
केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के कर्मचारियों को केंद्रीय सिविल सेवा (CCS) नियमों के तहत लाने के केंद्र सरकार के फैसले पर भाजपा और आप बीच एक बार फिर राजनीतिक खींचतान शुरू हो सकती है. पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि केंद्र सरकार चंडीगढ़ में अन्य राज्यों और सेवाओं के अधिकारियों और कर्मियों को चरणबद्ध तरीके से लागू कर रही है. यह पंजाब पुनर्गठन अधिनियम 1966 के भावना के खिलाफ है. पंजाब चंडीगढ़ पर अपने सही दावे के लिए मजबूती से लड़ेगा.
आप के प्रवक्ता मलविंदर सिंह कांग ने कहा कि केंद्र सरकार चंडीगढ़ पर पंजाब के अधिकारों का उल्लंघन करने की कोशिश कर रही है. चंडीगढ़ में केंद्रीय सेवा नियम लागू करने के केंद्र सरकार के फैसले ने सत्तारूढ़ आप और अन्य दलों को पंजाब पुनर्गठन अधिनियम, 1966 के कथित उल्लंघन का आरोप लगाने के लिए प्रेरित किया है.
इस बीच, भाजपा ने चंडीगढ़ के मुद्दे को अनावश्यक रूप से खींचने के लिए आप पर निशाना साधा है. 24 मार्च को नई दिल्ली में पीएम मोदी से मुलाकात करने वाले सीएम भगवंत मान ने केंद्र सरकार से राज्य की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए दो साल के लिए 50-50 हजार करोड़ रुपए वित्तीय पैकेज देने की मांग की थी. इस पैकेज की मांग को लेकर भाजपा ने चुनाव के पूर्व किए झूठे वादे करने का आरोप लगाते हुए AAP की आलोचना की है.
भाजपा के सीनियर नेता विनीत जोशी ने कहा, "आप ने पंजाब के लोगों को धोखा देने के झूठे वादे किए. उसके नेताओं को पता था कि राज्य का खजाना खाली है और झूठे वादों को पूरा करना सिर्फ एक सपना था. अब वे इन वादों को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार से मदद क्यों मांग रही है.
हरियाणा के सीएम ने भी पंजाब सरकार की आलोचना की
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने भी चुनावी वादों को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार से मदद मांगने के लिए पंजाब की आप सरकार की आलोचना की है. मनोहर लाल खट्टर ने कहा, "मुफ्त की घोषणा करने वाले मुख्यमंत्री भगवंत मान मदद मांगने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास जाते हैं और 50,000 करोड़ रुपये का अनुदान मांगते हैं. केंद्रीय अनुदान का उपयोग कर राजनीति करना शर्मनाक है." खट्टर ने कहा कि चंडीगढ़ पंजाब और हरियाणा दोनों से संबंधित है. कोई भी हरियाणा को चंडीगढ़ से छीन नहीं सकता है. चंडीगढ़ एक स्वतंत्र राज्य नहीं बल्कि केंद्र शासित प्रदेश है जो पंजाब और हरियाणा की संयुक्त राजधानी है.
उधर, केंद्र सरकार द्वारा ग्रामीण विकास और बिजली सुधार कोष को जारी करने पर रोक लगाने का निर्णय आग में और इजाफा कर सकता है. केंद्र सरकार ने 1750 करोड़ रुपये की ग्रामीण विकास निधि को तब तक जारी करने से इनकार कर दिया है जब तक कि पंजाब यह आश्वासन नहीं देता कि धन का दुरूपयोग नहीं होगा. इसके अलावा केंद्रीय विद्युत मंत्रालय ने राज्य में 85,000 प्रीपेड स्मार्ट मीटर लगाने तक बिजली सुधार निधि जारी करने पर रोक लगा दी है.
साथ ही 1200 करोड़ रुपये की बिजली चोरी को रोकने का सुझाव दिया गया है. पहले से ही आर्थिक संकट की कमी का सामना कर रहे राज्य को केंद्रीय अनुदान प्राप्त करने के लिए और प्रीपेड स्मार्ट मीटर लगाने के लिए 8000 करोड़ रुपये खर्च करने होंगे. उधर, राज्य में कोयले की कमी से बिजली उत्पादन प्रभावित होने के कारण, AAP किसान संघों से समर्थन जुटा सकती है, जिन्होंने प्रीपेड स्मार्ट बिजली मीटर लगाने के केंद्र सरकार के फैसले का विरोध किया है.
उधर, चंडीगढ़ में केंद्रीय सेवा नियम लागू करने के फैसले से विपक्षी शिरोमणि अकाली दल पहले ही भड़क गया है और सर्वदलीय बैठक की मांग कर रहा है और फैसले को अदालत में चुनौती देने की धमकी दे रहा है. इससे आम आदमी पार्टी को भाजपा के खिलाफ सियासी पिच तैयार करने में मदद मिलेगी.
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