत्र रह चुके हैं और कई बार विधायक रहे हैं. इसके बावजूद सुभाषिनी अपने ससुर की बजाय अपने पिता की सियासी विरासत संभालने के लिए बिहार से चुनाव लड़ी थीं. सुभाषिनी यादव का बिहार से चुनाव लड़ना अपने पिता शरद यादव से बॉन्डिंग को भी दिखाता है.

गांधी परिवार की करीबी मानी जाती हैं सुभाषिनी

सुभाषिनी यादव को राहुल गांधी और प्रियंका गांधी का करीबी माना जाता है. उन्होंने 2020 में चुनाव हारने के बाद से भले ही बिहार से दूरी बना ली थी, लेकिन कांग्रेस में काफी सक्रिय रही हैं. हाल में सुभाषिनी यादव को मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा और पंजाब में राहुल गांधी के साथ भारत जोड़ो यात्रा में पैदल चलते देखा गया था. वहीं शरद यादव को तो राहुल गांधी ने सार्वजानिक रूप से अपना सियासी गुरू तक बताया था. ऐसे में सुभाषिनी यादव का कांग्रेस में राजनीतिक भविष्य काफी मजबूत माना जा रहा है. 

Advertisement

किसे मिलेगी मधेपुरा की सीट?

शरद यादव ने अपने जीवन में ही इच्छा जताई थी कि उनके परिवार का कोई राजनीति में आए. मौजूदा स्थिति में देखें तो 2024 के लोकसभा चुनाव में महज एक साल है और मधेपुरा संसदीय सीट पर जेडीयू का कब्जा है. ऐसे में देखना है कि शरद यादव की परंपरागत सीट रही मधेपुरा से सुभाषिनी या फिर शांतनु कौन चुनाव लड़ता है? 

कौन संभालेगा शरद यादव की राजनीतिक विरासत?

बता दें कि सात बार सांसद रहे शरद यादव की दो संतानें हैं. पुत्र शांतनु और पुत्री सुभाषिनी. शरद यादव के जीवनकाल से ही सुभाषिनी राजनीति में पूरी तरह सक्रिय हैं और उनकी राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ा रही हैं. सुभाषिनी वर्तमान में कांग्रेस पार्टी से जुड़ी हुई हैं. ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि शरद यादव की विरासत सुभाषिनी और शांतनु में से कौन संभालेगा?

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement