नहीं थम रहा कोरोना वायरस का कहर, पंजाब में महामारी का दूसरा दौर

राज्य में नए केस सामने आने के बाद स्थिति बदल गई है. जुलाई के पहले हफ्ते में पंजाब में प्रतिदिन औसतन 180 केस दर्ज किए गए. पंजाब में इतनी संख्या में केस तब आ रहे थे, जब उसका पहले दौर का पीक चल रहा था.

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सांकेतिक तस्वीर (पीटीआई) सांकेतिक तस्वीर (पीटीआई)
निखिल रामपाल
  • नई दिल्ली,
  • 22 अगस्त 2020,
  • अपडेटेड 4:02 PM IST
  • देश में कोरोना का बढ़ रहा कहर
  • पंजाब में महामारी का दूसरा दौर

कोरोना वायरस को रोकने के लिए 25 मार्च से शुरू हुए देशव्यापी लॉकडाउन को लागू करने में पंजाब पुलिस ने कोई कसर नहीं छोड़ी थी. लॉकडाउन के नियमों का उल्लंघन करने पर पुलिस ने लाठी चलाने से लेकर उठक-बैठक करवाने तक के तरीके आजमाए. मई के अंत में जब लॉकडाउन का चौथा दौर शुरू हुआ, तब तक पंजाब में कोरोना की स्थिति काफी हद तक संभली हुई थी और रिकवरी रेट 92 फीसदी तक पहुंच गया था. लेकिन अब पंजाब संक्रमण के दूसरे दौर का सामना कर रहा है.

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19 अगस्त को पंजाब में 1,705 नए कोरोना केस सामने आए, जो कि राज्य में एक दिन में अब तक की सबसे बड़ी वृद्धि है. पिछले एक हफ्ते से राज्य में 1,000 से ज्यादा मामले दर्ज किए जा रहे हैं और स्थिति चेतावनीपूर्ण होती जा रही है. बुधवार, 19 अगस्त तक पंजाब में कुल 36,084 कोरोना केस थे, जिनमें से 921 की मौत हो चुकी है और 22,703 (63 फीसदी) लोग ठीक हो चुके हैं.

इंडिया टुडे की डेटा इंटेलीजेंस यूनिट (DIU) ने राज्य के जिला-वार आंकड़ों को एकत्र किया. हमने पाया कि ये आंकड़े बहुत अच्छी तस्वीर नहीं पेश कर रहे हैं.

महामारी का दूसरा दौर

मई के पहले सप्ताह में पंजाब महामारी का पीक प्वाइंट पार कर गया था, जब यहां रोजाना केस का औसत 180 के आसपास था. उस समय महाराष्ट्र के नांदेड़ साहिब से बड़ी संख्या में तीर्थयात्री वापस पंजाब आए थे और उनमें से कई लोग पॉजिटिव पाए गए थे.

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मई के अंतिम सप्ताह और लॉकडाउन 4.0 के अंत तक, पंजाब में हर दिन बमुश्किल 10 केस आ रहे थे. तब ऐसा लगा कि पंजाब ने स्थिति को नियंत्रित कर लिया है. एक अध्ययन में ये भी दावा किया गया कि अगर यह रुझान जारी रहा तो जुलाई के पहले सप्ताह तक पंजाब कोरोना मुक्त हो जाएगा.

हालांकि, राज्य में नए केस सामने आने के बाद स्थिति बदल गई है. जुलाई के पहले हफ्ते में पंजाब में प्रतिदिन औसतन 180 केस दर्ज किए गए. पंजाब में इतनी संख्या में केस तब आ रहे थे, जब उसका पहले दौर का पीक चल रहा था. राज्य का दूसरा दौर, पहले से इस मायने में अलग है कि इस बार बढ़ते केसों में कमी के संकेत नहीं थे, बल्कि केस बढ़ रहे थे.

अगस्त के पहले सप्ताह में पंजाब में हर दिन 700 से ज्यादा केस सामने आए और अब हर दिन 1,000 से ज्यादा केस दर्ज हो रहे हैं. यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन बायोस्टैटिस्टिक्स विभाग के एक अध्ययन के मुताबिक, पंजाब में वायरस की प्रजनन दर 1 से नीचे रही है, जो कि आदर्श है. क्योंकि प्रजनन दर एक से नीचे रहने का मतलब है कि वायरस का एक वाहक एक से भी कम व्यक्ति को संक्रमित कर रहा है.

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हालांकि, 27 मई के बाद प्रजनन दर 1 से ज्यादा हो गई और तब से औसत से ऊपर बनी हुई है. 19 अगस्त को प्रजनन दर 1.43 रिकॉर्ड की गई है, जिसका मतलब हुआ कि 100 संक्रमित लोग 143 नए लोगों को संक्रमित कर रहे हैं. यह दर लगातार बढ़ रही है.

औसत से ज्यादा मौतें

जनगणना 2011 के आंकड़ों के मुताबिक, पंजाब की जनसंख्या 2.8 करोड़ है. अब तक कोरोना से यहां 900 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. यानी कि कोरोना प्रति दस लाख की जनसंख्या पर 33 लोगों की जान ले रहा है. यह संख्या एक राहत की तरह लग सकती है क्योंकि राष्ट्रीय स्तर पर देखें तो भारत में प्रति मिलियन आबादी पर 44 लोगों की मृत्यु दर्ज की गई है. लेकिन विस्तार से देखने पर खतरा दिखाई पड़ता है.

