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योगी आदित्यनाथ: संत से सियासत और यूपी की सत्ता के शीर्ष तक योगी का 'अजय' पथ!

अजय सिंह बिष्ट ने साल 1994 में बसंत पंचमी के दिन योग की दीक्षा ली थी और तब से उनका नाम योगी आदित्यनाथ हो गया था. साल 1998 में सबसे कम उम्र के सांसद निर्वाचित हुए योगी साल 2017 में पहली बार यूपी के सीएम बने थे.

योगी आदित्यनाथ (फाइल फोटो) योगी आदित्यनाथ (फाइल फोटो)
मंजीत नेगी
  • देहरादून,
  • 25 मार्च 2022,
  • अपडेटेड 5:33 PM IST
  • पौड़ी जिले के पंचूर गांव में हुआ था जन्म
  • 1994 में बसंत पंचमी के दिन ली थी दीक्षा

उत्तर प्रदेश की सियासत के कई मिथक तोड़ते हुए योगी आदित्यनाथ लगातार दूसरी बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बन गए हैं. गोरक्षपीठाधीश्वर महंत योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश का राजनीतिक इतिहास बदल दिया है. पौड़ी गढ़वाल के एक सुदूर पहाड़ी गांव में जन्में एक लड़के की देश के सबसे अधिक आबादी वाले सूबे की सत्ता के शीर्ष पद पर लगातार दूसरी बार ताजपोशी हो गई है.

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योगी आदित्यनाथ उत्तराखंड के पौड़ी जिले की यमकेश्वर तहसील के पंचूर गांव से निकलकर नाथ संप्रदाय के संत बने. योगी आदित्यनाथ के संन्यास लेने से पहले उनका नाम अजय सिंह बिष्ट था. 5 जून 1972 को पंचूर में जन्में योगी आदित्यनाथ के पिता आनंद सिंह बिष्ट वन विभाग में रेंजर थे.

पौड़ी गढ़वाल के पंचूर गांव में हुआ था योगी आदित्यनाथ का जन्म

योगी आदित्यनाथ की माता सावित्री देवी गांव में ही रहती हैं. योगी आदित्यनाथ चार भाई और तीन बहनें हैं. योगी आदित्यनाथ के दो भाई कॉलेज में नौकरी करते हैं जबकि एक भाई सेना की गढ़वाल रेजिमेंट में सूबेदार है. योगी ने अपनी शुरुआती शिक्षा गांव के ही स्कूल से ली.

सहेज कर रखी हैं योगी की यादें

योगी आदित्यनाथ के घर में आज भी उनकी यादें सहेज कर रखी गई हैं. योगी आदित्यनाथ को तस्वीरें खिंचवाने का शौक था. उनके बचपन और गोरखनाथ मठ में दीक्षा लेने की तस्वीरें भी रखी हुई हैं. पढ़ाई के दौरान सीएम योगी की ओर से बनाए गए नोट्स भी घर में सहेज कर रखे गए हैं. योगी ने जिस कमरे में बचपन गुजारा, आज भी गांव आने पर उसी में रुकते हैं. सबसे छोटे भाई महेंद्र बताते हैं कि वे पढ़ाई पर बहुत जोर देते हैं. लड़कियों की शिक्षा पर उनका खासा जोर रहता है. उन्होंने गांव में लड़कियों के लिए डिग्री कॉलेज भी खुलवाया है.

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घर में रखी हैं योगी आदित्यनाथ की तस्वीरें

शर्मीले स्वभाव के थे योगी आदित्यनाथ

योगी आदित्यनाथ को जानने वाले बताते हैं कि वे शुरू से ही शर्मीले स्वभाव के थे, इसी कारण घर में भी बहुत कम बात किया करते थे. उन्होंने अपनी अधिकतर पढ़ाई घर से बाहर रहकर ही की. कक्षा 9 में वे इंटर कॉलेज चमकोटखाल में हॉस्टल में रहें. वे शनिवार की शाम को कॉलेज से घर आते और सोमवार की सुबह-सुबह एक हफ्ते का राशन लेकर फिर हॉस्टल चले जाते. उनके साथ गांव का ही एक लड़का और पढ़ता था. योगी आदित्यनाथ तब गांव के लड़के के साथ ही रहते थे. गणित के सवालों को वे जल्दी से समझते और हल किया करते थे.

पसंद करते थे अकेले रहना
इंटर कॉलेज चमकोटखाल में गणित के शिक्षक डॉक्टर राजेंद्र बमराड़ा बताते हैं कि पढ़ने में काफी तेज रहे योगी आदित्यनाथ अधिकतर अकेले रहना पसंद करते थे. जब वे ऋषिकेश में श्री भरत मंदिर इंटर कॉलेज और डिग्री कालेज ऋषिकेश में पढ़ रहे थे, तब आवास विकास ऋषिकेश में कमरा ले रखा था. उस समय उनके पिताजी वन विभाग में उत्तरकाशी में कार्यरत थे तो कई बार घर जाने से पहले आवास विकास ऋषिकेश आ जाते थे. उनके पिताजी बताते थे कि वे रात के 12 बजे तक कमरे में रहकर पढ़ाई करते रहते थे और फिर सुबह 4 बजे उठकर पढ़ने लगते.

