
केंद्र सरकार की ओर से लोकसभा में पेश किए गए कृषि संबंधित तीन अध्यादेशों पर पंजाब में अकाली दल और सत्तारूढ़ कांग्रेस नेताओं के बीच जुबानी जंग तेज हो गई है. कृषि अध्यादेशों पर अकाली दल की चुप्पी को लेकर कई दिन से पार्टी के नेताओं पर तंज कसती आ रही कांग्रेस ने अब खुद अध्यादेशों की मुखालफत कर रहे अकाली दल पर यू-टर्न लेने का आरोप लगाया है.
कांग्रेस नेता राज कुमार वेरका ने अकाली दल और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को किसान विरोधी करार देते हुए कहा कि अगर तीनों अध्यादेश कानून बन जाते हैं तो किसानों की हालत बद से बदतर हो जाएगी. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार मंडियों का निजीकरण करके किसानों को सड़क पर लाना चाहती है क्योंकि देश में निजी मंडियों की स्थापना के बाद किसान अपने उत्पाद सस्ती दरों पर बेचने पर मजबूर होंगे.
उधर कृषि अध्यादेशों पर चुप्पी साधे बैठे अकाली दल ने आखिर में पैंतरा बदलते हुए इनकी मुखालफत शुरू कर दी है. अकाली दल के नेताओं ने संसद में इन अध्यादेशों के खिलाफ मत डाला है. अकाली दल ने माना है कि वह भले ही केंद्र की सत्तारूढ़ बीजेपी सरकार के साथ गठबंधन में हो लेकिन किसानों के मन में इन अध्यादेशों को लेकर कई शंकाएं हैं जिन को दूर करना लाजमी है.
दूसरी तरफ, पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने बुधवार को कृषि अध्यादेशों के खिलाफ राज्यपाल को एक ज्ञापन सौंप कर इन्हें किसान विरोधी बताया. अकाली दल ने कांग्रेस के ज्ञापन को महज एक ढकोसला करार दिया और कहा कि जब लोकसभा सत्र में है, ऐसे में राज्यपाल को ज्ञापन सौंपना कोरी राजनीति है.
अकाली दल के प्रवक्ता डॉ दलजीत चीमा ने कहा कि कांग्रेस एक तरफ जहां इन अध्यादेशों का विरोध कर रही है वहीं पंजाब की कांग्रेस सरकार खुद साल 2017 में मंडियों के निजीकरण को हरी झंडी दे चुकी है. ऐसे में केंद्र सरकार के कृषि अध्यादेशों का विरोध करना कोरी राजनीति है.
इन अध्यादेशों को लेकर किसान केंद्र सरकार से नाराज हैं और सड़कों पर उतर कर जमकर विरोध कर रहे हैं. जबकि केंद्र सरकार और बीजेपी लगातार इन अध्यादेशों को किसानों के लिए फायदेमंद और कृषि क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा देने वाला बता रही है.