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पंजाब सरकार ने नहीं दिया मुआवजा, पराली जलाने पर अड़े किसान

किसान नेताओं ने पंजाब सरकार पर आरोप लगाए हैं कि पिछले साल जिन किसानों ने सरकार की बातें मानकर पराली में आग नहीं लगाई थी उन्हें प्रति एकड़ 1000 से लेकर 2500 रुपए तक मुआवजा देने की बात पंजाब सरकार ने की थी लेकिन अभी तक नहीं दिया.

सांकेतिक तस्वीर सांकेतिक तस्वीर
सतेंदर चौहान
  • चंडीगढ़,
  • 22 सितंबर 2020,
  • अपडेटेड 10:23 PM IST
  • दिल्ली-NCR पर छाएगा पराली का काला धुआं
  • कोरोना काल में जानलेवा साबित हो सकता है धुआं
  • पंजाब सरकार ने किया था किसानों से मुआवजे का वायदा

कोरोना से जूझ रहे दिल्ली-एनसीआर और पूरे उत्तर भारत के लोगों के लिए एक नई मुसीबत आने वाली है और वो मुसीबत है पराली का खतरनाक धुआं, जो कि हर साल अक्टूबर के महीने में पूरे उत्तर भारत के लोगों के लिए बड़ी मुसीबत बन जाता है. हर साल लोगों के लिए सांस लेना भी दूभर हो जाता है लेकिन इस बार करोना काल में पराली का ये धुआं और भी जानलेवा साबित हो सकता है. इसे लेकर तमाम एक्सपर्ट्स ने पंजाब और हरियाणा की सरकारों को अभी से चेतावनी दी है कि इस साल हर हाल में किसानों को पराली जलाने से रोका जाए लेकिन इसके बावजूद किसान पराली जलाने की जिद पर अड़े हैं.

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पंजाब और केंद्र सरकार की सलाहकार समिति के सदस्य संजीव नागपाल के मुताबिक, उन्होंने पंजाब सरकार को लिखित में बता दिया है कि अगर हर साल की तरह इस साल भी किसान पराली जलाते रहे तो कोरोना के साथ पराली का धुआं और प्रदूषण की चादर दोहरी मार करेगी. ऐसे में करोना संक्रमित मरीजों की संख्या में भी इजाफा होगा. लेकिन पंजाब के पास उस तरह के संसाधन नहीं हैं कि करोना की भयावह स्थिति बनने पर निपटा जा सके. इसी वजह से हर हाल में किसानों को पराली जलाने से पंजाब सरकार को रोकना ही होगा.

पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड का सरकार को पत्र

वहीं, चंडीगढ़ पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड कमेटी की तरफ से हरियाणा और पंजाब सरकार को चिट्ठी लिखकर आगाह किया गया है कि वो अपने-अपने राज्यों में किसानों को पराली जलाने से रोके, नहीं तो चंडीगढ़ और अन्य शहरों में कोरोना के हालात बेकाबू हो सकते हैं. पराली का धुआं प्रदूषण की ऐसी चादर बनाएगा कि करोना और भी तेजी के साथ फैलेगा और स्थिति बेकाबू हो सकती है. 

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पंजाब पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड का मानना है कि पंजाब में स्थिति बेकाबू हो सकती है लेकिन अब की बार सरकार किसी भी तरह की ढिलाई नहीं बरतेगी बल्कि अभी भी किसानों के साथ सख्ती से पेश आना शुरू हो गई है. पंजाब पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के सचिव तरुणेश गर्ग ने बताया कि सैटेलाइट तस्वीरों को देखें तो अमृतसर के पाकिस्तान से सटे इलाकों में किसानों ने अभी से ही पराली जलानी शुरू भी कर दी है और 14 केस सरकार द्वारा रजिस्टर्ड किए गए हैं.

पंजाब सरकार ने नहीं दिया किसानों को मुआवजा

हालांकि, तमाम एक्सपर्ट्स की चेतावनी के बावजूद किसानों को पराली जलाने से कैसे रोका जाएगा? इसको लेकर राज्य सरकारें फिलहाल खामोश हैं लेकिन इस बीच पंजाब के किसानों ने ऐलान कर दिया है कि करोना की स्थिति के बावजूद वो हर हाल में पराली जलाएंगे क्योंकि उनके पास पराली का दूसरा कोई समाधान नहीं है. पंजाब के किसानों और किसान नेताओं ने पंजाब सरकार पर आरोप लगाए हैं कि पिछले साल जिन किसानों ने सरकार की बातें मानकर पराली में आग नहीं लगाई थी उन्हें प्रति एकड़ 1000 से लेकर 2500 रुपए तक मुआवजा देने की बात पंजाब सरकार ने की थी लेकिन 1 साल बीत जाने के बावजूद अब तक किसी भी किसान को न तो ये पैसा मिला और न ही पराली के समाधान के लिए खरीदी जाने वाली मशीनरी के लिए कोई सब्सिडी का पैसा आया है. ऐसे में अब किसान पंजाब सरकार पर भरोसा नहीं करने वाले और हर हाल में पराली जला कर रहेंगे. 

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किसानों ने कहा कि स्वास्थ्य का नुकसान तो उनका भी होगा लेकिन उनके पास दूसरा कोई रास्ता नहीं है. पंजाब किसान यूनियन से जुड़े तमाम नेता और साधारण छोटे किसान भी लगातार यही कह रहे हैं कि जब तक सरकार की तरफ से उनको आर्थिक मदद नहीं मिलेगी तब तक वो पराली को ऐसे ही जलाते रहेंगे क्योंकि कोरोना की महामारी को वो भी समझते हैं और कोरोना के समय में बिना लेबर के भी उन्होंने खून पसीने से ये फसल बोई है लिहाजा पराली को जलाना उनका शोक नहीं है बल्कि मजबूरी है.

पंजाब में इस साल भी धान की बंपर पैदावार हुई है और अगले कुछ दिन में इस फसल की कटाई भी शुरू हो जाएगी लेकिन दिक्कत ये है कि किसानों को धान की फसल की कटाई के बाद अगले कुछ दिन में ही गेहूं की फसल लगानी होती है और इसी वजह से वक्त और पैसा बचाने के लिए किसान धान की फसल के बचे हुए हिस्से यानी पराली को आग के हवाले कर देते हैं.

 

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