
पंजाब में भी अब दिल्ली जैसी रार पैदा हो रही है. पंजाब की आम आदमी पार्टी सरकार ने मंगलवार को एक विधेयक पारित किया था. इसके बाद सूबे की सियासत गर्मा गई है. दरअसल, पंजाब विधानसभा ने राज्यपाल के स्थान पर मुख्यमंत्री को राज्य संचालित विश्वविद्यालयों का कुलाधिपति बनाने के लिए एक विधेयक पारित किया है. इसके बाद गवर्नर बनवारी लाल पुरोहित ने आज प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि मुझ पर आरोप लगाया गया था कि मैं पंजाब यूनिवर्सिटी के मामले में हरियाणा का पक्ष ले रहा था और पंजाब की अनदेखी कर रहा था. मैं संविधान की रक्षा करने वाला हूं. मैं किसी को खुश करने के लिए संविधान के खिलाफ नहीं जा सकता.
गवर्नर ने कहा कि हो सकता है कि आप खुश न हों, मुझे इससे कोई सरोकार नहीं है, लेकिन आपको मर्यादाओं का पालन करना होगा. जिस स्कूल में आप पढ़ रहे हैं, मैं वहां का प्रिंसिपल था. उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार का आरोप है कि मैं दखलअंदाजी कर रहा था. मैंने भगवंत मान से एक दागी मंत्री को हटाने के लिए कहा था जो अब भी कैबिनेट में है.
राज्यपाल ने कहा कि पंजाब यूनिवर्सिटी को संसाधनों की कमी का सामना करना पड़ रहा है, जबकि चंडीगढ़ यूटी की हिस्सेदारी 60 प्रतिशत है. पंजाब सरकार की 40 प्रतिशत हिस्सेदारी है. 696 करोड़ में से पंजाब ने अभी तक 493.19 करोड़ रुपये जारी नहीं किए हैं, लेकिन मुख्यमंत्री का दावा है कि धन की कोई कमी नहीं है. जब आप फंड जारी नहीं कर पा रहे हैं तो मुझ पर लगाए जा रहे आरोप अन्याय हैं.
राज्यपाल ने कहा कि मैं कभी सोच भी नहीं सकता कि एक मुख्यमंत्री इस तरह की प्रतिक्रिया देगा. मुख्यमंत्री को अपनी गरिमा बनाए रखनी चाहिए, उन्होंने विधानसभा में मेरा उपहास उड़ाया. वे मेरे ऑफिस के पत्रों को प्रेम पत्र कहते हैं. गवर्नर बनवारी लाल पुरोहित ने कहा कि आम आदमी पार्टी सरकार का कहना है कि उन्होंने मुझे यात्राओं के लिए एक हेलीकॉप्टर प्रदान किया, लेकिन यह एक आधिकारिक दौरा था न कि व्यक्तिगत दौरा. मैं अकेला नहीं था. मैं भविष्य में कभी भी पंजाब सरकार के हेलिकॉप्टर का उपयोग नहीं करूंगा.
दरअसल, पंजाब विश्वविद्यालय कानून (संशोधन) विधेयक 2023 पर बहस के दौरान सदन को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि पश्चिम बंगाल विधानसभा ने भी पिछले साल इसी तरह का विधेयक पारित किया था.