
विधानसभा चुनाव में करारी मात खाने के बाद से बीजेपी पंजाब में मजबूती से पांव जमाने की कोशिश कर रही है. इस कड़ी में पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सोमवार को अपने बेटे और बेटी के साथ बीजेपी का दामन थामेंगे. बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा की मौजूदगी में कैप्टन और उनके साथ छह पूर्व विधायक बीजेपी की सदस्यता ग्रहण करेंगे. साथ ही कैप्टन की पार्टी पंजाब लोक कांग्रेस का भी बीजेपी में विलय हो जाएगा, लेकिन सवाल उठता है कि विधानसभा चुनाव में हाशिए पर पहुंची बीजेपी को अमरिंदर कैसे लोकसभा चुनाव में उबारेंगे?
बता दें कि शिरोमणि अकाली दल के अलग होने के बाद से बीजेपी पंजाब में अपनी पैठ बनाने के लिए प्रयास कर रही है. ऐसे में भाजपा की नजर 2024 में उन लोकसभा सीटों पर है, जहां पर वह अकाली दल के साथ गठबंधन में रहते हुए चुनाव नहीं लड़ती थी. अकाली दल के साथ गठबंधन में बीजेपी पंजाब की 13 में से केवल तीन लोकसभा सीटों- अमृतसर, गुरदासपुर और होशियारपुर में ही चुनाव लड़ती रही है. गठबंधन टूटने के बाद बीजेपी पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ी और फिर संगरूर में हुए लोकसभा उपचुनाव में उसने अकेले किस्मत आजमाई थी.
बीजेपी को मजबूत सिख चेहरे की तलाश
बीजेपी को लंबे समय से पंजाब में एक मजबूत सिख चेहरे की तलाश कर रही है, जो पंजाब में पार्टी को सियासी संजीवनी दे सके और हिंदू समुदाय के बीच भी स्वीकार्य हो. ऐसे कैप्टन अमरिंदर सिंह बीजेपी के दोनों ही फॉर्मूले में पूरी तरह से फिट बैठते हैं, क्योंकि वो पंजाब की सियासत में मंझे हुए नेता हैं. प्रदेश के सिख और हिंदू दोनों ही समुदाय की बीच वह मजबूत पकड़ रखते हैं. यही वजह है कि कांग्रेस से अलग होने के बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह बीजेपी के नजदीक खड़े नजर आए.
कैप्टन अमरिंदर पहले अपनी पार्टी बनाकर बीजेपी के साथ विधानसभा चुनाव लड़े, लेकिन आम आदमी पार्टी की आंधी और किसानों की नाराजगी के चलते कैप्टन की पार्टी उड़ गई और भाजपा भी हाशिये पर चली गई थी. इतना जरूर है कि पिछले चुनाव के मुकाबले बीजेपी का वोट शेयर बढ़ा है.
2017 के 5.39 फीसदी की तुलना में 2022 में बीजेपी को 6.60 फीसदी वोट मिले. ऐसे में 2024 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर पंजाब में बीजेपी दोबारा से खड़े होने की कवायद शुरू कर चुकी है, जिसके चलते कांग्रेस के कई बड़े नेताओं को अपने साथ मिलाया है.
कांग्रेस में रहेंगी अमरिंदर की पत्नी
सुनील जाखड़ के बीजेपी का दामन थामने के बाद अब कैप्टन अमरिंदर सिंह अपने सभी सिपहसलार के साथ बीजेपी में एंट्री करने जा रहे है. कैप्टन के साथ पंजाब के छह पूर्व विधायक, कैप्टन के बेटे रण इंदर सिंह, बेटी जय इंदर कौर, नाती निर्वाण सिंह भी बीजेपी की सदस्यता ग्रहण करेंगे. हालांकि अमरिंदर की पत्नी व लोकसभा सदस्य परनीत कौर फिलहाल कांग्रेस में रहेंगी, क्योंकि बीजेपी में एंट्री करते ही उनकी सदस्यता पर खत्म हो सकती है.
