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पुरानी बिजली खरीद समझौते को रद्द कर नया कानून लाएं, सीएम अमरिंदर को सिद्धू की नसीहत

सिद्धू ने बिजली खरीद कीमत को लेकर कहा कि पंजाब औसतन बिजली खरीद रहा है- 4.54 प्रति यूनिट, राष्ट्रीय औसत रु. 3.85 / यूनिट और चंडीगढ़ दे रहा है रु. 3.44 प्रति यूनिट. मतलब चंडीगढ़ पंजाब से 32 % कम कीमत पर बिजली खरीद रहा है.

बिजली खरीद को लेकर सिद्धू की सलाह (फाइल फोटो) बिजली खरीद को लेकर सिद्धू की सलाह (फाइल फोटो)
मौसमी सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 02 जुलाई 2021,
  • अपडेटेड 9:06 PM IST
  • पंजाब में बिजली कटौती पर घमासान
  • सिद्धू ने अमरिंदर सरकार को दी नसीहत

पंजाब में बिजली की किल्लत के बीच कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू ने शिरोमणि अकाली दल-भारतीय जनता पार्टी की पूर्ववर्ती सरकार के दौरान किए गए बिजली खरीद समझौते (पीपीए) को रद्द करने के लिए नया कानून लाने का शुक्रवार को आग्रह किया. वहीं मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह पर निशाना साधते हुए सिद्धू ने कहा कि अगर राज्य ‘‘सही दिशा में’’ काम करता है, तो पंजाब में बिजली कटौती या कार्यालय के समय को विनियमित करने की कोई आवश्यकता नहीं होगी.

बिजली के मुद्दे पर पूर्व मंत्री सिद्धू ने अपने फेसबुक पेज पर बयान जारी करते हुए बताया है कि बिजली की कीमतों, कटौती, बिजली खरीद समझौतों (PPAs) का सच और पंजाब की जनता को मुफ्त 24 घंटे बिजली कैसे दी जाए.

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उन्होंने लिखा, अगर हम सही दिशा में कदम बढ़ाते हैं तो पंजाब में बिजली कटौती या कार्यालय के समय को विनियमित करने की कोई आवश्यकता नहीं होगी. 

सिद्धू ने आगे बिजली खरीद कीमत को लेकर कहा कि पंजाब औसतन बिजली खरीद रहा है- 4.54 प्रति यूनिट, राष्ट्रीय औसत रु. 3.85 / यूनिट और चंडीगढ़ दे रहा है रु. 3.44 प्रति यूनिट. मतलब चंडीगढ़ पंजाब से 32 % कम कीमत पर बिजली खरीद रहा है. पंजाब के तीन निजी थर्मल संयंत्रों पर असीम निर्भरता के कारण पंजाब को औसत कीमत 5 से 8 रुपये प्रति यूनिट हो रही है जो अन्य राज्यों से कहीं अधिक है.

और पढ़ें- पंजाब की राजनीति में नया ट्विस्ट! कैप्टन अमरिंदर ने सिद्धू के अरमानों पर फेरा पानी

बादल सरकार ने पंजाब में तीन निजी थर्मल पावर प्लांटों के साथ बिजली खरीद समझौतों पर हस्ताक्षर किया था. इन बातचीत के चलते पंजाब ने पहले ही 2020 तक उच्च लागत के रूप में 5400 करोड़ रुपये दिए हैं और आने वाले वर्षों में जनता के पैसों से 65,000 करोड़ और 65,000 करोड़ का भुगतान किया जाएगा. 

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उन्होंने सुझाव देते हुए कहा कि पंजाब नेशनल ग्रिड से भी ज्यादा सस्ती कीमत पर बिजली खरीद सकता है. लेकिन बादलों द्वारा हस्ताक्षर किए गए बिजली खरीद समझौते को पंजाब के जनहितों के विपरीत भुगतना पड़ रहा है. माननीय अदालतों द्वारा दिए गए संरक्षण के चलते पंजाब बिजली खरीद समझौतों को भले ही नहीं बदल सकता, लेकिन इस समस्या से बचने का बहुत आसान रास्ता है.

पंजाब विधान सभा, बिजली खरीद की कीमतों की सीमा तय करके, पिछली स्थिति को बहाल करने के लिए नया कानून ला सकती है. इस तरह कानूनी संशोधन पंजाब के लोगों के लिए इन समझौतों को निष्प्रभावी और अर्थहीन बना देगा और हजारों करोड़ रुपए बचेंगे. 

सिद्धू ने कहा कि बिजली खरीद और बिजली आपूर्ति की बहुत कम व्यवस्था है. पीएसपीसीएल 9000 करोड़ रुपये की सब्सिडी मिलने के बावजूद राज्य सरकार द्वारा आपूर्ति की गई प्रत्येक इकाई पर 18 पैसे 'अतिरिक्त' का भुगतान करता है. नवीकरणीय ऊर्जा सस्ती होने के साथ-साथ पर्यावरण के अनुकूल भी होती जा रही है लेकिन केंद्र की वित्तीय योजनाओं की उपस्थिति के बावजूद पंजाब में सौर और बायोमास ऊर्जा क्षमताओं का उपयोग अभी भी नहीं किया गया है. पंजाब एनर्जी डेवलपमेंट एजेंसी (PEDA) केवल ऊर्जा के शुद्ध उपयोग के बारे में जागरूकता फैलाने में अपना समय व्यतीत कर रही है. 

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उन्होंने कहा कि पंजाब पहले से ही 9000 करोड़ रुपये बिजली सब्सिडी देता है लेकिन दिल्ली बिजली सब्सिडी के रूप में केवल 1699 करोड़ रुपये देती है. पंजाब अगर दिल्ली मॉडल की कॉपी कर ले तो 1600 से 2000 करोड़ की सब्सिडी मुश्किल से मिलेगी. 300 यूनिट तक सब्सिडी देने, 24 घंटे की आपूर्ति और स्वास्थ्य क्षेत्र में स्कूली शिक्षा पर निवेश करने के लिए इस्तेमाल किया जाना चाहिए.
 

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