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'जिंदा किसानों को मृत घोषित कर पंजाब सरकार कर रही कर्जमाफी'

बरनाला के गांव बड़बर में करीब 4 एकड़ जमीन पर खेती करने वाले किसान गुरमुख सिंह के मुताबिक, कर्ज माफी के नाम पर किसानों से पंजाब में सिर्फ मजाक किया जा रहा है और स्थानीय को-ऑपरेटिव सोसाइटी की ओर से जो कर्ज माफी की पहली किसानों की लिस्ट बनाई गई थी उसमें उन्हें कागजों में मृत दिखा दिया गया है.

सांकेतिक तस्वीर सांकेतिक तस्वीर
सतेंदर चौहान
  • नई दिल्ली,
  • 20 जून 2019,
  • अपडेटेड 10:05 PM IST

पंजाब सरकार किसानों का कर्ज माफ करने का दावा कर रही है, लेकिन कर्ज माफी के नाम पर आए दिन किसानों के साथ मजाक भी होता रहता है. ताजा मामले में पंजाब के बरनाला के बड़बर गांव में कर्ज माफी के लिए किसानों की लिस्ट बनाई गई है, लेकिन इस लिस्ट में 13 जीवित किसानों को मृत दिखा दिया गया. जिसे लेकर किसानों ने एतराज जताया और कहा कि अगर सरकार को कर्ज माफ नहीं करना है तो न करे लेकिन कम से कम उन्हें कागजों में मरा हुआ तो ना दिखाए.

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बरनाला के गांव बड़बर में करीब 4 एकड़ जमीन पर खेती करने वाले किसान गुरमुख सिंह के मुताबिक, कर्ज माफी के नाम पर किसानों से पंजाब में सिर्फ मजाक किया जा रहा है और स्थानीय को-ऑपरेटिव सोसाइटी की ओर से जो कर्ज माफी की पहली किसानों की लिस्ट बनाई गई थी उसमें उन्हें कागजों में मृत दिखा दिया गया है. जिसके बाद उन्होंने अपने जीवित होने के सबूत बैंक के सामने पेश किए और बड़ी मशक्कत के बाद अपना नाम दूसरी कर्ज माफी की लिस्ट में ऐड करवाया, लेकिन दूसरी लिस्ट में भी उन्हें एक बार फिर से मृत दिखा दिया गया है.

कर्ज माफी का लाभ अब तक नहीं मिल सका

गुरमुख सिंह के मुताबिक, उन पर करीब 46 हजार का कर्ज है और कहने को तो पंजाब सरकार कह रही है कि 5 एकड़ तक जमीन वाले किसानों का कर्जा माफ किया जा रहा है लेकिन हकीकत में सिफारिश होने के कारण गांव के उन किसानों का कर्जा भी माफ कर दिया गया है जो कि धनी और समृद्ध हैं.

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इसी गांव के किसान जरनैल सिंह ने बताया कि वो चार एकड़ जमीन पर खेती करते हैं और उनके सिर पर सहकारी सोसाइटी का 55 हजार रुपए का कर्ज है. जरनैल सिंह के मुताबिक, उनको भी कर्ज माफी के लिए तैयार किया गया और किसानों की लिस्ट में मृत दिखा दिया गया जिसके बाद वो अपने जीवित होने के कई सबूत सहकारी सोसाइटी को दे चुके हैं, लेकिन उसके बावजूद भी अगली लिस्ट में एक बार फिर उन्हें मृत बता दिया गया और उन्हें कर्ज माफी का लाभ अब तक नहीं मिल सका है.

इस पूरे मामले पर संबंधित अधिकारी एसडीएम बरनाला ने बताया कि कर्ज माफी की लिस्ट तैयार करने के दौरान किसानों को अपने आधार कार्ड जमा करवाने के लिए कहा गया था लेकिन जिन किसानों के आधार कार्ड जमा नहीं हुए उन्हें किसी तकनीकी कारण से लिस्ट में मृतक दिखा दिया गया और इस मामले में जांच की जा रही है और दोषी अधिकारियों को बख्शा नहीं जाएगा.

वहीं इस मामले पर पंजाब सरकार ने भी अपनी गलती को माना है और मुख्यमंत्री की तरफ से पंजाब सरकार के प्रवक्ता और पंजाब वेयरहाउसिंग कॉर्पोरेशन के चेयरमैन डॉक्टर राजकुमार वेरका ने भरोसा दिया कि इस मामले पर जांच की जा रही है और उन दोषी अधिकारियों के खिलाफ एक्शन लिया जाएगा जिन्होंने जीवित किसानों को कर्ज माफी की लिस्ट में मृत करार दे दिया.

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अकाली दल ने इस मामले को लेकर पंजाब सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि पंजाब में सरकारी सिस्टम पूरी तरह से सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह के हाथों से फिसल चुका है. उनके मंत्री उनकी बात नहीं मान रहे सरकारी अधिकारी इस तरह की गलतियां कर रहे हैं और कुल मिलाकर पंजाब में सरकार में कर्ज माफी पर किसानों के साथ मजाक चल रहा है.

पंजाब में पहले से ही किसान कर्ज माफी के नाम पर उनके साथ मजाक होने की बात कहते रहे हैं. साथ ही आरोप लगाते रहते हैं कि कर्ज माफी पर भी राजनीति का प्रभाव है और कांग्रेस पार्टी के साथ जुड़े किसानों को कर्ज माफी का ज्यादा फायदा दिया जाता है. ऐसे में अब जिस तरह से कर्ज माफी की लिस्ट में जीवित किसानों को मृत दिखा दिया गया तो उसके बाद किसानों का रोष और भी बढ़ गया है.

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