
पंजाब में पिछले कुछ दिनों से खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह पुलिस के लिए सिरदर्द बन गया है. अमृतसर के अजनाला कांड के बाद पुलिस समेत सुरक्षा एजेंसियां भी अलर्ट हुईं और तेजी से शिकंजा कसना शुरू कर दिया. पहले अमृतपाल के समर्थकों पर एक्शन लिया गया, उसके बाद अब अमृतपाल की सरगर्मी से तलाश की जा रही है और ठिकानों पर छापे मारे जा रहे हैं. पंजाब के कुछ जिलों में रविवार रात 12 बजे तक इंटरनेट सेवाएं बंद की गई हैं. इस दौरान पुलिस ने 6 लोगों को गिरफ्तार किया है. इनसे हथियार और 2 गाड़ियां बरामद की हैं. अमृतपाल सिंह के खिलाफ 3 केस दर्ज हैं, इनमें 2 हेट स्पीच के संबंधित हैं. सूत्रों के मुताबिक, धर्मकोट के नजदीक महितपुर थाने के पास पुलिस ने ये 6 गिरफ्तारियां की हैं. जानिए अमृतपाल सिंह के बारे में...
अमृतपाल (30 साल) 'वारिस पंजाब दे' (Waris Punjab De) का प्रमुख है. पंजाब में पिछले कुछ दिन से उसे जरनैल सिंह भिंडरा वाले-2.0 तक कहा जा रहा है. बता दें कि भिंडरा वाले ने 1980 के दशक में सिखों के लिए अलग देश खालिस्तान की मांग उठाई थी और पूरे पंजाब में कोहराम मचा दिया था. ठीक उसी तरह अमृतपाल सिंह सिर पर तुलनात्मक रूप से भारी पगड़ी बांधता है और भीड़ को उकसाने वाले बयान देकर माहौल गरम कर देता है.
अमृतपाल की भिंडरावाले से तुलना क्यों?
29 सितंबर 2022 को 'वारिस पंजाब दे' संगठन की पहली वर्षगांठ पर मोगा जिले के रोडे गांव में एक बड़ा कार्यक्रम आयोजित किया गया था. इसी प्रोग्राम में अमृतपाल को संगठन का प्रमुख नियुक्त किया गया था. माना जाता है कि कार्यक्रम स्थल का चयन काफी रणनीतिक था, क्योंकि यह जरनैल सिंह भिंडरावाले का पैतृक गांव है. भिंडरावाले की तरह अमृतपाल भी नीली गोल पगड़ी पहनता है. अपने सफेद कपड़ों में एक छोटी कृपाण रखता है और भड़काऊ भाषण भी देता है, इससे कट्टरपंथी सिख युवाओं के बीच लोकप्रिय हो रहा है.
अमृतपाल सिंह जो संगठन 'वारिस पंजाब दे' संचालित करता है, वो एक्टर-एक्टिविस्ट दीप सिद्धू ने बनाया था. बाद में 15 फरवरी 2022 को दीप सिद्धू की सड़क हादसे में मौत हो गई थी. दीप सिद्धू किसान आंदोलन में सक्रिय रहा और लालकिले पर धार्मिक झंडा फहराने से चर्चा में आया था. दीप सिद्धू के निधन के बाद इस संगठन की कमान कुछ महीने पहले ही दुबई से लौटे अमृतपाल सिंह ने संभाली और वो इसका प्रमुख बन गया. उसने किसान आंदोलन में भी रुचि दिखाई थी. दीप सिद्धू की मौत के बाद अमृतपाल सिंह ने 'वारिस पंजाब दे' वेबसाइट बनाई और लोगों को जोड़ना शुरू कर दिया.
दुबई में रहता था अमृतपाल, सूरी हत्याकांड में नाम आया था सामने
अमृतपाल 2012 में दुबई में रहने चला गया था. वहां उसने ट्रांसपोर्ट का कारोबार किया. उसके ज्यादातर रिश्तेदार दुबई में रहते हैं. अमृतपाल ने शुरुआती शिक्षा गांव के ही स्कूल में पूरी की. उसने 12वीं तक पढ़ाई की है. अमृतपाल का नाम पिछले साल पंजाब के शिवसेना नेता सुधीर सूरी हत्याकांड में भी सामने आया था. सुधीर सूरी के परिवार ने हत्याकांड में अमृतपाल सिंह का नाम भी शामिल करने की मांग की थी. उसके बाद पुलिस ने अमृतपाल सिंह को मोगा के गांव सिंगावाला में नजरबंद कर दिया था. दरअसल, अमृतपाल जालंधर के विशाल नगर में कीर्तन के लिए रवाना होने वाला था, तभी पुलिस ने गुरुद्वारा के पास अमृतपाल को नजरबंद कर दिया था.
10 फरवरी को ब्रिटेन की लड़की से शादी की
अमृतपाल सिंह अमृतसर के पास स्थित जल्लूपुर खेड़ा गांव का रहने वाला है. अमृतपाल सिंह ने 10 फरवरी को पैतृक गांव जल्लूपुर खेड़ा में एक सादे समारोह में ब्रिटेन की रहने वाली एनआरआई लड़की किरणदीप कौर के साथ शादी की है. अमृतसर में बाबा बकाला के एक गुरुद्वारे में आयोजित 'आनंद कारज' में दोनों पक्षों के परिवार के सदस्य शामिल हुए थे. किरणदीप का परिवार मूलत: जालंधर के कुलारां गांव का है. कुछ समय पहले परिवार इंग्लैंड में बस गया था.
अजनाला में क्या हुआ था?
