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अमृतसर ट्रेन हादसे के बाद कठघरे में सिद्धू दंपति, देने होंगे इन सवालों के जवाब

नवजोत कौर ने अपनी सफाई में कहा है कि ट्रेन ने न तो हॉर्न दिया और न ही उसे धीमा किया गया. उन्होंने कहा कि हर साल वहां दशहरा होता है और अकाली सरकार में भी इसी जगह रावण दहन किया जाता था.

रावण दहन कार्यक्रम के आयोजक सौरभ के साथ नवजोत कौर (फोटो- आजतक/सतेंदर चौहान) रावण दहन कार्यक्रम के आयोजक सौरभ के साथ नवजोत कौर (फोटो- आजतक/सतेंदर चौहान)
जावेद अख़्तर
  • नई दिल्ली,
  • 20 अक्टूबर 2018,
  • अपडेटेड 12:41 PM IST

अमृतसर ट्रेन हादसे पर पंजाब की कैप्टन अमरिंदर सरकार ने जांच के आदेश तो दे दिए हैं, लेकिन सवालों के घेरे में अमरिंदर कैबिनेट के मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू और उनकी पत्नी नवजोत कौर हैं. क्योंकि जिस वक्त यह हादसा हुआ, नवजोत कौर रावण दहन कार्यक्रम के मंच पर मौजूद थीं और जिस जगह यह समारोह आयोजित किया गया वह नवजोत सिंह सिद्धू के विधानसभा क्षेत्र में आता है.

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इस मामले पर रेलवे जो बयान दे रहा है, उससे स्थानीय नेतृत्व और कार्यक्रम के आयोजकों पर गंभीर सवाल खड़े रहे हैं. हालांकि, नवजोत सिंह सिद्धू और उनकी पत्नी रेलवे पर सवाल उठा रहे हैं, लेकिन फिरोजाबाद के डीआरएम ने ऐसे आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है. यहां तक कि रेल राज्य मंत्री ने भी रेलवे को पूरी तरह से क्लीन चिट दे दी है. ऐसे में नवजोत कौर सिद्धू पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं.

1. आयोजन क्यों होने दिया?

रावण दहन का कार्यक्रम जिस जगह आयोजित किया गया, वह अमृतसर और मनावला के बीच फाटक नंबर 27 के पास है. रेलवे क्रॉसिंग से घटनास्थल की दूरी करीब 300 मीटर है. जबकि पुतला दहन स्थल और रेलवे ट्रैक के बीच करीब 70 मीटर की दूरी थी. बावजूद इसके यहां पुतला दहन कार्यक्रम का आयोजन किया गया. यह कार्यक्रम यूथ कांग्रेस के नेता सौरभ की तरफ से आयोजित किया गया, जो नवजोत कौर के करीबी माने जाते हैं. ऐसे में सवाल ये कि नवजोत कौर ने इस कार्यक्रम को आयोजित ही क्यों होने दिया?

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2. आयोजन की इजाजत क्यों नहीं ली?

स्थानीय प्रशासन का कहना है कि इस कार्यक्रम का आयोजन करने के लिए इजाजत नहीं ली गई. अगर ऐसा है तो फिर पंजाब सरकार में मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू की पत्नी नवजोत कौर उस कार्यक्रम में ही क्यों पहुंचीं और उन्होंने आयोजक से इसकी परमिशन लेने के लिए क्यों नहीं कहा.

3. सुरक्षा सुनिश्चित क्यों नहीं की गई?

नवजोत कौर एक ऐसे कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचीं थीं, जो संवेदनशील जगह आयोजित किया गया था. साथ ही प्रशासन ने जब इसकी इजाजत ही नहीं दी थी तो नवजोत कौर ने वहां पर्याप्त सुरक्षा के लिए प्रशासन से मांग क्यों नहीं की?

4. रेलवे से कोई बातचीत क्यों नहीं हुई

नवजोत कौर के पति नवजोत सिंह सिद्धू अमृतसर सीट से सांसद भी रहे हैं. 2017 के विधानसभा चुनाव में वो इसी इलाके से विधायक निर्वाचित हुए. उनकी पत्नी नवजोत कौर भी सार्वजनिक जीवन में काफी सक्रिय रहती हैं. ऐसे में इस तरह की जानलेवा जगह पर भीड़-भाड़ वाले कार्यक्रम में पहुंचने से पहले नवजोत कौर ने रेलवे से क्यों कोई बात नहीं की और ट्रेन की गति कम कराने या जीआरपी के जवानों की तैनाती की मांग क्यों नहीं की गई?

5. लोगों को आगाह क्यों नहीं किया?

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बताया जा रहा है कि इलाके में रावण दहन के कई कार्यक्रम आयोजित हुए थे और नवजोत कौर यहां सबसे आखिर में पहुंचीं थीं. जब वो वहां गईं तो आसपास करीब 5 हजार लोग जमा हो गए थे. ऐसे में मंच से करीब 70 मीटर दूर गुजर रही रेल पटरी पर खड़े लोगों को देखकर भी नवजोत ने उन्हें वहां से हटने के लिए क्यों नहीं कहा. जबकि मंच से संबोधन दे रहा व्यक्ति बता रहा था कि मैडम आपके स्वागत में इतने हजार लोग आए हैं.

6. हादसे के बाद मदद क्यों नहीं की?

चश्मदीद आरोप लगा रहे हैं कि जब ट्रेन ने लोगों को कुचल दिया तो नवजोत कौर वहां से अपनी कार में बैठकर चली गईं. आरोप है कि नवजोत ने किसी हताहत को मदद पहुंचाने तक की जहमत नहीं उठाई. हालांकि, इसके बाद वो रात के वक्त अस्पताल जरूर पहुंचीं और उन्होंने घटनास्थल से भाग जाने जैसे सभी आरोपों को बेबुनियाद करार दिया.

बता दें शुक्रवार शाम ये हादसा अमृतसर और मनावला के बीच फाटक नंबर 27 के पास हुआ. शाम करीब 7 बजे जोड़ा फाटक पर रेलवे ट्रैक पर लोग मौजूद थे. पटरियों से महज 200 फीट की दूरी पर पुतला जलाया जा रहा था. इस हादसे में अब तक 60 लोगों की मौत हो गई है. जबकि 51 लोग गंभीर रूप से जख्मी हैं, जिनका अस्पताल में इलाज चल रहा है.

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ताज्जुब की बात ये है कि यहां सालों से यूं ही रावण दहन होता रहा है. यानी सालों से हादसे का इंतजार किया जा रहा था. स्थानीय प्रशासन या तो खतरे की अनदेखी करता रहा या फिर उसे इतनी छोटी सी बात समझ में नहीं आई कि रावण दहन का कार्यक्रम कराना कितना खतरनाक था. अब रेलवे, स्थानीय प्रशासन, सांसद-सरकार, सब एक-दूसरे पर टोपी ट्रांसफर कर रहे हैं.

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