
शुक्रवार शाम पंजाब के अमृतसर में भी दशहरा मनाया जा रहा था. यहां के चौड़ा बाजार के पास भी लोग रावण दहन देखने के लिए इकट्ठा हुए और उसी वक्त जालंधर से अमृतसर जा रही डीएमयू ट्रेन लोगों को रौंदती हुई आगे निकल गई. इस दर्दनाक हादसे में 60 लोगों की मौत हो गई. कैसा था वो मंजर जानिए चश्मदीद से...
चश्मदीद: चारों तरफ लाशें ही लाशें थीं
जब रावण के पुतले को आग लगाई गई, तो पटाखों की तेज आवाज के साथ पुतला जलने लगा. उसी दौरान ट्रेन आ गई और पटरी पर जितने लोग थे उन्हें रौंदते हुए निकल गई. कई लोग ट्रेन से बचने के लिए इधर-उधर भागे जिससे वे चोटिल हो गए. कई लोगों को पत्थरों से चोट लगी. मैंने देखा कि मुझे ब्लीडिंग हो रही थी और चारों तरह लाशें ही लाशें थीं.
अमृतसर रेल हादसा: DRM ने बताया, दुर्घटना के बाद ड्राइवर ने क्यों नहीं रोकी ट्रेन
चश्मदीद: हर बार लेट होती थी ट्रेन, कल वक्त पर आ गई
हम सब मेला देखने गए थे. जैसे ही रावण को आग लगाई, उसके बाद दूसरी साइड से इतनी तेजी से ट्रेन आई कि किसी को भनक ही नहीं लगी. पहली बार इतनी तेज ट्रेन गुजरी थी. हर बार यह ट्रेन लेट होती थी और सात बजे के बाद आती थी, लेकिन कल यह 6.45 बजे ही यहां से निकल गई.
चश्मदीद: लाशें उछल रही थीं, जिसकी वजह से मैं भी गिर गया
ट्रेन इतनी तेजी से निकली कि उसके सामने जो भी आया उसकी जान चली गई, लाशें उछलकर आईं जिनसे टकराकर मैं भी गिर गया.
कैसे हुआ अमृतसर ट्रेन हादसा? देखें, दिल दहला देने वाले 8 वीडियो
चश्मदीद: 1947 में देखा था ऐसा मंजर
ऐसा मंजर फिल्मों में 1947 को लेकर देखा था और सुना था. 1947 के बाद अमृतसर में ऐसा मंजर पहली बार देखा गया जब यहां पर सिर्फ और सिर्फ शव पड़े हैं. जो भी इसके लिए जिम्मेदार है उस पर कार्रवाई हो.