
अमृतसर रेल हादसे की जिम्मेदारी से रेलवे प्रशासन और उसके कर्मचारियों लगातार पल्ला झाड़ रहे हैं. रेलवे बोर्ड के चेयरमैन अश्वनी लोहानी और रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा के बाद डीएमयू ट्रेन के ड्राइवर का बयान सामने आया है. रेल विभाग को दी अपनी सफाई में ड्राइवर अरविंद कुमार ने कहा कि जब उसको अचानक ट्रैक पर लोगों का हुजूम दिखा, तो उसने हॉर्न बजाते हुए इमरजेंसी ब्रेक लगा दी. इसके बावजूद कुछ लोग गाड़ी की चपेट में आ गए.
हादसे में 59 लोगों की जान लेने वाली ट्रेन के ड्राइवर अरविंद कुमार ने कहा, 'इमरजेंसी ब्रेक के बाद गाड़ी रुकने वाली थी, लेकिन तभी भीड़ ने पत्थरों से हमला कर दिया. मैंने गाड़ी में बैठी सवारियों की सुरक्षा को देखते हुए गाड़ी को आगे बढ़ाया और स्टेशन पर आ गया. साथ ही इसकी सूचना तुरंत मैंने सभी संबंधित अधिकारियों को दी.'
इससे पहले अमृतसर रेल हादसे को लेकर रेलवे ने सफाई देते हुए कहा था कि जिस जगह पर डीएमयू की वजह से रेल हादसा हुआ, वहां पर पटरियों में घुमाव है. लिहाजा दूर से लोको पायलट नहीं समझ पाया था कि लोग पटरी पर जमा हैं. हालांकि आजतक के हाथ ऐसी जानकारी लगी है, जो रेलवे प्रशासन के बयान से एकदम उलट है.
जोड़ा फाटक से दोनों तरफ जालंधर-अमृतसर रेल ट्रैक एकदम सीधा है और सबसे बड़ी बात यह है कि लोको पायलट की नजर सिक्स बाई सिक्स होती है. ऐसे में ट्रैक पर जमा लोगों को न देख पाने की बात अपने आप में अचरज में डालने वाली है. जिस जगह पर यह हादसा हुआ, वहां पर जोड़ा फाटक के पास रेलवे की कोई फेंसिंग भी नहीं है.
रेलवे यह भी दावा कर रहा है कि ट्रैक पर लोग गैरकानूनी रूप से आ गए थे. लिहाजा इसके लिए उसकी कोई जिम्मेदारी नहीं बनती है. इसके साथ ही रेलवे का यह भी कहना है कि विजयदशमी के मेले के आयोजन की जगह भी उनके अंतर्गत नहीं आती है. लिहाजा उनसे परमिशन की भी जरूरत नहीं थी.
रेलवे बोर्ड के चेयरमैन ने क्या कहा था?
रेल हादसे पर रेलवे बोर्ड के चेयरमैन अश्वनी लोहानी का कहना है कि इस हादसे में लोको पायलट की कोई गलती नहीं है. क्योंकि जहां पर यह हादसा हुआ, वह जगह रेलवे के कानून के मुताबिक लोगों के इकट्ठा होने के लिए नहीं है. ऐसी किसी जगह पर जब लोग इकट्ठा होंगे, तो उसे गैर कानूनी एंट्री माना जाता है.
उन्होंने कहा था कि रेल संरक्षा आयोग नागर विमानन मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में काम करता है और सभी रेल दुर्घटनाओं की अनिवार्य जांच करता है. यह एक ऐसा हादसा था, जिसमें लोगों ने रेल पटरी पर अनधिकृत प्रवेश किया और यह कोई रेल दुर्घटना नहीं है.
रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा ने क्या कहा था?
इसके अलावा रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा ने घटनास्थल का दौरा करने के बाद कहा था कि घटना के वक्त शाम हो चुकी थी और वहां कि पटरी भी घुमावदार थी, जिसके चलते ड्राइवर को आगे नहीं दिखाई पड़ा होगा. जब उनसे ट्रेन की रफ्तार के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा था कि ट्रेनें तो स्पीड से ही चलती हैं.
गेटमैन के खिलाफ कार्रवाई करने के सवाल पर उन्होंने कहा था कि जिस जगह पर रावण का पुतला जलाया जा रहा था, वहां से रेल फाटक 300 मीटर दूर है. मामले की जांच के सवाल पर सिन्हा का कहना था कि किस बात की इनक्वायरी हम कराएं...?
जब उनसे पूछा गया कि क्या ड्राइवर किसी भी तरह ट्रेन नहीं रोक सकता था. इस पर मंत्री ने कहा था कि पटरी से 70 मीटर दूर कार्यक्रम हो रहा था, इसके अलावा वहां हलका मोड़ भी था, तो ड्राइवर को कैसे दिखाई देता?
कैसे हुआ था अमृतसर रेल हादसा?
बता दें कि शुक्रवार शाम को अमृतसर के चौड़ा बाजार स्थित जोड़ा फाटक के रेलवे ट्रैक पर लोग मौजूद थे. पटरियों से महज 200 फुट की दूरी पर पुतला जलाया जा रहा था. इसी दौरान जालंधर से अमृतसर जा रही डीएमयू ट्रेन वहां से गुजरी और ट्रैक पर मौजूद लोगों को कुचल दिया. इसके बाद चारो ओर लाशें बिछ गईं. इस हादसे में 59 लोगों की मौत हुई है, जबकि 57 लोग घायल हैं. हादसे के वक्त ट्रेन की रफ्तार करीब 100 किमी. प्रति घंटे थी.