
पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने शुक्रवार को पटियाला कोर्ट में सरेंडर कर दिया. सिद्धू को एक साल की सजा सुनाई गई है. हालांकि, सिद्धू के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाई थी कि सिद्धू को सरेंडर के लिए कम से कम एक सप्ताह का समय मिले. लेकिन कोर्ट ने इस मामले पर तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया. इसके बाद सिद्धू को जेल जाना पड़ा. नवजोत सिंह सिद्धू को पटियाला जेल में कैदी नंबर 241383 मिला है. इसके अलावा नवजोत सिंह सिद्धू को पटियाला जेल में एक कुर्सी, मेज, दो पगड़ी, एक अलमारी, एक कंबल, एक बेड, तीन अंडरवियर और बनियान, दो टॉवल, एक मच्छरदानी, एक कॉपी पेन, एक शूज की जोड़ी, दो बेडशीट, चार कुर्ते पजामे और दो सिरहाने का कवर मिलेगा.
गौरतलब है कि नवजोत सिंह सिद्धू को VIP स्टेटस हासिल था और उन्हें कड़ी सुरक्षा मिली हुई थी, साथ ही वे शानो शौकत और आलीशान जिंदगी जीते थे, लेकिन उन्हें सुप्रीम कोर्ट द्वारा जेल की सजा सुनाई गई है.
क्या था मामला
27 दिसंबर 1988 को नवजोत सिंह सिद्धू शाम को अपने दोस्त रूपिंदर सिंह संधू के साथ पटियाला के शेरावाले गेट मार्केट गए थे. मार्केट में 65 साल के गुरनाम सिंह से पार्किंग को लेकर उनकी कहासुनी हो गई जो देखते ही देखते मारपीट तक पहुंच गई. मारपीट में सिद्धू ने घुटना मारकर गुरनाम सिंह को गिरा दिया था. बाद में जख्मी हालत में उनको हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था जहां उनकी मौत हो गई. इस मामले में सिद्धू के खिलाफ पंजाब के पटियाला जिला में FIR दर्ज हुई. इसके बाद 22 सितंबर 1999 को पटियाला के ट्रायल कोर्ट ने सिद्धू और उनके दोस्त संधू को बरी कर दिया था.
हाईकोर्ट पहुंचा मामला
फिर मामला हाईकोर्ट पहुंचा. हाईकोर्ट ने सिद्धू और संधू, दोनों को ही सेक्शन IPC 304 II के तहत दोषी ठहराया. दोनों को 3-3 साल की सजा सुनाई गई और एक-एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया. फिर 2007 में हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की गई. सिद्धू की ओर से बीजेपी के दिवंगत नेता अरुण जेटली ने केस लड़ा. मामले में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी और सिद्धू और संधू को बरी कर दिया. कोर्ट ने बस गुरनाम को चोट पहुंचाने के लिए सिद्धू पर 1000 रुपये का जुर्माना लगाया था. फिर 2007 में सिद्धू अमृतसर से चुनाव लड़े और जीते भी.
सितंबर 2018 में पीड़ित के परिवार ने कहा कि यह सजा कम है. फिर उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की. सुप्रीम कोर्ट भी इसपर सुनवाई को राजी हो गया. 25 मार्च 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने इसपर फैसला सुरक्षित रख लिया. इसके बाद अब 19 मई को सिद्धू को रोड रेज के मामले में एक साल की सजा हुई.