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कैप्टन अमरिंदर सिंह की खरी-खरी, बोले- जवानों की शहादत का दर्द नहीं समझ सकते नवजोत सिंह सिद्धू

कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि सिद्धू क्रिकेटर हैं और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री उनके दोस्त हैं, वो उनके साथ क्रिकेट खेला करते थे, हो सकता है उनकी सोच इस मुद्दे को लेकर अलग हो.

कैप्टन अमरिंदर सिंह (फाइल फोटो) कैप्टन अमरिंदर सिंह (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 18 फरवरी 2019,
  • अपडेटेड 9:07 PM IST

पुलवामा आतंकी हमले के बाद दिए गए बयान से पंजाब सरकार में मंत्री नवोजत सिंह सिद्धू की मुश्किलें बढ़ गई हैं. विरोधी दल तो उनके खिलाफ पहले से मोर्चा खोले ही बैठे हैं, अब उन्हीं की पार्टी के नेता और पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी सिद्धू के बयान से किनारा कर लिया है. अमरिंदर सिंह ने इसे सिद्धू का निजी बयान बताया और उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी की लाइन इस पर अलग है.

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'आजतक' से खास बातचीत में पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि लोकतंत्र में सभी को अपनी बात कहने का अधिकार है और किसी को रोका नहीं जा सकता. उन्होंने कहा कि सिद्धू से करतारपुर कॉरिडोर के वक्त भी पाकिस्तान न जाने के लिए कहा था लेकिन वो नहीं माने. मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस का स्टैंड इससे अलग है और पार्टी इस मुद्दे पर एकजुट है.

कांग्रेस नेता ने कहा कि मैं एक सिपाही रहा हूं और सिद्धू एक क्रिकेटर रहे हैं, इसलिए सिद्धू जवानों की भावनाओं को नहीं समझ सकते. उन्होंने कहा कि मैं सेना में रहा हूं और मुझे पता है कि जवानों की शहादत क्या होती है, लेकिन सिद्धू जवानों का दर्द नहीं समझ सकते.

कड़ा कदम उठाए सरकार

कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि सिद्धू क्रिकेटर हैं और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री उनके दोस्त हैं, वो उनके साथ क्रिकेट खेला करते थे, हो सकता है उनकी सोच इस मुद्दे को लेकर अलग हो. लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि उनके मन में पुलवामा हमले को लेकर दुख न हो, पूरी पंजाब की जनता इसको लेकर दुखी है और चाहती है कि कोई कड़ा कदम उठाया जाए.

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पाकिस्तान और आतंकवाद के सवाल पर कैप्टन ने कहा कि जैश ए मोहम्मद को आईएसआई गाइड करती है. आईएसआई के चीफ है जनरल बाजवा जिन्होंने इमरान खान को प्रधानमंत्री मंत्री बनाया है, ऐसे में साफ है कि जैश का हर कदम पाकिस्तान सरकार के इशारों पर होता है.  

क्या था सिद्धू का बयान

नवोजत सिंह ने पुलवामा आतंकी हमले की निंदा करते हुए पाकिस्तान से बातचीत की ओर इशारा किया था. उन्होंने कहा था कि आतंक की कोई जाति, मजहब, देश या धर्म नहीं होता है. उन्होंने कहा था कि हमले को अंजाम देने वाले आतंकियों को जवाब मिलना जरूरी है. सिद्धू ने कहा था कि आतंकवाद का स्थायी हल खोजा जाना चाहिए.

पंजाब विधानसभा में सोमवार को सिद्धू के बयान पर जमकर हंगामा हुआ और अकाली दल के सांसदों ने उनका इस्तीफा मांगा. बजट सत्र के दौरान विधानसभा में सिद्धू के खिलाफ जमकर नारेबाजी हुई और उनकी फोटो जलाई गई. इसके बाद सिद्धू ने बाहर आकर बीजेपी को कटघरे में लिया और सवाल पूछा कि कंधार के बाद 1999 में किसने आतंकियों को छोड़ा था.

सिद्धू के इस बयान के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा था कि यह पाकिस्तान के साथ बातचीत का वक्त नहीं है. बातचीत की बात करना तो बेवकूफी होगी. हमारे जवानों की शहादत बेकार ना जाए इसके लिए हमें कड़े कदम उठाने चाहिए. बता दें कि जम्मू कश्मीर में 14 फरवरी को हुए आतंकी हमले में CRPF के 40 जवान शहीद हो गए थे.

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