Advertisement

'FIR दर्ज करने में आठ दिन क्यों लगे', पटियाला में कर्नल की पिटाई मामले पर हाईकोर्ट सख्त

अदालत ने एसएसपी पटियाला द्वारा दाखिल जवाब को अस्वीकार्य बताते हुए कहा कि इसमें स्पष्ट रूप से यह नहीं बताया गया कि कौन-कौन से पुलिसकर्मी शामिल थे. कोर्ट ने यह भी पूछा कि जब कर्नल पुष्पिंदर की पत्नी ने घटना के अगले दिन एसएसपी को संदेश भेजा था, तो उस पर तत्काल कार्रवाई क्यों नहीं की गई.

कोर्ट ने कर्नल की पिटाई मामले में नाराजगी जताई है.(प्रतीकात्मक तस्वीर) कोर्ट ने कर्नल की पिटाई मामले में नाराजगी जताई है.(प्रतीकात्मक तस्वीर)
अमन भारद्वाज
  • चंडीगढ़,
  • 28 मार्च 2025,
  • अपडेटेड 10:39 PM IST

पटियाला में कर्नल की पिटाई मामले में हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान इस बात पर नाराजगी जताई कि पहले ढाबा मालिक की शिकायत पर एफआईआर दर्ज की गई, जबकि असली पीड़ित कर्नल पुष्पिंदर सिंह और उनका बेटा थे. अदालत ने यह भी पूछा कि एफआईआर दर्ज करने में आठ दिन क्यों लगे और देरी का कारण क्या था.

हाईकोर्ट ने घटना के समय पुलिसकर्मियों की भूमिका पर सवाल उठाए. अदालत ने पूछा कि वे वहां किस ड्यूटी पर थे, क्या वे वर्दी में थे या नहीं, और वे घटना स्थल पर क्यों मौजूद थे.

Advertisement

एसएसपी पटियाला के जवाब पर असंतोष

अदालत ने एसएसपी पटियाला द्वारा दाखिल जवाब को अस्वीकार्य बताते हुए कहा कि इसमें स्पष्ट रूप से यह नहीं बताया गया कि कौन-कौन से पुलिसकर्मी शामिल थे. कोर्ट ने यह भी पूछा कि जब कर्नल पुष्पिंदर की पत्नी ने घटना के अगले दिन एसएसपी को संदेश भेजा था, तो उस पर तत्काल कार्रवाई क्यों नहीं की गई.

सीसीटीवी फुटेज का विवाद

सरकारी पक्ष ने दावा किया कि सीसीटीवी फुटेज में किसी का चेहरा साफ नजर नहीं आ रहा है, लेकिन अदालत ने इसे पर्याप्त नहीं माना और पुलिस जांच पर सवाल उठाए. हाईकोर्ट ने पूछा कि पुलिस ने अब तक यह स्पष्ट क्यों नहीं किया कि किन अधिकारियों की संलिप्तता सामने आई है.

सरकारी पक्ष की सफाई

सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता आर.एस. राय ने कहा कि पुलिस निष्पक्ष जांच कर रही है और ठोस कार्रवाई की जाएगी. सरकार ने यह भी तर्क दिया कि उस समय किसान आंदोलन चल रहा था, जिससे पुलिस व्यस्त थी. इस पर हाईकोर्ट ने सवाल किया कि क्या उस दौरान पुलिस ने कोई अन्य एफआईआर दर्ज नहीं की थी?

Advertisement

सीबीआई जांच की मांग

याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि मामले में पुलिसकर्मी ही आरोपी हैं, इसलिए निष्पक्ष जांच के लिए इसे सीबीआई को सौंपा जाना चाहिए. उनका कहना था कि जब पुलिसकर्मियों ने कर्नल और उनके बेटे को एनकाउंटर की धमकी दी थी, तो पंजाब पुलिस द्वारा जांच निष्पक्ष नहीं हो सकती.

अदालत का रुख और अगली सुनवाई

हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा कि क्या हत्या के प्रयास की एफआईआर दर्ज होने के बावजूद आरोपी पुलिसकर्मियों को सिर्फ निलंबित किया जाएगा या उनकी गिरफ्तारी भी होगी? सरकार ने अदालत से 10 दिन का समय मांगा और आश्वासन दिया कि सही कार्रवाई होती हुई नजर आएगी.

कोर्ट ने अगली सुनवाई तक किया स्थगित

हाईकोर्ट ने सरकार को आदेश दिया कि वह स्पष्ट रूप से बताए कि उस रात पुलिसकर्मी किस ड्यूटी पर थे और वहां क्यों मौजूद थे. साथ ही, अदालत ने यह भी चेतावनी दी कि किसानों के आंदोलन का बहाना बनाकर एफआईआर में देरी को सही साबित करने की कोशिश न की जाए. सुनवाई फिलहाल स्थगित कर दी गई है और अब यह मामला गुरुवार को फिर से सुना जाएगा.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement