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'हरियाणा को देने के लिए एक बूंद भी पानी नहीं', सीएम खट्टर से मुलाकात के बाद बोले भगवंत मान

हरियाणा और पंजाब के सीएम की शुक्रवार को एक अहम बैठक हुई. जिसमें पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने हरियाणा सरकार के नहर का निर्माण शुरू करने का प्रस्ताव नकार दिया. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों को बैठक करने के बाद इसका निष्कर्ष 15 अक्टूबर तक जवाब में दाखिल करना है. लेकिन इस बैठक में कोई ठोस निष्कर्ष नहीं निकला.

पंजाब सीएम भगवंत मान पंजाब सीएम भगवंत मान
aajtak.in
  • चंडीगढ़,
  • 14 अक्टूबर 2022,
  • अपडेटेड 7:59 PM IST

सतलुज-यमुना लिंक (एसवाईएल) नहर के मुद्दे पर आज शुक्रवार को हरियाणा और पंजाब के सीएम की एक अहम बैठक हुई. जिसमें पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने हरियाणा सरकार के नहर का निर्माण शुरू करने का प्रस्ताव नकार दिया. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों को बैठक करने के बाद इसका निष्कर्ष 15 अक्टूबर तक जवाब में दाखिल करना है. लेकिन इस बैठक में कोई ठोस निष्कर्ष नहीं निकला. कारण, पंजाब के मुख्यमंत्री ने हरियाणा को एक बूंद भी पानी देने से इनकार कर दिया है. 

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हरियाणा के मुख्यमंत्री के साथ बैठक करने के बाद भगवंत मान ने प्रेस कांफ्रेंस आयोजित की. जिसमें उन्होंने कहा कि जब इस नहर के लिए समझौता हुआ था, तब पंजाब को 18.56 मिलियन एकड़ फुट (एम.ए.एफ.) पानी मिल रहा था, जो अब कम होकर 12.63 एम.ए.एफ. रह गया है. जिससे साफ है कि अब पंजाब के पास किसी भी राज्य को देने के लिए अतिरिक्त पानी नहीं है. हरियाणा को सतलुज, यमुना और अन्य नहरों से 14.10 एम.ए.एफ. पानी मिल रहा है, जबकि पंजाब को केवल 12.63 एम.ए.एफ. पानी मिल रहा है. 

हमारे पास अपने खेतों के लिए पानी नहीं- सीएम मान

उन्होंने कहा कि हरियाणा को कम क्षेत्रफल होने के बावजूद पंजाब की अपेक्षा अधिक पानी मिल रहा है. लेकिन फिर भी वह पंजाब से और पानी की मांग कर रहा है. इस तथ्य के प्रकाश में हरियाणा को पानी कैसे दिया जा सकता है, जबकि हमारे पास अपने खेतों के लिए पानी नहीं है. पंजाब में 1400 किलोमीटर नदियां, नहरें और नाले सूख चुके हैं. जिस कारण भूजल का प्रयोग बढ़ा है. मौजूदा समय में पंजाब को कृषि संबंधी जरूरतों के लिए केवल 27 प्रतिशत नहर का पानी मिलता है, बाकी 73 प्रतिशत जरूरत भूजल से पूरी की जा रही है. 

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'हरियाणा को एक बूंद भी पानी देने के लिए नहीं'

भगवंत मान ने कहा कि पंजाब में भूजल का स्तर लगातार गिर रहा है और राज्य के ज़्यादातर ब्लॉक डार्क जोन में आ चुके हैं. पंजाब से पानी मांगने की बजाय हरियाणा को यमुना का पानी पंजाब को देना चाहिए. आज़ादी के बाद और पुनर्गठन से पहले पंजाब को यमुना का पानी मिलता रहा है. पुनर्गठन के बाद में पंजाब को ग़ैर-कानूनी तरीके से इस अधिकार से वंचित किया गया था. यदि हरियाणा को सचमुच पानी की ज़रूरत है तो वह इस मसले के समाधान के लिए वह हरियाणा के समकक्ष के साथ प्रधानमंत्री के पास जाने के लिए तैयार हैं. हालांकि, उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि प्रधानमंत्री के पास भी राज्य सरकार अपना रूख साफ़ करेगी कि पंजाब के पास हरियाणा को एक बूंद भी पानी देने के लिए नहीं है. 

पंजाब को पानी का पूरा हिस्सा मिलना चाहिए- भगवंत मान

भगवंत मान ने कहा कि पंजाब और हरियाणा को तो बल्कि प्रधानमंत्री के समक्ष गंगा और यमुना केस की ज़ोरदार ढंग से पैरवी करनी चाहिए.  यह कितनी हास्यास्पद बात है कि हरियाणा हमें नहर के निर्माण का काम मुकम्मल करने के लिए कह रहा है. जब हमारे पास अतिरिक्त पानी ही नहीं है तो हम नहर का निर्माण कैसे कर सकते हैं. समय की ज़रूरत के मुताबिक पंजाब को उसके पानी का पूरा हिस्सा मिलना चाहिए.  

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