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पुलवामा हमला: करतारपुर कॉरिडोर पर पड़ सकता है दोनों देशों की तल्खी का असर

भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ जाने के कारण 14 मार्च को होने वाली दोनों देशों के प्रतिनिधिमंडलों की बैठक रद्द हो सकती है.

करतारपुर कॉरिडोर करतारपुर कॉरिडोर
हमजा आमिर
  • नई दिल्ली,
  • 25 फरवरी 2019,
  • अपडेटेड 6:49 AM IST

पुलवामा हमले के बाद के मौजूदा भारत पाकिस्तान तनाव का असर करतारपुर कॉरिडोर के खुलने पर पड़ सकता है. राजनयिक सूत्रों से पता चला है कि भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ जाने के कारण 14 मार्च को होने वाली बैठक रद्द हो सकती है. यह बैठक करतारपुर गलियारे की तकनीकी और विकास पर चर्चा करने के लिए भारत और पाकिस्तान के प्रतिनिधिमंडलों के बीच होनी है.

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प्रधान मंत्री इमरान खान ने पिछले साल 28 नवंबर को करतारपुर कॉरिडोर का शिलान्यास किया था. करीब 40 फीसदी विकास कार्य पूरा हो चुका है, लेकिन इस बीच पुलवामा आतंकी हमले के कारण दोनों देशों के बीच की तल्खी का असर इस प्रोजेक्ट पर भी पड़ रहा है. बता दें, पुलवामा हमले को आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने अंजाम दिया था. इसका सरगना मसूद अजहर पाकिस्तान में रहता है. भारत लगातार पाकिस्तान को जैश के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करने की मांग कर रहा है.

इस हमले के बाद पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ पूरा भारत गुस्से में है. सभी पाकिस्तान को करारा जवाब देने की मांग कर रहे है. इस कारण करतारपुर कॉरिडोर के खुलने की संभावनाओं पर अनिश्चितता के बादल छा गए हैं. राजनयिक सूत्रों का कहना है कि पुलवामा हमले को लेकर भारत ने जो आक्रामक स्थिति बनाई है, उससे लगता है कि नई दिल्ली और इस्लामाबाद में आगामी प्रतिनिधिमंडल स्तर की बैठक रद्द हो सकती है.

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अगर यह बैठक रद्द होती है तो इसका फायदा इस्लामाबाद को मिलेगा. दोनों देशों ने पहले से ही करतारपुर कॉरिडोर के क्रॉसिंग पॉइंट के निर्देशांक साझा किए हैं, जिसके माध्यम से सिख समुदाय को पाकिस्तान के दरबार साहिब गुरुद्वारा तक वीजा-मुक्त प्रवेश प्रदान किया जाएगा, लेकिन नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर बढ़ी सैन्य तैनाती, कूटनीतिक आक्रामक और जवाबी हमले और मोस्ट फेवर्ड नेशन (एमएफएन) का दर्जा वापस लेने के बाद अब करतारपुर कॉरिडोर का मामला थोड़े दिनों के लिए ठंडे बस्ते में पड़ सकता है.

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