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पंजाब: टीचर्स के रिटायरमेंट के वक्त फेयरवेल पार्टी पर शिक्षा विभाग ने लगाई रोक

पंजाब में स्कूल विभाग का सिलेबस बदलने का मुद्दा अभी ठीक ढंग से थमा भी नहीं था कि विभाग ने अब कई सारे ऐसे फैसले ले लिए हैं, जो कि ना तो अध्यापकों और ना ही विद्यार्थियों के गले उतर रहे हैं. हैरान करने वाली बात यह है कि राज्य के शिक्षा मंत्री को शिक्षा विभाग द्वारा लिए गए कई फैसलों की अभी जानकारी तक नहीं है.

पंजाब सीएम अमरिंदर सिंह पंजाब सीएम अमरिंदर सिंह
मोनिका गुप्ता/सतेंदर चौहान
  • चंडीगढ़,
  • 14 जुलाई 2018,
  • अपडेटेड 4:58 AM IST

पंजाब में स्कूल विभाग का सिलेबस बदलने का मुद्दा अभी ठीक ढंग से थमा भी नहीं था कि विभाग ने अब कई सारे ऐसे फैसले ले लिए हैं, जो कि ना तो अध्यापकों और ना ही विद्यार्थियों के गले उतर रहे हैं. हैरान करने वाली बात यह है कि राज्य के शिक्षा मंत्री को शिक्षा विभाग द्वारा लिए गए कई फैसलों की अभी जानकारी तक नहीं है.

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पंजाब के शिक्षा मंत्री ओपी सोनी ने बताया कि विभाग के सचिव ने दो सर्कुलर निकाले हैं. इनको पंजाब के तमाम सरकारी स्कूलों में भेज दिया गया है. एक सर्कुलर में पंजाबी में लिखा हुआ है कि अध्यापकों के रिटायरमेंट के समय होने वाली फेयरवेल पार्टी या विदाई समारोह बंद किए जाएंगे. क्योंकि इससे अध्यापक स्कूल में स्टूडेंट्स का समय तो अध्यापकों का धन बर्बाद होता है. वहीं दूसरे सर्कुलर में लिखा गया है की दसवीं और 12वीं क्लास के जो स्टूडेंट होते हैं. उनको अंतिम वर्ष में स्कूल छोड़ने से पहले फेयरवेल पार्टी दी जाती है. यानी कि स्टूडेंट्स की फेयरवेल पार्टी पर भी बैन लगेगा.

वहीं स्कूल शिक्षा मंत्री ने फरमान जारी कर दिया है कि पंजाब के सरकारी स्कूलों के अध्यापक अपने मनमुताबिक ड्रेस पहनकर स्कूल में नहीं आ सकते हैं. सरकारी अध्यापकों को पेंट-कमीज डालकर ही स्कूल में आना पड़ेगा तो वहीं महिला अध्यापकों को भी प्लाजो, कैपरी, ट्राउजर, लेगिंग और जींस को ना कहनी होगी. साथी शिक्षा मंत्री ने यह भी कहा है यदि अध्यापक स्कूल के दिन आकर चंडीगढ़ में धरना प्रदर्शन करते हैं तो उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी

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पंजाब के पूर्व शिक्षा मंत्री डॉ दलजीत चीमा ने बताया कि पंजाब में शिक्षा विभाग अक्सर सुर्खियों में बना रहता है. कभी खराब रिजल्ट, कभी सिलेबस में बदलाव तो कभी स्टूडेंट्स और अध्यापकों को शिक्षा विभाग द्वारा जारी किए गए आदेश. इतना सब कुछ होने के बावजूद भी शिक्षा का स्तर सुधर नहीं रहा है.

डॉ दलजीत चीमा का कहना है कि सरकार को बच्चों की शिक्षा पर ध्यान देना चाहिए. ना कि अध्यापकों की ड्रेस और फेयरवेल पार्टी पर. अगर कोई अध्यापक 30, 35 साल की सर्विस के बाद रिटायर होता है. विदाई के तौर पर स्कूल का स्टाफ और बच्चे स्कूल टाइम के बाद 10:15 मिनट चाय-समोसे के लिए एक छोटी सी पार्टी दे भी देते हैं तो इसमें आखिर हर्ज क्या है. स्टूडेंट और टीचर का एक रिश्ता होता है. विदाई के समय सिर्फ इस रिश्ते को निभाया जाता है. लिहाजा सरकार के तमाम फैसले गलत हैं. ये फैसले दकियानूसी होने के साथ-साथ डिक्टेटरशिप वाले भी हैं.

पंजाब सरकार के इन फैसलों पर स्कूलों में पढ़ाने वाले अध्यापक और पढ़ने वाले विद्यार्थी दोनों ही खुश नजर नहीं आए. उनका मानना है कि क्योंकि फेयरवेल पार्टी एक स्टूडेंट को 10 या 12 साल लगातार स्कूल में पढ़ने के बाद मिलती है तो वहीं अध्यापक को रिटायरमेंट 30 से 35 साल लगातार पढ़ाने के बाद मिलती है. लिहाजा स्टूडेंट और टीचर दोनों ही सरकार के इन फैसलों से खुश नजर नहीं आए.

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