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पंजाब: सत्र की अनुमति देने से पहले गवर्नर ने मांगी डिटेल, CM बोले- अब राज्यपाल कहेंगे स्पीच भी अप्रूव करा लें

पंजाब में राज्यपाल पुरोहित और मुख्यमंत्री भगवंत मान सरकार के बीच विवाद बढ़ता जा रहा है. दरअसल, भगवंत मान कैबिनेट ने बहुमत परीक्षण के लिए 22 सितंबर को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की सिफारिश की थी, जिसे राज्यपाल ने खारिज कर दिया था. उसके बाद मान कैबिनेट ने फिर 27 सितंबर को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की मंजूरी दी है.

पंजाब सरकार ने विधानसभा का विशेष सत्र बुलाए जाने के लिए प्रस्ताव पारित किया है. पंजाब सरकार ने विधानसभा का विशेष सत्र बुलाए जाने के लिए प्रस्ताव पारित किया है.
कमलजीत संधू
  • चंडीगढ़,
  • 23 सितंबर 2022,
  • अपडेटेड 1:57 AM IST

पंजाब में विधानसभा का विशेष सत्र बुलाए जाने को लेकर बीजेपी और AAP में सियासी घमासान देखने को मिल रहा है. अब राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित ने 27 सितंबर को प्रस्तावित विधानसभा सत्र में उठाए जाने वाले विधायी कार्यों की जानकारी मांग ली है. वहीं, मुख्यमंत्री भगवंत मान ने राज्यपाल के इस आदेश पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा है कि विधानसभा सत्र के लिए राज्यपाल की मंजूरी एक औपरचारिकता होती है. 75 साल में आज तक किसी राज्यपाल ने इस तरह जानकारी नहीं मांगी है.

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बता दें कि पंजाब में राज्यपाल पुरोहित और मुख्यमंत्री भगवंत मान सरकार के बीच विवाद बढ़ता जा रहा है. दरअसल, भगवंत मान कैबिनेट ने बहुमत परीक्षण के लिए 22 सितंबर को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की सिफारिश की थी, जिसे राज्यपाल ने खारिज कर दिया था. उसके बाद मान कैबिनेट ने फिर 27 सितंबर को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की मंजूरी दी है. अब राज्यपाल ने AAP सरकार से विधानसभा सत्र बुलाए जाने की पूरी जानकारी मांग ली है. इसी बात पर मुख्यमंत्री भगवंत मान ने आपत्ति जताई है.

अब तक किसी ने विधायी कार्यों की सूची नहीं मांगी

सीएम मान ने शुक्रवार रात ट्वीट किया और कहा- विधानमंडल के किसी भी सत्र से पहले राज्यपाल की सहमति एक औपचारिकता होती है. 75 वर्षों में किसी भी राज्यपाल ने सत्र बुलाने से पहले विधायी कार्यों की सूची नहीं मांगी. विधायी कार्य BAC और स्पीकर द्वारा तय किया जाता है. आगे से सरकार सभी भाषणों के लिए भी उनसे अनुमोदित करने के लिए कहेगी. यह तो ज्यादा हो गया है.

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AAP विधायकों ने निकाला था विरोध मार्च

इससे पहले राज्यपाल द्वारा विशेष सत्र रद्द किए जाने पर आम आदमी पार्टी सरकार ने विरोध किया था और सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कही थी. पंजाब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में राज्यपाल के कदम को चुनौती देने के लिए 27 सितंबर को विधानसभा सत्र आयोजित करने का फैसला किया है. इसके साथ ही AAP विधायकों ने विरोध मार्च निकाला था. विधायक तख्तियां लिए हुए थे, जिन पर लिखा था- 'लोकतंत्र की हत्या बंद करो' और 'ऑपरेशन लोटस मुर्दाबाद.' उन्होंने कथित रूप से हाथ मिलाने के लिए कांग्रेस और भाजपा पर हमला किया. 

बीजेपी ने मान सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया था

हालांकि, प्रदर्शन करने वाले विधायकों को राज्यपाल के आवास की तरफ जाने से रोक दिया गया. पुलिस ने विधानसभा परिसर से करीब एक किलोमीटर दूर बैरिकेड्स लगा रखे थे. उधर, भाजपा ने भी मान सरकार के खिलाफ धरना दिया था. बीजेपी नेताओं ने मान के आवास को घेरने का प्लान बनाया था. बाद में पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को रोक लिया और कुछ नेताओं को हिरासत में ले लिया था.

बीजेपी पर विधायक तोड़ने की कोशिश का आरोप

वहीं, मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा है कि 27 सितंबर के सत्र में पराली जलाने और बिजली जैसे मुद्दों पर चर्चा की जाएगी. माना जा रहा है कि AAP सरकार विधानसभा में बहुमत परीक्षण के लिए प्रस्ताव भी लाएगी. AAP का आरोप है कि बीजेपी ने विधायकों को तोड़ने के लिए पैसों का ऑफर दिया है और फोन किए हैं. उसके बाद विधानसभा में AAP सरकार को बहुमत प्राप्त है.

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चीमा ने राज्यपाल पर सवाल किए

इस संबंध में वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा का कहना था कि सदन की व्यावसायिक सलाहकार समिति (business advisory committee ) तय करेगी कि उस दिन कौन सा कार्य किया जाना है. इसके साथ ही चीमा ने सवाल किया कि राज्यपाल ने मामले में कानूनी राय के लिए राज्य के महाधिवक्ता की जगह देश के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल को क्यों प्राथमिकता दी? चीमा ने कहा- 'उन्होंने (राज्यपाल) ये आदेश भारत के अतिरिक्त महाधिवक्ता की सलाह पर पारित किया, जो भाजपा के पूर्व सांसद हैं.

 

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