बीजेपी ने पंजाब को लेकर जो रणनीति तैयार की है उसी के तहत पहली बार सभी 13 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी है. किसानों से जुड़े कानूनों की वापसी करके पार्टी ने किसान वर्ग की नाराजगी दूर करने की कोशिश की है, उसी के साथ पार्टी राज्य के प्रभावशाली नेताओं को जोड़ने की कवायद कर रही है. सुनील जाखड़ से लेकर राणा गुरमीत सिंह सोढी, फतेह जंग बाजवा, बलवीर सिद्धू, गुरुप्रीत कांगर, सुंदर सिंह अरोड़ा जैसे नेताओं की जोड़ने की कोशिश की गई.
बीजेपी ने पिछले दिनों केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी, अर्जुन राम मेघवाल और केंद्रीय राज्य मंत्री निरंजन ज्योति को तीन दिन के लिए पंजाब भेजा था. पंजाब में कार्यकर्ताओं के सियासी नब्ज टटोलने के साथ ही अलग-अलग संगठनों के साथ बैठकें भी हुई थीं. इतना ही नहीं बीजेपी अपने केंद्रीय संसदीय बोर्ड में इकबाल सिंह लालपुरा को जगह देकर खासतौर पर पंजाब के सिखों को उनकी अहमियत का संदेश देने की कोशिश की है और अब कैप्टन अमरिंदर सिंह को मिलाकर बड़ा सियासी दांव चल रही.
पंजाब की सियासत में कैप्टन अमरिंदर सिंह का नाम काफी बड़ा है, जो पंजाब से बाहर देश के दूसरे राज्यों में भी जाना और पहचाना है. बीजेपी कैप्टन के जरिए पंजाब को एक बड़ा सियासी संदेश देने और उनके सियासी अनुभव को 2024 के चुनाव में भुनाने की कवायद कर रही है. कैप्टन के बीजेपी में शामिल होने की टाइमिंग ऐसी है, जब लोकसभा चुनाव को लेकर विपक्षी एकता का तानाबाना बुना जा रहा है. ऐसे में बीजेपी पंजाब के कैप्टन के जरिए सियासी संजीवनी तलाश रही है.
80 साल के अमरिंदर, क्या होगी बीजेपी में भूमिका?
कैप्टन अमरिंदर सिंह दो बार कांग्रेस से पंजाब के मुख्यमंत्री रहे हैं, लेकिन अब सवाल उठ रहा है कि बीजेपी में शामिल होने के बाद उनकी क्या भूमिका रहने वाली है. कैप्टन इस समय 80 साल के हैं और बीजेपी अपने नेताओं के लिए 75 साल की उम्र सीमा तय कर रखा है. 75 साल से ऊपर नेताओं को बीजेपी टिकट नहीं देती है. ऐसे में कैप्टन अमरिंदर के लिए सियासी डगर थोड़ी मुश्किल हो सकती है. हालांकि, बीजेपी ने केरल में श्रीधरन को सीएम के चेहरा बनाकर उम्र सीमा की लिमिट को तोड़ चुकी है. एक पैर विदेश में हमेशा रखने वाले अमरिंदर सिंह बीजेपी के 24 घंटे और सातों दिन वाली राजनीति में फिट बैठेंगे इसमें संदेह के बादल अभी से दिख रहे हैं.
कैप्टन को सहयोगी बनाकर पंजाब में विधानसभा चुनाव लड़ने वाली बीजेपी को दो सीटों पर (पठानकोट और मुकेरियॉ) में ही जीत मिली थी. वहीं 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी के खाते में तीन सीटें गईं थीं. वहीं बात लोकसभा चुनाव की करें तो 2019 में बीजेपी- शिरोमणि अकाली दल ने पंजाब में 5 सीटें जीती थीं. इसमें अकाली दल ने 3 सीटें जीती थीं और बीजेपी ने दो संसदीय सीटें जीती थीं.
ऐसे में बीजेपी को उम्मीद है कि कैप्टन के आने से पंजाब में उसे मजबूती मिलेगी और कांग्रेस की कमजोर होना का फायदा उसके खाते में जा सकता है. ऐसे में देखना है कि बीजेपी की उम्मीदों पर कैप्टन कितने खरे उतरते हैं.