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सुखबीर बादल ने किस गुनाह के लिए राम रहीम को दिलाई थी माफी? जिसके लिए अकाल तख्त ने सुनाई सजा

सुखबीर बादल सजा के दरम्यान अपने गले में दोषी होने की तख्ती पहनकर सेवादारी करेंगे. वे श्री दरबार साहिब में बने लंगर हॉल में एक घंटे तक बर्तन साफ करेंगे. एक घंटे तक गुरबाणी सुनेंगे.

सुखबीर बादल सजा के तौर पर श्री दरबार साहिब में सेवादारी करेंगे. सुखबीर बादल सजा के तौर पर श्री दरबार साहिब में सेवादारी करेंगे.
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 03 दिसंबर 2024,
  • अपडेटेड 6:33 PM IST

सिख समाज की सर्वोच्च धार्मिक संस्था श्री अकाल तख्त ने पंजाब के पूर्व उप मुख्यमंत्री सुखबीर बादल को सजा सुनाई है. ये सजा 2007 से 2017 तक पंजाब में शिरोमणि अकाली दल और उनकी सरकार की गलतियों के कारण दी गई है. इनमें एक आरोप यह भी है कि उन्होंने ईशनिंदा के आरोपी डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को माफी दिलाने में भी भूमिका निभाई है. जानिए क्या है वो पूरा मामला...

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सुखबीर को क्या सजा सुनाई गई?

सुखबीर बादल सजा के दरम्यान अपने गले में दोषी होने की तख्ती पहनकर सेवादारी करेंगे. वे श्री दरबार साहिब में बने लंगर हॉल में एक घंटे तक बर्तन साफ करेंगे. एक घंटे तक गुरबाणी सुनेंगे. सुखबीर दरबार साहिब समेत कई गुरुद्वारे के आगे बरछा लेकर पहरेदारी यानी चौकीदारी भी करेंगे. 

शिअद के अन्य नेताओं को क्या सजा?

शिअद की तत्कालीन सरकार में शामिल अन्य कैबिनेट और अकाली नेताओं को भी अपने गांव या हल्के में किसी भी गुरुद्वारे जाकर एक-एक घंटे तक सेवा करनी होगी और श्री दरबार साहिब में बने सार्वजनिक शौचालयों में साफ-सफाई करेंगे. तीन महीने पहले श्री अकाल तख्त ने सुखबीर को 'तनखैया' (धार्मिक कदाचार का दोषी) घोषित किया था.

'फख्र-ए-कौम' की उपाधि वापस ली

जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने सुखबीर के पिता और पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत प्रकाश सिंह बादल को दी गई 'फख्र-ए-कौम' की उपाधि वापस लेने की भी घोषणा की है. आरोप है कि गुरमीत का केस वापस लेने में प्रकाश बादल का भी सहयोग रहा. प्रकाश सिंह बादल पांच बार पंजाब के मुख्यमंत्री रहे हैं. पिछले साल अप्रैल में उनक निधन हो गया था.

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सुखबीर ने स्वीकार की गलतियां

जत्थेदारों के सामने पेशी के दौरान सुखबीर बादल ने चार गलतियां स्वीकार की हैं. सुखबीर पर आरोप था कि उन्होंने 2015 में पवित्र पुस्तक गुरु ग्रंथ साहिब के बेअदबी मामले में दोषियों को सजा नहीं दी और 2007 में ईशनिंदा के आरोपी गुरमीत राम रहीम सिंह को माफी दिलाने में भूमिका निभाई है. जिस वक्त पंजाब में बेअदबी के मामले हुए, उस वक्त सुखबीर के पिता प्रकाश सिंह बादल मुख्यमंत्री थे. सुखबीर बादल को 30 अगस्त को अकाल तख्त ने तनखैया (धार्मिक कदाचार का दोषी) घोषित किया था.

गुरमीत को लेकर क्या आरोप था?

सुखबीर सिंह बादल पर सबसे बड़ा आरोप डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को लेकर लगा था. पंजाब में साल 2007 में अकाली दल की सरकार थी और मुख्यमंत्री सुखबीर के पिता प्रकाश सिंह बादल थे. इस सरकार का हिस्सा सुखबीर भी थे. उन्होंने सलाबतपुरा में गुरमीत राम रहीम के खिलाफ दर्ज केस को वापस ले लिया था. राम रहीम पर आरोप था कि उसने दशम पातशाह श्री गुरु गोबिंद सिंह जी की तरह कपड़े पहनकर लोगों को अमृत पिलाने का स्वांग रचाया है. इस मामले में राम रहीम पर केस दर्ज हुआ था. लेकिन बादल सरकार ने सजा दिलवाने की बजाय मामले को वापस ले लिया.

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'सुखबीर ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल किया...'

श्री अकाल तख्त साहिब ने राम रहीम को सिख पंथ से निष्कासित कर दिया था. सुखबीर ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल किया और राम रहीम को माफी दिलवा दी. बाद में श्री अकाल तख्त ने राम रहीम को माफी देने का अपना फैसला वापस लिया.

'सुखबीर ने जत्थेदार साहिबों को घर बुलाया था'

सुखबीर ने अपराध कुबूल किया है कि उन्होंने जत्थेदार साहिबों को अपने आवास पर बुलाया था और डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को माफी देने के लिए उन पर दबाव बनाया था. इस काम में प्रकाश सिंह बादल भी शामिल थे. श्री अकाल तख्त ने पूर्व जत्थेदार ज्ञानी गुरबचन सिंह को भी सजा सुनाई है. वे अब धार्मिक समागम को संबोधित नहीं कर सकते हैं. अकाल तख्त ने प्रकाश बादल को दिया गया खिताब वापस लेने का फैसला लिया है. सुखबीर ने खुद पर लगे आरोपों को एक-एक कर स्वीकार किया है.

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