
पटियाला में कर्नल की पिटाई मामले में हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान इस बात पर नाराजगी जताई कि पहले ढाबा मालिक की शिकायत पर एफआईआर दर्ज की गई, जबकि असली पीड़ित कर्नल पुष्पिंदर सिंह और उनका बेटा थे. अदालत ने यह भी पूछा कि एफआईआर दर्ज करने में आठ दिन क्यों लगे और देरी का कारण क्या था.
हाईकोर्ट ने घटना के समय पुलिसकर्मियों की भूमिका पर सवाल उठाए. अदालत ने पूछा कि वे वहां किस ड्यूटी पर थे, क्या वे वर्दी में थे या नहीं, और वे घटना स्थल पर क्यों मौजूद थे.
एसएसपी पटियाला के जवाब पर असंतोष
अदालत ने एसएसपी पटियाला द्वारा दाखिल जवाब को अस्वीकार्य बताते हुए कहा कि इसमें स्पष्ट रूप से यह नहीं बताया गया कि कौन-कौन से पुलिसकर्मी शामिल थे. कोर्ट ने यह भी पूछा कि जब कर्नल पुष्पिंदर की पत्नी ने घटना के अगले दिन एसएसपी को संदेश भेजा था, तो उस पर तत्काल कार्रवाई क्यों नहीं की गई.
सीसीटीवी फुटेज का विवाद
सरकारी पक्ष ने दावा किया कि सीसीटीवी फुटेज में किसी का चेहरा साफ नजर नहीं आ रहा है, लेकिन अदालत ने इसे पर्याप्त नहीं माना और पुलिस जांच पर सवाल उठाए. हाईकोर्ट ने पूछा कि पुलिस ने अब तक यह स्पष्ट क्यों नहीं किया कि किन अधिकारियों की संलिप्तता सामने आई है.
सरकारी पक्ष की सफाई
सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता आर.एस. राय ने कहा कि पुलिस निष्पक्ष जांच कर रही है और ठोस कार्रवाई की जाएगी. सरकार ने यह भी तर्क दिया कि उस समय किसान आंदोलन चल रहा था, जिससे पुलिस व्यस्त थी. इस पर हाईकोर्ट ने सवाल किया कि क्या उस दौरान पुलिस ने कोई अन्य एफआईआर दर्ज नहीं की थी?
सीबीआई जांच की मांग
याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि मामले में पुलिसकर्मी ही आरोपी हैं, इसलिए निष्पक्ष जांच के लिए इसे सीबीआई को सौंपा जाना चाहिए. उनका कहना था कि जब पुलिसकर्मियों ने कर्नल और उनके बेटे को एनकाउंटर की धमकी दी थी, तो पंजाब पुलिस द्वारा जांच निष्पक्ष नहीं हो सकती.
अदालत का रुख और अगली सुनवाई
हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा कि क्या हत्या के प्रयास की एफआईआर दर्ज होने के बावजूद आरोपी पुलिसकर्मियों को सिर्फ निलंबित किया जाएगा या उनकी गिरफ्तारी भी होगी? सरकार ने अदालत से 10 दिन का समय मांगा और आश्वासन दिया कि सही कार्रवाई होती हुई नजर आएगी.
कोर्ट ने अगली सुनवाई तक किया स्थगित
हाईकोर्ट ने सरकार को आदेश दिया कि वह स्पष्ट रूप से बताए कि उस रात पुलिसकर्मी किस ड्यूटी पर थे और वहां क्यों मौजूद थे. साथ ही, अदालत ने यह भी चेतावनी दी कि किसानों के आंदोलन का बहाना बनाकर एफआईआर में देरी को सही साबित करने की कोशिश न की जाए. सुनवाई फिलहाल स्थगित कर दी गई है और अब यह मामला गुरुवार को फिर से सुना जाएगा.