
जिस भगोड़े अमृतपाल को पंजाब पुलिस चप्पे-चप्पे पर ढूंढ रही है. उसने पुलिस को चकमा देने के लिए अपना पूरा हुलिया ही बदल लिया है. अमृतपाल ने अपनी पगड़ी हटा दी है और अब वह खुले बालों में घूम रहा है. यह सब खुलासा हरियाणा के कुरुक्षेत्र से गिरफ्तार की गई महिला ने पूछताछ में किया है.
अमृतपाल पंजाब पुलिस की आंखों में धूल झोंककर पहले पंजाब में घूमता रहा. इसके बाद वह हरियाणा भाग गया. 18 मार्च की रात अमृतपाल अपने करीबी पप्पनप्रीत के साथ जुपिटर स्कूटी में बैठकर लुधियाना होते हुए पटियाला पहुंचा. पटियाला में दोनों अपने करीबी के यहां रुके.
इसके बाद 19 मार्च की सुबह अमृतपाल और पप्पनप्रीत पटियाला से निकल गए. यहां से दोनों हरियाणा के शाहबाद इलाके में बलजीत कौर नाम की महिला के घर पहुंचे. रात को खाना खाते वक्त बलजीत कौर के भाई ने अमृतपाल को पहचान लिया, लेकिन सबने मिलकर बलजीत के भाई को शांत करवा दिया.
अमृतपाल ने बलजीत कौर और उसके भाई का फोन इस्तेमाल किया. कुछ नंबरों पर फोन कॉल किया और कॉल करने के बाद मोबाइल से नंबर डिलीट कर दिया. अमृतपाल बलजीत कौर के घर में बैठा रहा, जबकि 20 मार्च को पप्पनप्रीत सिंह घर से बाहर निकला. उसने तमाम बस अड्डों की रेकी की और पता किया कि बस कहां से जाती है.
अमृतपाल ने घर से जाते वक्त जुपिटर स्कूटी और कुछ सामान बलजीत कौर के भाई को दे दिया. उसने पटियाला का एक मोबाइल नंबर दिया और कहा की ये स्कूटी पटियाला में वापस करनी है. बलजीत कौर के भाई ने स्कूटी पटियाला में जाकर वापस कर दी.
बता दें कि बलजीत कौर पप्पनप्रीत की करीबी है. वह इंस्टाग्राम के जरिए दोस्त बनी है, लिहाजा घर से जाते वक्त अमृतपाल ने पप्पनप्रीत से बलजीत कौर से वाट्स ऐप और इंस्टाग्राम की चैट्स डिलीट करवाई और किसी के सामने जुबान ना खोलने की हिदायत भी दी.
हरियाणा पुलिस के मुताबिक बलजीत कौर 32 साल की है. उसने एमबीए किया हुआ है. उसका भाई एसडीएम के कार्यालय में काम करता है. बलजीत धर्म के प्रति झुकाव रखती है. वह इंस्टाग्राम के जरिये अमृतपाल के संपर्क में आई थी. इसके बाद से ही वह अमृतपाल को फॉलो कर रही थी.
फरार होने के बाद कहां गया अमृतपाल?
18 मार्च को अमृतपाल नंगल अंबिया में गुरुद्वारे में गया. स्नान और दोपहर का भोजन किया. निहंग से लेकर शर्ट-पैंट पहना और गुलाबी पगड़ी बांधी. सिख उपदेशक के मोबाइल से हरियाणा के रेवाड़ी में फोन किया. नकोदर-शाहकोट में 2 लोगों को बुलाया. इन्होंने अमृतपाल के लिए बाइक की व्यवस्था की.
इसके बाद अमृतपाल लुधियाना चला गया. उसने जालंधर में अपने चार सहयोगियों को छोड़ दिया. इसके बाद वह शेखूपुरा गुरुद्वारे में ठहरा. गुरुद्वारे के प्रचारक ने बाइक-स्कूटी की व्यवस्था की. अमृतपाल स्कूटी पर सवार हुआ, जिसे ग्रंथी के बेटे ने चलाया. ग्रंथी का रिश्तेदार बाइक चला रहा था. अमृतपाल का करीबी पप्पनप्रीत उसके साथ था.
19 मार्च को अमृतपाल हरियाणा पहुंचा. कुरुक्षेत्र के पास शाहाबाद में रुका. वह यहां बलजीत कौर के ठिकाने पर ठहरा. अमृतपाल और पप्पनप्रीत एक स्कूटी से 19 मार्च को बलजीत के घर आए और वहां से 20 मार्च की सुबह निकल गए.
21 मार्च को अमृतपाल ने कुरुक्षेत्र छोड़ दिया और माना जा रहा है कि उसने गिरफ्तार महिला से कहा था कि वह उत्तराखंड जा रहा है.
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