Advertisement

सिद्धू दंपति को ऐसी दी क्लीनचिट, आयोजकों पर कैसे फोड़ा ठीकरा

पंजाब सरकार की जांच रिपोर्ट में नवजोत सिंह सिद्धू और उनकी पत्नी को क्लीनचिट दी गई है लेकिन एनओसी देने के तौर-तरीकों पर सवाल उठाए गए हैं.

नवजोत सिंह सिद्धू (फोटो-रॉयटर्स) नवजोत सिंह सिद्धू (फोटो-रॉयटर्स)
सतेंदर चौहान/aajtak.in
  • चंडीगढ़,
  • 07 दिसंबर 2018,
  • अपडेटेड 5:36 PM IST

अमृतसर रेल हादसे में कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू और उनकी पत्नी को क्लीनचिट भले मिल गई हो लेकिन पंजाब सरकार की न्यायिक जांच रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि आयोजकों ने सिद्धू दंपति के नाम का इस्तेमाल कर जल्दी में एनओसी प्राप्त की थी.

जांच रिपोर्ट के मुताबिक कार्यक्रम के आयोजक स्थानीय कांग्रेस पार्षद के बेटे सौरभ मदान मिट्ठू ने एनओसी हासिल करने के लिए आवेदन में लिखा था कि कार्यक्रम में नवजोत सिंह सिद्धू या उनकी पत्नी नवजोत कौर सिद्दू बतौर चीफ गेस्ट आएंगे. इसके बाद स्थानीय प्रशासनिकअमला ने चुपचाप बिना आयोजन स्थल का जायजा लिए ही एनओसी जारी कर दी. इस अमले में नगर निगम, पंजाब पुलिस और स्थानीय प्रशासन के अधिकारी शामिल हैं.

Advertisement

दशहरे के दिन अमृतसर में हुए रेल हादसे की 96 पन्नों की जांच रिपोर्ट 21 नवंबर को पंजाब सरकार को सौंपी गई थी. इसमें नवजोत सिंह सिद्धू और उनकी पत्नी नवजोत कौर सिद्धू को क्लीनचिट दी गई है. जालंधर के डिविजनल कमिश्नर बी. पुरुषार्थ ने जांच पूरी कर रिपोर्ट पंजाबसरकार को सौंपी थी. 

रिपोर्ट की खास बातें

'आजतक' के हाथ लगी पंजाब सरकार की मैजिस्ट्रियल जांच रिपोर्ट की कॉपी के मुताबिक इस रिपोर्ट की खास बातें ये हैं-

इस रिपोर्ट में नवजोत सिंह सिद्धू और उनकी पत्नी नवजोत कौर सिद्धू को क्लीनचिट दी गई है. नवजोत सिंह सिद्धू के बारे में इस रिपोर्ट में लिखा गया है कि वे घटना के दिन अमृतसर में मौजूद ही नहीं थे. नवजोत कौर सिद्धू के बारे में लिखा गया है कि इस कार्यक्रम की चीफगेस्ट थीं लेकिन चीफ गेस्ट किसी भी वेन्यू पर जा कर यह चेक नहीं करता कि वहां किस तरह के इंतजाम हैं. ये आयोजकों को ही सुनिश्चित करना होता है.

Advertisement

रिपोर्ट में नवजोत सिंह सिद्धू के करीबी और लोकल कांग्रेस पार्षद के बेटे सौरभ मिट्ठू मदान की गलती बताई गई है कि उन्होंने इस कार्यक्रम के लिए न तो सही तरीके से तमाम विभागों से परमिशन ली और न ही लोगों की सिक्योरिटी और सेफ्टी के लिए जरूरी कदम उठाए. रिपोर्टमें लिखा गया है कि आयोजकों ने जान-बूझकर दशहरे के कार्यक्रम को काफी देर से शुरू किया और आयोजकों ने सिद्धू दंपति के नाम का फायदा उठाकर कई जरूरी विभागों से परमिशन नहीं ली.

इस रिपोर्ट में स्थानीय प्रशासन की भी गलती बताई गई है. क्योंकि स्थानीय स्थानीय प्रशासन ने परमिशन देने से पहले यह नहीं देखा कि आयोजन स्थल पर पर्याप्त इंतजाम हैं या नहीं.  रिपोर्ट में नई बात यह है कि नवजोत कौर सिद्धू और कैबिनेट मिनिस्टर नवजोत सिंह सिद्धूके नाम का इस्तेमाल करते हुए तमाम महकमों में एनओसी हासिल करने के लिए चिट्ठी भेजी गई और इसी आधार पर स्थानीय प्रशासन ने भी आनन-फानन में बिना आयोजन स्थल की जांच किए एनओसी जारी कर दी.

स्थानीय नगर निगम और लोकल पुलिस ने भी उस वेन्यू पर हो रहे कार्यक्रम की तैयारियों को चेक नहीं किया और जब कार्यक्रम चल रहा था तब भी किसी पुलिस या नगर निगम कर्मचारी ने रेलवे ट्रैक पर खड़े लोगों को लेकर आपत्ति नहीं जताई. रिपोर्ट में रेलवे ट्रैक के गेटमैन कीभी गलती बताई गई है कि उसने भीड़ होने के बावजूद ट्रेन को धीमी गति से निकालने के लिए या रोकने के लिए सिग्नल नहीं दिया. इस रिपोर्ट में भविष्य में ऐसी घटना न हो इसको लेकर कई तरह के गाइडलाइन बनाने का सुझाव भी दिया गया है.

Advertisement

रिपोर्ट पर कैप्टन की प्रतिक्रिया

रिपोर्ट सामने आने के बाद पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने ट्वीट करके और प्रेस रिलीज जारी कर कहा है कि दोषी आयोजकों और पंजाब सरकार के अधिकारियों के खिलाफ सख्त एक्शन लिया जाएगा. वहीं पंजाब से सांसद और पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने भरोसादिलाया कि इस रिपोर्ट में जिस किसी का नाम और लापरवाही की बात सामने आई है उसके खिलाफ पंजाब सरकार कड़ा एक्शन लेगी. रिलीज में कहा गया है कि नवजोत सिंह सिद्धू और उनकी पत्नी नवजोत कौर सिद्धू को किसी के दबाव के चलते क्लीनचिट नहीं दी गई है. जांच रिपोर्ट में जो बातसामने आई है उसी के आधार पर उन्हें क्लीनचिट दी गई है.

क्या कहा अकाली दल ने

अकाली दल ने कहा कि जब जांच कमीशन बनाया गया था तभी उन्होंने साफ कह दिया था कि यह सिर्फ दिखावा है और नवजोत सिंह सिद्धू और उनकी पत्नी नवजोत कौर सिद्धू को बचाने के लिए यह कमीशन बनाया गया है. अकाली दल के प्रवक्ता और पूर्व मंत्री दिलजीत सिंह चीमा ने कहा कि ऐसाकभी नहीं हुआ कि इतने बड़े हादसे के बाद कोई एक कर्मचारी या अधिकारी भी सस्पेंड न हो या उसका तबादला न हो. इस मामले में जिस तरह की कार्रवाई पंजाब सरकार ने की है उससे साफ है कि पंजाब की कांग्रेस सरकार दोषियों को बचाने में लगी है जैसे कांग्रेस 1984 के सिख दंगों केआरोपियों को बचाती आ रही है.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement