
पंजाब के अजनाला की घटना ने जहां एक ओर खालिस्तानियों द्वारा पैदा खतरे को उजागर किया है. वहीं पंजाब पुलिस को भी सवालों के घेरे में ला दिया है. पुलिस पर सवाल उठ रहे हैं कि अगर आरोपी लवप्रीत सिंह तूफान निर्दोष था और मौके पर मौजूद नहीं था तो उसे गिरफ्तार क्यों किया गया?
इसके अलावा, अगर अमृतपाल सिंह सहित अन्य के खिलाफ आरोप सही हैं तो उन्हें छोड़ा क्यों गया. क्या पंजाब पुलिस उन कट्टरपंथियों के दबाव में काम कर रही है, जिन्होंने पुलिस पर झूठे मामले दर्ज करने का आरोप लगाया है.
अजनाला मामले में पंजाब पुलिस की जांच पर वकीलों ने भी सवाल उठाए हैं. पुलिस पर यह भी सवाल उठ रहा है कि क्या पुलिस ने अमृतपाल सिंह द्वारा दिए गए सबूतों का सत्यापन किया है या यह आरोपियों को छोड़ने के लिए सिर्फ एक बहाना था.
वहीं 'वारिस पंजाब दे' के प्रमुख अमृतपाल सिंह ने लवप्रीत तूफान के रिहा होने के बाद कहा कि 'एफआईआर फर्जी थी. बयान देकर डीजीपी डराने की कोशिश कर रहे हैं. अगर झूठे मामले फिर से दर्ज किए गए तो विरोध फिर से होगा. उन्होंने पहले गैंगस्टरों को पनाह दी थी. अब वे आतंकवादी बनाना चाहते हैं.'
हथियारों से लैस होकर थाने पर बोला था हमला
बता दें कि पुलिस गुरुवार को हथियारों से लैस प्रदर्शनकारियों को रोकने में विफल रही, जिन्होंने अपहरण और दंगों के आरोपियों में से एक तूफान की रिहाई को लेकर अजनाला पुलिस स्टेशन पर धावा बोल दिया था.
इस दौरान छह पुलिसकर्मी घायल हो गए. 'वारिस पंजाब दे' के प्रमुख अमृतपाल सिंह और उसके 25 साथियों के खिलाफ अजनाला पुलिस ने 16 फरवरी को केस दर्ज किया था. यह एफआईआर अमृतपाल सिंह के पूर्व सहयोगी बरिंदर सिंह की शिकायत पर दर्ज की गई थी.
अमृतपाल सिंह और लवप्रीत तूफान सहित इन लोगों पर लगा था ये आरोप
लवप्रीत सिंह तूफान के साथ अमृतपाल सिंह और पांच अन्य लोगों के अलावा 20 अज्ञात लोगों पर आईपीसी की धारा 365, 379बी (2), 323, 506 (II), 148, 149 सहित आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया था. आरोप था कि इन सभी ने कथित तौर पर बरिंदर सिंह नाम के व्यक्ति को अजनाला से अगवा कर लिया और फिर मारपीट की. इसी के साथ धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का भी आरोप है.
पुलिस पर सवाल उठने के बाद पंजाब डीजीपी ने जारी किया बयान
पंजाब के डीजीपी गौरव यादव ने शुक्रवार को पुलिस पर उठ रहे सवालों का खंडन करते हुए कहा कि अमृतपाल सिंह ने धर्म की आड़ में थाने पर धावा बोलने की कोशिश की और गुरु ग्रंथ साहिब को थाने ले गए. डीजीपी ने खालिस्तानियों और विदेशी एजेंसियों पर राज्य में कानून व्यवस्था को बिगाड़ने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि इस पूरे मामले की जांच जारी है. हमलावरों की पहचान की जा रही है. उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा रही है.
अमृतपाल सिंह और लवप्रीत पर केस दर्ज कराने वाले ने लगाए हैं ये आरोप
शिकायतकर्ता बरिंदर सिंह ने शिकायत में कहा है कि वह अमृतपाल सिंह के प्रशंसक थे, लेकिन उन्होंने सोशल मीडिया पर अपने सहयोगियों के गलत कामों को उजागर किया तो अमृतपाल सिंह नाराज हो गए. अमृतपाल सिंह ने कथित तौर पर 15 से 20 बार थप्पड़ मारे, गाली-गलौज कर अभद्रता की. आरोप है कि रूपनगर जिले के सलेमपुर गांव के रहने वाले फरियादी को तीन घंटे तक पीटा गया. शिकायतकर्ता बरिंदर सिंह ने अमृतपाल सिंह पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं.
पंजाब पुलिस ने केस की जांच के लिए एसआईटी का किया है गठन
खालिस्तान के समर्थकों पर नरमी बरतने के लिए आलोचना का सामना कर रही पंजाब पुलिस ने 16 फरवरी को यह केस दर्ज किया था. इस मामले की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया गया है. अमृतपाल सिंह ने जहां केस को रद्द करने की मांग की है.
वहीं डीजीपी गौरव यादव ने संकेत दिया है कि पुलिस तथ्यों की पुष्टि कर रही है, आगे की कार्रवाई तथ्यों पर निर्भर करेगी. पुलिस भी अमृतपाल सिंह और उनके समर्थकों को बख्शने के मूड में नहीं है, जिन्होंने शांतिपूर्ण प्रदर्शन के आश्वासन के बावजूद अजनाला पुलिस स्टेशन पर धावा बोल दिया और हथियारों से पुलिस पर हमला कर दिया.