पंजाब के अमृतसर में 23 फरवरी को अमृतपाल सिंह के समर्थकों ने जमकर बवाल काटा था. उसके समर्थकों ने अजनाला पुलिस स्टेशन पर हमला किया. इस घटना में 6 पुलिसकर्मी घायल हो गए थे. अमृतपाल सिंह का कहना है कि बीते सप्ताह हमारे एक सहयोगी (लवप्रीत तूफान) को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था, वह निर्दोष है. उसे परेशान किया जा रहा है. अमृतपाल सिंह ने FIR से उसका नाम नहीं हटाए जाने पर थाने का घेराव करने की धमकी दी थी. बाद में पुलिस ने अमृतपाल के करीबी को छोड़ दिया था. हालांकि, उसके बाद पुलिस ने एक्शन प्लान तैयार किया और अमृतपाल सिंह और उसके समर्थकों पर कार्रवाई शुरू कर दी.
अमृतसर में क्यों कटा बवाल?
रूपनगर जिले के चमकौर साहिब निवासी वरिंदर सिंह को कथित रूप से अगवा करने और पिटाई करने के आरोप में पुलिस ने अमृतपाल सिंह और उनके समर्थकों के खिलाफ केस दर्ज किया था. बाद में पुलिस ने अमृतपाल के करीबी सहयोगी को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू की थी. गुरुवार को तलवारें और अन्य हथियार लेकर अमृतपाल सिंह के नेतृत्व में बड़ी संख्या में समर्थक अमृतसर के अजनाला पुलिस थाने में घुस गए. उन्होंने पुलिस द्वारा लगाए गए बेरिकेड्स को तोड़ दिया. पुलिस थाने में भारी सुरक्षा व्यवस्था की गई थी, क्योंकि प्रदर्शनकारियों ने परिसर में धरना शुरू कर दिया था.
अभी क्या कर रही है पंजाब पुलिस?
खबर के मुताबिक, पंजाब पुलिस की 50 से ज्यादा गाड़ियां अमृतपाल और उसके साथियों की तलाश में लगी हैं. पुलिस ने अमृतपाल की गाड़ियों को टक्कर मारने की भी कोशिश की. उसकी लेटेस्ट लोकेशन शाहकोट के पास ट्रेस हुई. मीडिया रिपोटर्स के मुताबिक, पुलिस ने अमृतपाल को नकौदर के पास घेराबंदी कर हिरासत में ले लिया. हालांकि, पुलिस ने इसकी पुष्टि नहीं की है. कुछ दिन पहले ही खुफिया एजेंसियों के हवाले से खबर आई थी कि एंटी नेशनल एलीमेंट अमृतपाल पर हमले की योजना बना रहे हैं और अमृतपाल पर हमला करके के कानून व्यवस्था बिगाड़ने की साजिश कर रहे हैं.
कौन था जरनैल सिंह भिंडरावाले?
- जरनैल सिंह धर्म और ग्रंथों की शिक्षा देने वाली संस्था 'दमदमी टकसाल' का अध्यक्ष चुना गया, उसके बाद उसके नाम के साथ भिंडरावाले जुड़ गया, तब उसकी उम्र करीब 30 साल थी. कुछ ही महीनों बाद भिंडरावाले ने पंजाब में उथल-पुथल पैदा कर दी. 13 अप्रैल 1978 को अकाली कार्यकर्ताओं और निरंकारियों के बीच हिंसक झड़प हुई. इसमें 13 अकाली कार्यकर्ताओं की मौत हो गई. इसके बाद रोष दिवस मनाया गया. इसमें जरनैल सिंह भिंडरावाले ने हिस्सा लिया. भिंडरावाले ने पंजाब और सिखों की मांग को लेकर कड़ा रवैया अपनाया. वो जगह-जगह भड़काऊ भाषण देने लगा.
- 80 के दशक की शुरुआत में पंजाब में हिंसक घटनाएं बढ़ने लगीं. 1981 में पंजाब केसरी के संस्थापक और संपादक लाला जगत नारायण की हत्या हो गई. पंजाब में बढ़ती हिंसक घटनाओं के लिए भिंडरावाले को जिम्मेदार ठहराया गया, लेकिन उसके खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं होने के कारण गिरफ्तार नहीं किया जा सका.
- अप्रैल 1983 में पंजाब पुलिस के डीआईजी एएस अटवाल की गोली मारकर हत्या कर दी गई. कुछ दिन बाद पंजाब रोडवेज की बस में घुसे बंदूकधारियों ने कई हिंदुओं को मार दिया. बढ़ती हिंसक घटनाओं के बीच इंदिरा गांधी ने पंजाब की कांग्रेस सरकार को बर्खास्त कर दिया और राष्ट्रपति शासन लगा दिया.
- पंजाब में बढ़ती हिंसक घटनाओं को रोकने के लिए भिंडरावाले को पकड़ना बहुत जरूरी था. इसके लिए इंदिरा गांधी की सरकार ने 'ऑपरेशन ब्लू स्टार' लॉन्च किया. 1984 में ऑपरेशन ब्लू स्टार शुरू किया गया.
- एक जून से ही सेना ने स्वर्ण मंदिर की घेराबंदी शुरू कर दी थी. पंजाब से आने-जाने वाली रेलगाड़ियों को रोक दिया गया. बस सेवाएं रोक दी गईं. 3 जून 1984 को पंजाब में कर्फ्यू लगा दिया गया. 4 जून की शाम से सेना ने गोलीबारी शुरू कर दी. अगले दिन सेना की बख्तरबंद गाड़ियां और टैंक भी स्वर्ण मंदिर पर पहुंच गए. भीषण खून-खराबा हुआ. 6 जून को भिंडरावाले को मार दिया गया.