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25 साल पहले तालिबान के डर से अफगानिस्तान से भारत आया था सिख परिवार, अब तक नहीं मिली नागरिकता

अफगानिस्तान में अब तालिबान का कब्जा हो गया है. 25 साल पहले तालिबान के डर से एक सिख परिवार भारत आया था. इतने साल बीत जाने के बाद भी अब तक इस परिवार को भारत की नागरिकता नहीं मिली है.

शूरवीर सिंह और शिवकुमार भारतीय नगारिकता के लिए लगा रहे हैं सरकार से गुहार. शूरवीर सिंह और शिवकुमार भारतीय नगारिकता के लिए लगा रहे हैं सरकार से गुहार.
अमित शर्मा/सिथुन मोदक/सत्यजीत कुमार
  • अमृतसर,
  • 17 अगस्त 2021,
  • अपडेटेड 8:09 PM IST
  • तालिबान के डर से छोड़ा था अफगानिस्तान
  • 25 साल पहले भारत में आकर बसा परिवार
  • अब तक नहीं मिल सकी है भारतीय नागरिकता

अफगानिस्तान की कमान एक बार फिर तालिबान के हाथों में है. तालिबान में रहने वाले लोग एक बार फिर आशंकित हैं कि उनका भविष्य क्या होगा. कुछ ऐसे ही माहौल में तालिबान राज के दौरान एक सिख परिवार 25 साल पहले पंजाब के अमृतसर जिले में आ गया था. यह परिवार तालिबान के दोबारा सत्ता में आने के बाद वहां के मंजर को सोचकर डरा हुआ है.

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शूरवीर सिंह जब महज 5 साल के थे तो उनके माता-पिता उन्हें तालिबान के अत्याचारों से बचाने के लिए भारत लेकर चले आए थे. तब भी अफगानिस्तान अल्पसंख्यकों और आम नागरिकों पर अत्याचार करता था. तब से अब तक 25 साल हो गए हैं, अफगानिस्तान की हालत एक बार फिर वैसी ही हो गई है.

सूरवीर सिंह भले ही 5 साल की उम्र से भारत में रह रहे हों लेकिन उन्हें अब तक भारत की नागरिकता नहीं मिली है. उनसे प्रशासन वीजा बढ़ाने के लिए पासपोर्ट रिन्यू कराने के लिए कह रहा है. लेकिन अब अफगानिस्तान के हालात ऐसे हैं कि वहां जाया नहीं जा सकता. ऐसे में उनकी नाराजगी सरकार से साफ झलक रही है.

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नागरिकता को लेकर सरकार से नाराज

शूरवीर सिंह ने कहा, ' मुझे यहां आए 25 साल हो गए हैं लेकिन अभी तक भारतीय नागरिकता नही मिल सकी है. अब मुझसे वीजा बढ़ाने के लिए पासपोर्ट रिन्यू कराए जाने की बात कही जा रही है. अब अफगानिस्तान के हालात ऐसे हैं कि वह वहां जा नहीं सकते, इसलिए भारतीय नागरिकता दी जाए.'

अफगानिस्तान में हिंदू-सिखों को बार लाए सरकार

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शूरवीर सिंह ने कहा है कि हिंदू और सिख अब भी अफगानिस्तान में फंसे हुए हैं. ऐसे में उनकी सुरक्षा भारत सरकार की जिम्मेदारी है. उन्हें भारत सरकार सकुशल भारत लेकर आए. सोमवार को ही केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा था कि अफगानिस्तान में फंसे हुए हिंदू और सिखों को लाने के लिए विदेश मंत्रालय और संबंधित विभाग काम कर रहे हैं.

अफगानिस्तान छोड़ना चाह रहे लोग

अफगानिस्तान के रहने वाले लोग भी तालिबान के खौफ से देश छोड़ना चाहते हैं. यही वजह है कि काबुल पर रविवार को अफगानिस्तान के कब्जे के बाद से ही एयरपोर्ट पर भारी भीड़ जमा हो गई है. लोग विमानों के पीछे भागते नजर आ रहे हैं. ऐसे में दूसरे देश की सरकारें अपने नागरिकों को वापस बुला रही हैं. भारतीय नागरिकों को भी वापस बुलाया जा रहा है.

तालिबान की दस्तक से डरा धनबाद में रहने वाला पश्तूनिस्तान परिवार

अफगानिस्तान के भयावह हालात को देखकर पश्तूनिस्तान के कुछ परिवार धनबाद में 70 सालो से रह रहे हैं. पश्तूनिस्तान से जुड़े परिवार के लोगों ने बताया कि भारत में पूर्व रहते आए हैं. भारत सरकार के सहयोग से ही हम यहां रह रहे हैं. यहां से बेहद लगाव है. हम इसी देश में सुरक्षित हैं. अफगानिस्तान में मौजूदा स्थितियां डराने वाली हैं. तालिबानी पूरी तरह से काबुल पर काबिज हो गए हैं. वे यहां अब गोलीबारी से हुकूमत चलाएंगे.

 

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पश्तूनिस्तान से आया यह परिवार दशकों से भारत में रह रहा है.

पश्तूनिस्तान निवासी वसीम खान ने कहा कि अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच पश्तूनिस्तान बसा हुआ है, जिसे आज तक आजाद नहीं किया गया है. पाकिस्तान का कब्जा इस देश पर बना हुआ है. तालिबान पाकिस्तान के इशारे पर ही अफगानिस्तान में काबिज हुआ है. कभी भी अफगानिस्तान अमन-चैन से नहीं रहा है. यहां रह रहे हमारे लोग भी काफी डरे हुए हैं. कब क्या हो जाएगा पता नहीं. तालिबान अब अपना कानून चलाएगा. दुनिया के सभी देशों को इस विषय पर विचार करना चाहिए. नहीं तो पूरे देश पर खतरा मंडराएगा.


 

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