
पंजाब विधानसभा चुनावों (Punjab Assembly Elections 2022) में आम आदमी पार्टी ने एक बार फिर से मजबूती के साथ दावा ठोक दिया है. या फिर यूं कहें आप सुप्रीमो केजरीवाल की अगुवाई में पार्टी ने पंजाब चुनावों में भी ताल ठोकने के साथ सरकार बनाने का दावा भी कर दिया है. लेकिन आम आदमी पार्टी के सामने चुनौतियां भी कम नहीं है. पार्टी के 20 में से 9 विधायकों ने साथ छोड़ दिया है. सबसे बड़ी चुनौती पार्टी के सामने एक तरफ मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करना है तो दूसरी तरफ टिकटों का बंटवारा है और जीते हुए विधायकों को एकजुट संभाल कर रखना भी है.
2017 के विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी ने 117 विधानसभा सीटों में से 20 विधानसभा सीटें जीतकर दूसरे नंबर की पार्टी बनकर पंजाब में सबको चौंका दिया था. पार्टी ने 23.76% वोट शेयर हासिल किया था, लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने चार सांसदों में से तीन पद गंवा दिए और पार्टी का मत प्रतिशत भी बड़ी तादात में कम हुआ. वर्तमान में पंजाब से सिर्फ भगवंत मान ही इकलौते सांसद हैं.
कितने विधायक हैं पार्टी के साथ?
2017 के पंजाब विधानसभा चुनाव में जहां पार्टी दूसरे नंबर की सबसे बड़ी पार्टी बनी. तो वहीं, नेता विपक्ष का पद भी आम आदमी पार्टी को ही मिला. पहली बार नेता प्रतिपक्ष बने भुल्लथ सीट से आम आदमी पार्टी के विधायक सुखपाल खैरा नेता प्रतिपक्ष के पद से हटने के बाद पार्टी से इस कदर नाराज हो गए कि वो पार्टी को अलविदा कहकर कांग्रेस में शामिल हो गए. हालांकि सुखपाल खैरा फिलहाल जेल में हैं.
मशहूर वकील और सामाजिक कार्यकर्ता एचएस फूलका लुधियाना की मुल्लापुर दाखा सीट से विधानसभा चुनाव जीतकर आए लेकिन उन्होंने भी बहुत जल्द आम आदमी पार्टी के साथ-साथ राजनीति से ही विदाई ले ली.
ठीक ऐसे ही पत्रकार कमर संधु हैं जो कि खरड विधानसभा से विधायक बने लेकिन वर्तमान में आम आदमी पार्टी और राजनीति दोनों से उन्होंने विदाई ले ली. वहीं सांसद भगवंत मान की खास कही जाने वाली बठिंडा से विधायक रुपिंदर कौर रूबी ने भी कांग्रेस पार्टी का दामन थाम लिया. पार्टी विधायक जगदेव कमालू, जगतार सिंह जग्गा, नाजर सिंह मानसाइया और मास्टर बलदेव सिंह भी कांग्रेस पार्टी का दामन थाम चुके हैं.
विधायक अमरजीत संदोहा कांग्रेस से लौटकर वापस आम आदमी पार्टी में आ चुके हैं, लेकिन कहा यह जा रहा है कि वो फिलहाल एक बार फिर से आम आदमी पार्टी में नहीं हैं.
5 साल पूरे से होने से पहले गंवाए 9 विधायक
2017 के विधानसभा चुनाव में बीस विधायक जीतने वाली पार्टी पांच साल पूरे होने से पहले अपने 9 विधायकों को गंवा चुकी है. फिलहाल पार्टी के पास सिर्फ 11 विधायक बचे हैं. उसके बाद टिकट बंटवारे को लेकर एक बार फिर से पार्टी में जहां घमासान छिड़ गया है तो वही आरोप प्रत्यारोप का दौर भी शुरू हो गया है. ये आलम तब है जब पार्टी ने मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित नहीं किया है. ऐसे में साफ जाहिर है कि पार्टी को आगामी चुनाव में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है.