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किसान नेता दलजिंदर गिरफ्तार, कुलवंत सिंह नजरबंद... धरने से पहले चंडीगढ़ से पंजाब तक ताबड़तोड़ एक्शन

किसानों के पहले से तय मोर्चे पर जाने से पहले पुलिस ने किसान नेताओं के घरों पर छापा मारा. थाना पातड़ां के गांव मौलवीवाला में किसान नेता कुलवंत सिंह को नजरबंद किया गया है और दलजिंदर सिंह हरियाउ को गिरफ्तार किया गया है.

पंजाब सरकार से नाराज किसान पंजाब सरकार से नाराज किसान
कमलजीत संधू
  • चंडीगढ़,
  • 04 मार्च 2025,
  • अपडेटेड 11:32 AM IST

पंजाब (Punjab) के किसान अपनी मांगों को लेकर सरकार के सामने लामबंद हैं. चंडीगढ़ धरने से पहले किसान नेताओं के घर पर पुलिस की कार्रवाई का मामला सामने आया है. भारतीय किसान यूनियन उगराहां के अध्यक्ष जोगिंदर सिंह उगराहां के घर पुलिस पहुंची, लेकिन जोगिंदर सिंह उगराहा घर पर मौजूद नहीं हैं. इसके साथ ही बरनाला जिले में भी कई किसान नेताओं के घर पुलिस पहुंची. 

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5 मार्च को चंडीगढ़ में लगने वाले मोर्चे के लिए मानसा पुलिस की ओर से बीती रात को किसानों के घरों में छापेमारी कर मानसा जिले के दर्जन के करीब किसानों को हिरासत में लिया गया है.

किसान नेताओं के घर छापा

किसानों के पहले से तय मोर्चे पर जाने से पहले पुलिस ने किसान नेताओं के घरों पर छापा मारा. थाना पातड़ां के गांव मौलवीवाला में किसान नेता कुलवंत सिंह को नजरबंद किया गया है. सुबह पुलिस ने घर पर छापा मारा था. कुलवंत सिंह मौलवीवाला कुल हिंद किसान सभा के प्रदेश उपाध्यक्ष हैं. कुल हिंद किसान सभा संयुक्त किसान मोर्चा का एक अहम हिस्सा है. 

किरती किसान यूनियन के ब्लॉक नेता दलजिंदर सिंह हरियाउ को भी गिरफ्तार किया गया है. 

'दिल्ली की हार का गुस्सा किसानों पर...'

किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने कहा, "पंजाब सरकार दिल्ली हार का गुस्सा किसानों पर निकाल रही है, पंजाब में लोग सरकार की नीतियों से किए वादों और नशे सहित भ्रष्टाचार से तंग है. भगवंत मान तीन साल में किए हुए काम गिनवा दें."

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उन्होंने आगे कहा कि आज किसानों को सुबह से डीटेन किया जा रहा है, लोकतंत्र में धरने का हक नहीं, भगवंत मान किसान नेताओं में आपसी फूट का फायदा उठा रहे हैं. इस पर ना कांग्रेस प्रधान राजा वडिंग बोले हैं, ना सुखबीर बादल. उनको डर है कि पुलिस उनके घर ना आ जाए. किसान यूनियन की तरफ से मीटिंग की जाएगी और इसका विरोध किया जाएगा.

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'इमरजेंसी जैसे हालात...'

केंद्रीय मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू ने कहा, "भगवंत मान की अगुवाई वाली सरकार ने पंजाब में इमरजेंसी जैसे हालात बना दिए हैं. पंजाब के किसानों से जुड़े मुद्दों पर अपनी पोल खुलने के बाद अब वह किसान नेताओं पर पुलिसिया कार्रवाई कर रही है. जैसा कि हम बार-बार कह चुके हैं, मुख्यमंत्री ने राज्य को पुलिस राज्य में बदल दिया है और किसानों के खिलाफ पंजाब पुलिस की कार्रवाई बेहद निंदनीय है." 

उन्होंने आगे कहा कि यह पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार की किसान विरोधी मानसिकता को साफ तौर पर दर्शाता है.

भगवंत मान के साथ किसानों की मीटिंग

इससे पहले सोमवार को किसानों (SKM राजनीतिक के 40 नेताओं) ने पंजाब के मुख्यमंत्री के साथ बैठक की. लेकिन इस मीटिंग के दौरान हुई बहस के बाद भगवंत मान उठ कर चले गए, जिस पर किसानों ने नाराजगी जताई है. 

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CM के मीटिंग छोड़कर जाने के बाद किसान नेता ने मीडिया से बात करते हुए कहा, "हमारी मीटिंग काफी अच्छी चल रही थी. कुछ मांगों को लेकर बहस हो गई थी. हमारी मांगों के बाद मुख्यमंत्री ने हमारी बेइज्जती की. सीएम ने कहा कि आप लोग सड़कों पर मत बैठा करो. सीएम ने हमसे 5 तारीख को होने वाले प्रोग्राम के बारे में जानकारी मांगी. आप प्रदर्शन करों या नहीं करोगे."

'पहली बार ऐसा करते...'

किसान नेता जोगिंदर सिंह ने आजतक से बात करते हुए कहा, "पहली दफा किसी CM को ऐसा करते देखा गया, वे बैठक छोड़ चले गए. सीएम ने गुस्से में मीटिंग से वॉकआउट कर दिया. CM ने कहा कि मैंने धरने के डर से बैठक नहीं बुलाई, जाओ करलो धरना." 

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सरकार का आश्वासन

किसानों ने बताया कि 17 में से 13 मांगों को सरकार ने पहले ही पूरा करने का आश्वासन दिया है. इन मांगों में किसानों की चिंताओं को दूर करने के लिए सरकार और किसानों के बीच एक उप-समिति का गठन, सरकारी विभागों के समान किसानों के नाबार्ड ऋणों के लिए एकमुश्त निपटान योजना शुरू करना, 1 जनवरी 2023 से सरहिंद फीडर नहर पर स्थापित मोटरों के बिजली बिलों को माफ करना और 2024-25 तक सरकारी भूमि पट्टों से संबंधित मुद्दों को हल करना शामिल है.

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अन्य मांगों में आवारा पशुओं से फसल नुकसान को रोकने के लिए किसानों को राइफल लाइसेंस जारी करना, प्रीपेड बिजली मीटर लागू करना, किसानों को नैनो-पैकेजिंग और अन्य उत्पादों की जबरन आपूर्ति पर प्रतिबंध लगाना, बाढ़ से हुए गन्ने की फसल के नुकसान का मुआवजा देना, सहकारी समितियों में नए खाते खोलने पर प्रतिबंध हटाना, उप-समितियां बनाना और राष्ट्रीय भूमि अनुसंधान अधिनियम के तहत किसानों की मांगों का समाधान करना शामिल है.

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