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26 जनवरी को सड़कों पर उतरेंगे किसान-मजदूर, 29 को अमृतसर से शंभू बॉर्डर की ओर कूच... पढ़ें- जंडियाला सभा की बड़ी बातें

किसान नेता सरवन सिंह पंढेर और जिला प्रधान रंजीत सिंह कलेर बाला ने सभा को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की उदासीनता के कारण लाखों किसानों और मजदूरों को सड़कों पर बैठने को मजबूर किया गया है. आंदोलन के दौरान कई लोगों ने अपनी जान गंवाई और अभी भी सरकार ने सिर्फ बातचीत का आश्वासन दिया है.

जंडियाला में किसान और मजदूरों की विशाल सभा हुई  जंडियाला में किसान और मजदूरों की विशाल सभा हुई
अनमोल नाथ
  • नई दिल्ली,
  • 23 जनवरी 2025,
  • अपडेटेड 8:18 PM IST

किसानों और मजदूरों की मांगों को लेकर जारी संघर्ष को एक साल पूरा होने पर जंडियाला अनाज मंडी में किसान-मजदूर संघर्ष समिति ने एक विशाल रैली आयोजित की. इसमें सैकड़ों किसानों, मजदूरो ने भाग लिया. इस मौके पर 29 जनवरी को अमृतसर से शंभू बॉर्डर की ओर सैकड़ों ट्रैक्टर-ट्रॉलियों के कूच का ऐलान भी किया गया.

किसान नेता सरवन सिंह पंढेर और जिला प्रधान रंजीत सिंह कलेर बाला ने सभा को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की उदासीनता के कारण लाखों किसानों और मजदूरों को सड़कों पर बैठने को मजबूर किया गया है. आंदोलन के दौरान कई लोगों ने अपनी जान गंवाई और अभी भी सरकार ने सिर्फ बातचीत का आश्वासन दिया है.

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26 जनवरी को सड़कों पर उतरेंगे किसान-मजदूर

राज्य नेता सतनाम सिंह पन्नू और जसबीर सिंह पिड़ी ने कहा कि 26 जनवरी को किसान और मजदूर पूरे देश में ट्रैक्टर रैलियां निकालेंगे और प्रदर्शन करेंगे. ये रैलियां प्रमुख कॉर्पोरेट गोदामों, शॉपिंग मॉल और भाजपा नेताओं के घरों के सामने से निकाली जाएंगी. प्रदर्शन के जरिए सरकार को ये संदेश दिया जाएगा कि आंदोलन खत्म होने वाला नहीं है. अमृतसर जिले में भी इसी तरह की गतिविधियां की जाएंगी.

29 जनवरी को शंभू बॉर्डर के लिए करेंगे कूच

सभा में ऐलान किया गया कि 24 और 25 जनवरी को विभिन्न स्थानों पर तैयारी कार्यक्रम होंगे. इसके बाद 29 जनवरी को सैकड़ों ट्रैक्टर-ट्रॉलियां ब्यास में इकट्ठा होंगी और 30 जनवरी की सुबह शंभू बॉर्डर के लिए कूच करेंगी.

सभा में 5 प्रस्ताव हुए पास

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- किसान और मजदूर संगठनों की एकता बनाए रखना
-  मांगें पूरी होने तक आंदोलन जारी रखने की प्रतिज्ञा
-  बुद्धिजीवियों से समर्थन की अपील
-  धार्मिक नेताओं और कलाकारों से सहयोग की मांग
- सभी सार्वजनिक संघर्षों का समर्थन

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