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अमृतसर के इस मंदिर के बारे में जानते हैं आप? भगवान राम से है खास कनेक्शन

अटारी-वागाह बॉर्डर के पास स्थित श्रीराम तीर्थ मंदिर हिन्दुओं के लिए महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है. इसे महर्षि वाल्मीकि का आश्रम माना जाता है, जहां माता सीता ने शरण ली थी. मान्यता है कि यहीं पर भगवान राम के पुत्र लव और कुश का जन्म भी हुआ. यहां भी प्राण प्रतिष्ठा को लेकर उत्साह देखने को मिल रहा है.

मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा को लेकर श्रद्धालुओं में उत्साह देखने को मिल रहा है मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा को लेकर श्रद्धालुओं में उत्साह देखने को मिल रहा है
कमलजीत संधू
  • अमृतसर,
  • 21 जनवरी 2024,
  • अपडेटेड 2:38 AM IST

अयोध्या स्थित राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर देशभर में उत्साह का माहौल है. ऐसे में गुरुनगरी अमृतसर में भी तैयारियां जोरों पर हैं. इस शहर का भगवान राम और माता सीता के साथ एक विशेष संबंध है. कारण, अटारी-वागाह बॉर्डर के पास स्थित श्रीराम तीर्थ मंदिर हिन्दुओं के लिए महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है. इसे महर्षि वाल्मीकि का आश्रम माना जाता है, जहां माता सीता ने शरण ली थी. मान्यता है कि यहीं पर भगवान राम के पुत्र लव और कुश का जन्म भी हुआ. यहां भी प्राण प्रतिष्ठा को लेकर उत्साह देखने को मिल रहा है.

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दरअसल, महर्षि वाल्मीकि तीर्थ आस्थान एक मंदिर पैनोरामा कॉम्प्लेक्स है और भगवान वाल्मीकि तीरथ मार्ग पर स्थित एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्मारक है. इसके मुख्य खंड में 8-फीट ऊंची और 800 किलोग्राम वजनी सोने से ढकी वाल्मीकि की मूर्ति है. स्थानीय परंपरा के अनुसार, मंदिर को एपिक रामायण के घटनाओं के काल के रूप में माना जाता है, जिसे ऋषि के आश्रम के स्थान के रूप में पहचाना जाता है.

वाल्मीकि आश्रम से पंडित हीरानाथ बताते हैं कि यहां कई श्रद्धालु हैं आते हैं. यह वह स्थान है जहां ऋषि ने राम की पत्नी सीता को शरण दी थी. इसी स्थान पर लव और कुश का जन्म हुआ था. इतना ही नहीं, यहीं पर वाल्मिकी ने रामायण लिखी थी. बहुत से शादीशुदा जोड़े, संतान की प्राप्ति के लिए यहां आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए आते हैं. 

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पंडित हीरानाथ के मुताबिक मंदिर में स्थित एक प्राचीन पेड़ पर अश्वमेध (घोड़ा) को बांधा गया था. लव और कुश ने ही इस अश्वमेध को बांधा था, जिसके बाद भगवान राम यहां आए थे.

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