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पंजाब में किसानों के मुद्दे पर अपनी ही पार्टी की लाइन के खिलाफ बोलने वाले पूर्व मंत्री और पूर्व विधायक अनिल जोशी (Anil Joshi) को बीजेपी (BJP) से निष्कासित कर दिया गया है. कुछ दिन पहले ही अनिल जोशी ने यह बयान दिया था कि केंद्र सरकार को किसानों के मुद्दे पर किसान संगठनों से बातचीत करके हल निकालना चाहिए नहीं, तो पंजाब में पार्टी को नुकसान उठाना होगा.
बीजेपी ने उन्हें नोटिस भी जारी किया था, जिसके मुताबिक जोशी केंद्र सरकार, पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व और नीतियों के खिलाफ बयान देते रहे हैं. पार्टी के एक बयान के अनुसार, जोशी को राज्य इकाई के प्रमुख अश्विनी शर्मा के निर्देश पर निष्कासित किया गया था.
बयान में कहा गया है कि जोशी ने पार्टी के खिलाफ जाने के अपने जिद्दी रवैये को नहीं छोड़ा, जिसके बाद प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष अश्विनी शर्मा ने अनुशासन समिति की सिफारिशों पर उन्हें छह साल के लिए पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निष्कासित कर दिया. एजेंसी के अनुसार, इससे पहले, कारण बताओ नोटिस के दो पेज के जवाब में जोशी ने कहा था कि उन्होंने केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ कभी बात नहीं की और राज्य पार्टी प्रमुख से पूछा कि क्या किसानों के बारे में बात करना अनुशासनहीनता है?
मैंने हमेशा पार्टी हित में बात की: अनिल जोशी
अमृतसर उत्तर के पूर्व विधायक ने कहा कि उन्होंने हमेशा पार्टी के हितों के बारे में बात की. जोशी ने जवाब दिया, "मैंने न तो केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ और न ही केंद्रीय नेताओं के खिलाफ बात की." उन्होंने पूछा कि क्या आढ़तियों, उद्योगपतियों, छोटे व्यापारियों और मजदूरों के बारे में बात करना अनुशासनहीनता है? उन्होंने आगे कहा कि कार्यकर्ता पार्टी छोड़ रहे हैं और पंजाब बीजेपी प्रमुख से पूछा कि क्या पार्टी को बचाने का सुझाव देना अनुशासनहीनता है?
सात महीने से किसानों का आंदोलन जारी
जोशी ने यह भी कहा कि शुरू में, राज्य में कृषि कानूनों का विरोध करने वाले किसानों की कुछ मांगें थीं, जिन्हें अगर बीजेपी की पंजाब यूनिट ने कुछ प्रयास किए होते तो निपटाया जा सकता था. बता दें कि केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी यूपी के बड़ी संख्या में किसान दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर पिछले सात महीने से अधिक समय से आंदोलन कर रहे हैं. किसान कानूनों को रद्द करने, एमएसपी पर कानून बनाने की मांग कर रहे हैं.