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योगी आदित्यनाथ को पसंद था अकेले रहना

बचपन से था बागवानी का शौक

योगी आदित्यनाथ को बचपन से ही बाग-बगीचे लगाने का शौक था. बचपन में उन्होंने घर के पास ही एक बगीचा लगवाया और पौधों को पानी देने के लिए एक मजदूर रखा. गांव में पानी की कमी रहती थी इसके बाद भी आधा किमी दूर से पानी मंगवाकर वे पौधों में पानी डालते थे. इस बगीचे में आम, अमरूद, आंवला, कटहल, नीबू, बादाम, अखरोट के पौधे थे. योगी आदित्यनाथ 2004 और 2013 में अपने घर पंचूर आए थे और तब अपने लगाए बगीचे को देखने भी गए. योगी आदित्यनाथ ने बगीचे में पेड़-पौधों के आसपास झाड़ियों की सफाई करने और समय पर खाद-पानी देने के लिए भी कहा था.

साल 1990 में एबीवीपी से जुड़े
योगी आदित्यनाथ ग्रेजुएशन की पढ़ाई करते समय 1990 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से जुड़े. सन 1992 में श्रीनगर डिग्री कॉलेज से योगी आदित्यनाथ ने गणित विषय के साथ बीएससी की परीक्षा पास की. जब वो कोटद्वार में रहते थे तो एक बार उनके कमरे से सामान चोरी हो गया. चोरी गए सामान में सनद और अन्य प्रमाण पत्र भी थे. इस कारण गोरखपुर से एमएससी की पढ़ाई करने का प्रयास असफल रह गया. फिर योगी आदित्यनाथ ने ऋषिकेश में एमएससी में प्रवेश तो लिया लेकिन राम मंदिर आंदोलन का प्रभाव और स्नातकोत्तर में प्रवेश की परेशानी से उनका ध्यान दूसरी तरफ बंट गया.

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1993 में महंत अवैद्यनाथ के संपर्क में आए
योगी आदित्यनाथ सन 1993 में पढ़ाई के दौरान ही गुरु गोरखनाथ पर शोध करने गोरखपुर गए. गोरखपुर प्रवास के दौरान ही वे गुरु गोरखनाथ पीठ के महंत रहे अवैद्यनाथ के संपर्क में आए. महंत अवैद्यनाथ योगी आदित्यनाथ के पड़ोसी गांव के ही निवासी थे और उनके परिवार के पुराने परिचित भी थे. योगी आदित्यनाथ, महंत अवैद्यनाथ की शरण में चले गए और उनसे पूर्ण दीक्षा प्राप्त की. योगी आदित्यनाथ 21 साल की आयु में सन 1994 में सांसारिक मोहमाया त्यागकर पूर्ण संन्यासी बन गए जिसके बाद उनका नाम अजय सिंह बिष्ट से योगी आदित्यनाथ हो गया. महंत अवैद्यनाथ ने 1994 में योगी आदित्यनाथ को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया.

बसंत पंचमी के दिन ली थी दीक्षा

पारिवारिक मोहमाया और आरामभरी जिंदगी छोड़कर संन्यास लेने के सवालों पर योगी आदित्यनाथ ने खुद कहा था कि मेरी जिंदगी में अध्यात्म का महत्व शुरू से ही था. जब ग्रेजुएशन कर रहा था, उस समय महंत अवैद्यनाथ के संपर्क में आ गया था. उस समय दो चीजें चल रही थीं- एक तो अध्यात्म की ओर रूचि थी, दूसरा उस समय के सबसे बड़े सांस्कृतिक आंदोलन रामजन्म भूमि आंदोलन की मुक्ति यज्ञ समिति के अध्यक्ष महंत अद्वैतनाथ थे. इन दोनों कारणों से उनके संपर्क में आया और फिर आगे बढ़ता गया. 1993 में संन्यास लेने का पूर्ण निश्चय किया और 1994 में बसंत पंचमी के दिन योग की दीक्षा ले ली.

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बसंत पंचमी के दिन योगी आदित्यनाथ ने ली थी दीक्षा

1998 में पहली बार बने थे सांसद

योगी आदित्यनाथ साल 1998 के लोकसभा चुनाव में गोरखपुर संसदीय सीट से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के टिकट पर पहली बार सांसद निर्वाचित हुए. उस समय योगी आदित्यनाथ सबसे कम उम्र के सांसद थे. इसके बाद वे 1999, 2004, 2009 और 2014 के लोकसभा चुनाव में भी गोरखपुर संसदीय सीट से सांसद निर्वाचित होते रहे. 12 सितंबर 2014 को महंत अवैद्यनाथ के निधन के बाद योगी आदित्यनाथ गोरखनाथ मंदिर के महंत बने. यूपी विधानसभा के 2017 के चुनाव में बीजेपी को पूर्ण बहुमत मिला जिसके बाद योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बने.

 

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