
पंजाब में विशेष सत्र बुला विश्वास मत पेश करने की तैयारी कर रही आम आदमी पार्टी सरकार को झटका लगा है. राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित ने उस विशेष सत्र को रद्द कर दिया है. तर्क दिया गया है कि सरकार खुद इस तरह से विधानसभा में विश्वास प्रस्ताव नहीं ला सकती है. इसके लिए संविधान में कोई प्रावधान नहीं दिया गया है.
राज्यपाल ने इजाजत वापस क्यों ली?
राज्यपाल ने जारी बयान में कहा है कि इस मामले में मुझे नेता विपक्ष प्रताप सिंह बाजवा कांग्रेस विधायक सुखपाल सिंह खैरा और बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष अश्विनी शर्मा की तरफ से रिप्रजेंटेशन मिला था जिसमें कहा गया था कि इस तरह से विश्वास प्रस्ताव लाने के लिए विधानसभा के स्पेशल सेशन को बुलाए जाने का कोई प्रावधान नियमों में नहीं है. इसके बाद एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया सत्यपाल जैन से कानूनी सलाह ली गई जिसमें यह पाया गया कि इस तरह का कोई प्रावधान विशेष सत्र बुलाए जाने को लेकर नहीं है. इसलिए मैं विशेष सत्र बुलाए जाने को लेकर दिए गए अपने आदेश वापस लेता हूं.
आप ने बीजेपी पर साधा निशाना
राज्यपाल के फैसले से आम आदमी पार्टी आगबबूला हो गई है. उसने इसे लोकतंत्र की हत्या करार दिया है. आप ने कहा है कि भाजपा के इशारे पर पंजाब में लोकतंत्र की हत्या का एक और नमूना पेश किया गया है. भारत के इतिहास में आजतक राज्यपाल ने विशेष सत्र की मंज़ूरी कभी निरस्त नहीं की है. आज ये साबित हो गया कि भाजपा और कांग्रेस की मिलीभगत है. जो पर्दे के पीछे थी वो अब सामने आ गई है. आजतक कांग्रेस के विधायक पूरे देश में बिकते रहे और अब अप्रत्यक्ष रूप से पंजाब में भी बिक गए. 70 सालों से इसी तरह कांग्रेस और भाजपा ने मिलकर चुनी हुई लोकतांत्रिक सरकारों की अमर्यादित रुप से हत्या की है.
आप संयोजक अरविंद केजरीवाल ने भी राज्यपाल पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि राज्यपाल कैबिनेट द्वारा बुलाए सत्र को कैसे मना कर सकते हैं? फिर तो जनतंत्र खत्म है. दो दिन पहले राज्यपाल ने सत्र की इजाज़त दी. जब ऑपरेशन लोटस फ़ेल होता लगा और संख्या पूरी नहीं हुई तो ऊपर से फ़ोन आया कि इजाज़त वापस ले लो. वहीं पंजाब सीएम भगवंत मान ने भी गंभीर सवाल उठा दिए हैं.
जोर देकर कहा गया है कि राज्यपाल द्वारा विधानसभा ना चलने देना देश के लोकतंत्र पर बड़े सवाल पैदा करता है. अब लोकतंत्र को करोड़ों लोगों द्वारा चुने हुए जनप्रतिनिधि चलाएंगे या केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किया हुआ एक व्यक्ति. एक तरफ भीमराव जी का संविधान और दूसरी तरफ ऑपरेशन लोटस. जनता सब देख रही है.
पूरा विवाद क्या है?
अब जानकारी के लिए बता दें कि पंजाब सरकार गुरुवार को विधानसभा में विश्वास मत पेश करने वाली थी. दिल्ली के बाद पंजाब में भी आम आदमी पार्टी ने बीजेपी पर ऑपरेशन लोटस चलाने का आरोप लगाया था. दावा किया गया था कि विधायकों को करोड़ों रुपये देकर तोड़ने का प्रयास किया गया. उसी विवाद के बीच में ये विश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी थी. लेकिन अब राज्यपाल ने इसे खारिज कर दिया है जिस वजह से पंजाब की राजनीति में फिर उबाल आ गया है.