
पंजाब में आतंकवाद के दौर में दहशतगर्दों का बहादुरी से मुकाबला करने वाले कामरेड बलविंदर सिंह भिखीविंड की शुक्रवार को तरनतारन में अज्ञात लोगों ने गोली मारकर हत्या कर दी. सुबह करीब सात बजे कुछ अज्ञात लोग तरन तारन स्थित उनके घर में आए और उन पर हमला कर दिया. परिवार ने आतंकी हमले से इनकार नहीं किया है. कुछ दिन पहले उनकी सुरक्षा वापस ले ली गई थी तब बलविंदर सिंह ने इसका विरोध भी किया था.
वहीं बलविंदर के परिवार के साथ खड़े दिल्ली गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष मजिंदर सिंह सिरसा का कहना है कि बंगाल के डीजीपी के साथ उनकी विशेष बातचीत हुई है और राज्य प्रशासन ने उनकी रिहाई का आश्वासन दिया है. वहीं शनिवार को सीएमओ पर होने वाली भूख हड़ताल को वापस ले लिया गया है.
कामरेड बलविंदर सिंह आतंकवादियों से कड़ाई से मुकाबले के लिए जाने जाते थे. पंजाब में असंतोष के दौरान आंतकवादियों से मुकाबला करने के लिए कॉमरेड बलविंदर सिंह और उनके परिवार को 1993 में राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा ने शौर्य चक्र से सम्मानित किया था. आतंकियों से डटकर मुकाबला करने के लिए पत्नी जगदीप कौर, भाई रणजीत और भूपिंदर सिंह को शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया था.
धार्मिक कट्टरपंथ के खिलाफ
कम्युनिस्ट विचार से प्रभावित बलविंदर सिंह भिखीविंड सिख युवाओं के धार्मिक कट्टरपंथीकरण के खिलाफ थे. खालिस्तानी मूवमेंट और आतंकवाद का उन्होंने जमकर विरोध किया. जब पंजाब आतंकवाद के घेरे में था, तो उन्होंने और उनके परिवार ने अपने गांव को एक तरह से किले में तब्दील कर दिया था. उन्होंने परिवार सहित अपनी पत्नी और बच्चों को हथियारों के इस्तेमाल की ट्रेनिंग दी और आतंकवादियों से डटकर मुकाबला किया.
जब 200 आतंकियों ने घेर लिया
पंजाब में आतंकवाद के दौर में बलविंदर सिंह का आतंकियों से 16 बार आमना-सामना हुआ. बलविंदर सिंह और उनके परिवार ने आतंकियों का बहादुरी से मुकाबला किया. जब हमला होता आतंकी 10 से लेकर 200 तक की संख्या में होते फिर भी उन्हें खदेड़न में बलविंदर सिंह कामयाब रहे.
बलिंदर सिंह के परिवार पर पहला हमला 31 जनवरी 1990 और आखिरी 28 दिसंबर 1991 को किया गया था, लेकिन सबसे घातक हमला 30 सितंबर 1990 को हुआ था. उस दिन करीब 200 आतंकवादियों ने उनके घर को चारों ओर से घेर लिया था और उन पर लगातार अटैक कर रहे थे. इस दौरान आतंकवादियों ने उन पर रॉकेट लांचर सहित घातक हथियारों के साथ अटैक किए थे.
आतंकवादियों ने सभी रास्ते बंद कर दिए थे ताकि पुलिस मदद न मिल सके. लेकिन बलविंदर सिंह और उनके परिवार ने सरकार की तरफ से मिले पिस्तौल और स्टेन-गन के जरिये आतंकवादियों का डटकर मुकाबला किया और उन्हें पीछे हटने पर मजबूर कर दिया. इसलिए उनके साथ साथ पूरे परिवार को शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया था.
गांव को किले में कर दिया तब्दील
असल में, भिखीविंड के बलविंदर सिंह ने 1980 और 90 के दशक की शुरुआत में आतंकवाद प्रभावित तरन तारन जिले में आतंकवादियों से निपटने के लिए परिवार में ही आर्मी खड़ी कर ली. उन पर कई बार हमले हुए और हर बार वह भारी हथियारों से लैस आतंकवादियों को खदेड़ने में वो सफल रहे. जब पंजाब में आतंकवाद अपने चरम पर था उन्होंने पूरे राज्य में लोगों को उस संकट से बहादुरी से निपटने को प्रेरित किया.
संकट के उस दौर में बलविंदर सिंह का गांव भिखीविंड एक मिसाल बन चुका था. शुक्रवार को उसी भिखीविंड गांव में अज्ञात लोगों ने उन्हें गोली मार दी. हालांकि पुलिस ने यह नहीं बताया है कि मोटरसाइकिल पर हथियारबंद लोग कौन थे और क्या हमलावर खालिस्तानी गुटों से जुड़े हुए थे? अपनी बहादुरी के चलते बलविंदर ने अंतरराष्ट्रीय मीडिया का भी ध्यान अपनी तरफ खींचा. नेशनल ज्योग्राफिक ने उनके जीवन पर आधारित डॉक्यूमेंट्री भी प्रसारित की थी.