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गिरफ्तारी के बाद अमृतपाल मिनटों में पहुंचा 2500 KM दूर, ऐसी थी पंजाब सरकार की प्लानिंग

पंजाब में खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह की गिरफ्तार के बाद पंजाब सरकार ने उसे असम पहुंचाने की प्लानिंग पहले से कर ली थी. गिरफ्तारी के तुरंत बाद बठिंडा में वायु सेना के एएन32 विमान ने लैंड किया और फिर चंद मिनटों के बाद उसे एक बार फिर पंजाब से पूर्व दिशा की तरफ उड़ान भरते हुए देखा गया था.

डिब्रूगढ़ की जेल में बंद है अमृतपाल डिब्रूगढ़ की जेल में बंद है अमृतपाल
अभिषेक भल्ला/अंकित कुमार
  • नई दिल्ली,
  • 24 अप्रैल 2023,
  • अपडेटेड 11:46 PM IST

वारिस पंजाब दे संगठन का प्रमुख और खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह की गिरफ्तारी के बाद पंजाब के सीएम भगवंत मान ने कहा था कि वो उस रात को सो नहीं पाए थे. उन्हें नींद नहीं आई और पूरी रात वो घटनाक्रम पर अपनी नजर बनाए हुए थे.

अब उस दिन का वो घटनाक्रम सामने आया है, जिसमें अच्छी प्लानिंग की बदौलत चंद मिनटों में अमृतपाल को पंजाब से करीब 2500 किमी दूर असम के डिब्रूगढ़ जेल सुरक्षित पहुंचा दिया गया. दरअसल, रविवार की सुबह अमृतपाल की गिरफ्तारी की खबर मिलते ही सर्वोच्च प्राथमिकता के आधार पर उसे डिब्रूगढ़ जेल में तत्काल सुरक्षित पहुंचाने की व्यवस्था की गई.

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भारतीय वायुसेना की ली गई मदद 

अमृतपाल ने 35 दिनों तक फरार रहने के बाद आत्मसमर्पण किया था. पंजाब सरकार जल्द से जल्द उसे वहां से निकालना चाहती थी, ताकि कानून-व्यवस्था की स्थिति न बिगड़े. सुरक्षा एजेंसियों के सामने उसे 2,500 किलोमीटर दूर डिब्रूगढ़ जेल पहुंचाना एक चुनौती थी. इसके लिए भारतीय वायु सेना से मदद ली गई और परिवहन विमान एएन-32 आरआई से उसे असम ले जाया गया.       

ओपन-सोर्स फ्लाइट डेटा के अनुसार, वायु सेना के परिवहन विमान AK2698 को रविवार की सुबह 7:22 बजे बठिंडा के पास आते हुए देखा गया. थोड़ी देर में इस विमान को एक बार फिर बठिंडा से पूर्वी दिशा की ओर दस हजार फीट की ऊंचाई पर वापस उड़ते हुए देखा गया.      

इस विमान के डिब्रूगढ़ हवाईअड्डे पर उतरने के बाद पंजाब प्रशासन ने राहत की सांस ली. बता दें कि एंटोनोव 32 जिसे एएन32 के रूप में भी जाना जाता है, वो भारतीय वायु सेना का एक पुराना परिवहन विमान है.

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भारतीय सेना के पास 100 एएन32 विमान

ये विमान देश भर में वायु सेना की सामग्री और कर्मियों को ले जाता है. वायु सेना के पास ऐसे 100 विमान हैं, जो रूस से खरीदे गए थे. यूक्रेन के साथ मिलकर 400 मिलियन डॉलर के सौदे में 2009 में इसका अपग्रेडेशन किया गया था.

वायुसेना ने एएन32 विमान को 1984 और 1991 के बीच अपने बेड़े में शामिल किया था. हालांकि, भारतीय वायुसेना अब अगले एक दशक के भीतर इन्हें सेवा मुक्त करने पर विचार कर रही है.

एयरफोर्स मैसर्स एयरबस डिफेंस एंड स्पेस S.A, टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड (TASL) के टाटा कंसोर्टियम और टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) द्वारा निर्मित 56 C-295MW परिवहन विमानों को खरीदने की प्लानिंग कर रही है.

यह अपनी तरह का पहला प्रोजेक्ट है, जिसमें एक निजी कंपनी द्वारा भारत में सैन्य विमान का निर्माण किया जाएगा. परियोजना की कुल लागत 21,935 करोड़ रुपये है. इस परियोजना के तहत कुल 56 विमानों का निर्माण किया जाएगा. इसमें 16 विदेश से आएंगे, जबकि बाकी का निर्माण देश में ही किया जाएगा.

हर परिस्थिति में काम आता है एएन32

एएन32 आज तक भारतीय वायुसेना के लिए एक प्रमुख परिवहन विमान बना हुआ है. इसे सभी प्रकार की आपात स्थितियों में सेवा में लगाया जाता है. लद्दाख में तनाव की स्थिति में सैनिकों को पहुंचाना हो या फिर कोरोना महामारी में राहत सामग्री हर परिस्थिति में इसका इस्तेमाल किया जाता है.

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हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में AN32 विमान दुर्घटनाग्रस्त भी हुए हैं, जिसमें कई लोगों ने जान गंवाई है. इसलिए AN32 बेड़े को बदलना अब जरूरी हो गया है.

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