
पुलिस के हत्थे चढ़े अमृतपाल सिंह के गुर्गों की निशानदेही पर हथियारों का जखीरा मिला है. इसके साथ ही पुलिस को उसके डेरे से जुड़ी सनसनीखेज जानकारी भी मिली है. 'गैंग्स ऑफ अमृतपाल' के पकड़े गए गुर्गों ने पंजाब पुलिस को पूछताछ के दौरान कई चौंकाने वाली बातें बताई हैं. इसका एक वीडियो भी सामने आया है, जिसमें अमनदीप नाम का शख्स पुलिस के सवालों का जवाब दे रहा है. सिरसा जिले का रहने वाले 21 साल के अमनदीप का कहना है कि वो नशा छोड़ने के लिए अमृतपाल के डेरे जल्लूपुर खेड़ा गांव पहुंचा था. हालांकि, पुलिस के हत्थे चढ़े अमनदीप सिंह, बलजिंदर सिंह, हरमिंदर सिंह, गुरमीर सिंह जैसे तमाम नौजवानों के हाथों में उसने हथियार थमाकर अपनी पर्सनल आर्मी (AKF) का हिस्सा बना लिया था.
नशा मुक्ति केंद्र का खौफनाक सच
इस नशा मुक्ति केंद्र का सच जानने के लिए आज तक की टीम जल्लूपुर खेड़ा गांव पहुंची. यहां अमृतपाल का सेवादार गुरमुख सिंह मिला. उसने कबूल किया कि यहां गैरकानूनी तरीके से नशा मुक्ति केंद्र चलाया जा रहा है. इसके बाद बरनाला का रहने वाला राजिंदर मिला. उसने बताया कि जो लोग नशा मुक्ति केंद्र छोड़ना चाहते थे, उन्हें बुरी तरह से पीटा जाता था.
डीएसपी हरकिशन सिंह की जुबानी
इस मामले में स्थानीय डीएसपी ने बताया कि यह नशामुक्ति केंद्र ही नहीं था. असल में अमृतपाल लोगों को फंसाना चाहता था. उसके साथ देखे गए और गिरफ्तार किए गए लोग नशे के आदी हैं. नशा मुक्ति के नाम पर वो युवाओं को शिकार बनाता था. वह मासूमों को गुमराह करके नशामुक्ति केंद्र की आड़ में आनंदपुर खालसा फोर्स बना रहा था.
गैंग्स ऑफ अमृतपाल के खतरनाक चेहरे
जैसे-जैसे पुलिस की जांच आगे बढ़ रही है, गैंग्स ऑफ अमृतपाल के कई खतरनाक चेहरे भी सामने आ रहे हैं. इसी में एक नाम है बलजीत कौर का. आरोप है कि उसने अमृतपाल को शरण दी और छिपाया. हालांकि, पुलिस ने बलजीत कौर को गिरफ्तार कर लिया है और उससे अमृतपाल के राज उगलवाने में जुटी है.
21 मार्च तक कुरुक्षेत्र में छिपा रहा
शुरुआती पूछताछ में पता चला है कि 19 से लेकर 21 मार्च तक अमृतपाल हरियाणा के कुरुक्षेत्र में छिपा रहा. बलजीत कौर ने उसको और पपलप्रीत को अपने घर में शरण दी थी. सनसनीखेज खुलासा करते हुए उसने बताया है कि अमृतपाल उत्तराखंड चला गया है. इसलिए मुमकिन है कि वो नेपाल भागने की फिराक में हो.
ये भी पढ़ें- कौन है अमृतपाल सिंह? कहां से आया खालिस्तान का आइडिया?
अमृतपाल से उसके चाचा ने किया संपर्क
आखिरी बार 18 मार्च को अमृतपाल को जालंधर में देखा गया था. वो अपनी मर्सिडीज में भागा. इस दौरान पुलिस उसके पीछे थी लेकिन वो भागने में सफल रहा था. वो एक रिक्शे पर बाइक लादकर ले जाता हुआ भी देखा गया था. इस दौरान उसके साथ पपलप्रीत था. पुलिस के मुताबिक, 18 मार्च को अमृतपाल नंगल अंबिया के गुरुद्वारा में रुका था. इस दौरान अमृतपाल से उसके चाचा ने संपर्क किया और सरेंडर करने की बात बताई थी.
आखिरी लोकेशन- फिरोजपुर-मोगा रोड
गौरतलब है कि 18 मार्च की सुबह से पंजाब पुलिस के करीब 80 हजार पुलिसकर्मी अमृतपाल को पकड़ने में लगे हैं, लेकिन वो हाथ नहीं आ रहा है. उसकी आखिरी लोकेशन फिरोजपुर-मोगा रोड की तरफ मिली थी. दूसरी ओर एजेंसियां अमृतपाल के नेटवर्क की गहनता से जांच कर रही है. इसमें NIA की टीम हथियारों, विदेशों से लिंक, फंडिंग और ISI कनेक्शन की जांच कर रही है.
पंजाब पुलिस ने सौंपी 458 करीबियों की सूची
पंजाब पुलिस ने अमृतपाल के 458 करीबियों की पहचान कर NIA को उनकी सूची सौंपी है. इन्हें ए, बी और सी कैटेगरी में बांटा गया है. ए कैटेगरी के 142 लोग हैं, जो 24 घंटे अमृतपाल के साथ रहते थे. बी कैटेगरी में 213 वो लोग हैं, जो फाइनेंस और संगठन का काम देखते हैं. इस रिपोर्ट पर NIA की आठ टीमें पंजाब पहुंच गई हैं और अमृतसर, तरनतारन, जालंधर, गुरदासपुर, जालंधर जिलों में जांच शुरू कर दी है.
ये भी पढ़ें- 'वारिस' नहीं 'दुश्मन' पंजाब दा... पढ़ें अमृतपाल और खालिस्तानियों के नापाक मंसूबों का कच्चा चिट्ठा
शादी से पहले यूके में रहती थी किरणदीप
इसी लिस्ट में अमृतपाल की पत्नी किरणदीप कौर का भी नाम है. उससे बब्बर खालसा इंटरनेशनल नाम के आतंकी संगठन से संबंध और विदेशी फंडिंग मामले में पूछताछ की गई. शादी से पहले किरणदीप यूके में रहती थी. मीडिया में आई एक खुफिया रिपोर्ट के अनुसार, वहां रहते हुए वह बब्बर खालसा के लिए काम कर चुकी है. वह यूके में बब्बर खालसा के लिए फंड इकट्ठा करती थी. साल 2020 में उसे पांच अन्य साथियों सहित वहां की सुरक्षा एजेंसियों ने हिरासत में लिया था.
यह भी बताया जा रहा है कि किरणदीप कौर के कुछ खातों में भी विदेशों से धनराशि ट्रांसफर हुई है. इसकी भी जांच की जा रही है. हालांकि, कोई पुलिस अधिकारी इस पर कुछ भी बताने से इनकार कर रहा है. पुलिस और खुफिया एजेंसियों को जांच के दौरान पता चला है कि अमृतपाल को 158 विदेशी खातों से फंडिंग की जा रही थी. इनमें से 28 खातों से 5 करोड़ से ज्यादा की रकम भेजी गई. इन खातों का संबंध पंजाब के माझा और मालवा से है.