डीआईयू ने पाया कि पंजाब के चार सबसे अधिक आबादी वाले जिलों में प्रति दस लाख जनसंख्या पर होने वाली मौतें राष्ट्रीय औसत से ज्यादा हैं. उदाहरण के लिए, लुधियाना जिले में प्रति दस लाख जनसंख्या पर 77 मौतें दर्ज हुई हैं. इसके पड़ोसी जिले जालंधर में प्रति दस लाख जनसंख्या पर 50 मौतें और पटियाला में प्रति दस लाख जनसंख्या पर 49 मौतें दर्ज की गई हैं.

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केस मृत्यु दर

भारत सरकार का दावा है कि करीब 30 लाख केस होने के बावजूद कोरोना की केस मृत्यु दर अपेक्षाकृत कम है. खासकर, अगर सबसे ज्यादा प्रभावित देशों से तुलना करें तो भारत की मृत्यु दर काफी कम है. भारत में केस मृत्यु दर 1.95 फीसदी है, हालांकि, पंजाब में तस्वीर इससे अलग है. आंकड़ों से पता चलता है कि पंजाब में बुधवार तक मृत्यु दर 2.6 फीसदी है. चिंताजनक बात यह है कि पंजाब के आधे जिलों में केस मृत्यु दर राज्य के औसत से तो ज्यादा है ही, राष्ट्रीय औसत से भी ज्यादा है.

उदाहरण के लिए, उत्तर-पश्चिम पंजाब के जिले तरनतारन में केवल 586 केस और 27 मौतें दर्ज हुई हैं. इस जिले में केस मुत्यु दर 4.7 फीसदी है. इसका मतलब है कि जिले में कोरोना से संक्रमित हुए हर 100 लोगों में से करीब 5 की मौत हो चुकी है. बमुश्किल 10 दिन पहले इस जिले में हर 100 व्यक्ति पर 13 मौतें हो रही थीं, फिलहाल ये संख्या आधी है.

तरनतारन के अलावा अमृतसर (4%), संगरूर (3.8%), कपूरथला (3.7%) और लुधियाना (3.5%) जिलों में केस मृत्यु  दर राष्ट्रीय औसत 1.95 फीसदी से बहुत ज्यादा है.

कोरोना हॉटस्पॉट

डीआईयू ने पंजाब में एक्टिव केसों की भी पड़ताल की. राज्य के चार जिलों में 1,000 से ज्यादा एक्टिव केस हैं. लुधियाना में 2,980, जालंधर में 1,587, पटियाला में 1,398 और एसएएस नगर मोहाली में 971 एक्टिव केस हैं. इन जिलों में एक्टिव केस तेजी से बढ़ रहे हैं- बमुश्किल दो हफ्ते पहले, लुधियाना, जालंधर, पटियाला में जितने एक्टिव केस थे, अब उसका दोगुना हो चुके हैं.

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लुधियाना सबसे ज्यादा प्रभावित जिला है, जहां 32 माइक्रो कंटेनमेंट जोन हैं, इसके बाद जालंधर में 27 और पटियाला में 21 कंटेनमेंट जोन हैं. स्थिति को नियंत्रित करने के लिए राज्य ने 18 अगस्त से लेकर अगले आदेश तक इन तीनों जिलों में प्रतिबंध लागू किए हैं. प्रतिबंधों में रात 9 बजे से सुबह 5 बजे तक सार्वजनिक आवाजाही पर रोक, सप्ताहांत पर मॉल और गैर-जरूरी दुकानों का बंद रहना आदि शामिल हैं.

पंजाब में टेस्टिंग की स्थिति

राज्य में अगस्त के पहले हफ्ते में हर दिन 10,000 टेस्ट हो रहे थे. अगस्त के तीसरे हफ्ते में ये संख्या बढ़कर प्रति दिन 16,000 हो गई है. बुधवार, 19 अगस्त को राज्य में 17,000 से ज्यादा सैंपल लिए गए, जिनमें से 1,705 केस पॉजिटिव पाए गए. यानी पॉजिटिविटी रेट 10 प्रतिशत के करीब रही. पंजाब अब इस स्थिति से निपटने की रणनीति के रूप में नए केस को जल्दी से आइसोलेट करने के लिए टेस्टिंग बढ़ाने की योजना बना रहा है.

कोविड-19 के लिए पंजाब स्वास्थ्य विभाग के प्रवक्ता राजेश भास्कर ने इंडिया टुडे से कहा, “अन्य राज्यों की तरह, पंजाब भी कोरोना के केसों में वृद्धि दर्ज कर रहा है. हम हर दिन टेस्ट संख्या बढ़ाकर 30,000 करने की तैयारी कर रहे हैं. हमारी रणनीति है टेस्ट, ट्रैक एंड ट्रीट. हम दैनिक टेस्ट संख्या बढ़ा रहे हैं, संक्रमित लोगों को आइसोलेट कर रहे हैं और उन लोगों को जरूरत के मुताबिक उपयुक्त इलाज मुहैया करा रहे हैं.”

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