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राज्यपाल के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएगी पंजाब सरकार, CM भगवंत मान बोले- अब कोई बिल पेश नहीं करेंगे

पंजाब के राज्यपाल ने सीएम भगवंत मान को भेजे पत्र में कहा था कि यह सत्र राजभवन की अनुमति के बिना बुलाया जा रहा है और ऐसे में तीन वित्त विधेयकों को पेश करने की अनुमति नहीं दी जा सकती. इसको लेकर भगवंत मान ने राज्यपाल पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि हम 30 अक्टूबर को राज्यपाल के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जाएंगे.

पंजाब के सीएम भगवंत मान (फाइल फोटो) पंजाब के सीएम भगवंत मान (फाइल फोटो)
कमलजीत संधू
  • चंडीगढ़,
  • 20 अक्टूबर 2023,
  • अपडेटेड 3:57 PM IST

पंजाब विधानसभा के दो दिवसीय सत्र के पहले दिन जमकर हंगामा हुआ. इस दौरान सीएम भगवंत मान ने कहा कि राज्यपाल हमें सीधे तौर पर धमकी दे रहे हैं कि ये सत्र पूरी तरह से असंवैधानिक है. अगर ये सत्र किया गया तो हम इसकी शिकायत राष्ट्रपति को करेंगे. मान ने आरोप लगाया कि इससे पहले गवर्नर हमें 356 की धारा की धमकी दे चुके हैं. 

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उन्होंने कहा कि मैं नहीं चाहता कि रोज-रोज इस तरह हमारी राजभवन से कोई लड़ाई झगड़े हो. हम अब कोई भी बिल पेश नहीं करेंगे और 30 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में राज्यपाल के खिलाफ केस दायर करेंगे. इसके बाद दो दिवसीय सत्र को सर्वसम्मति से पहले दिन के आधे समय के बाद ही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया.

दरअसल, पंजाब के राज्यपाल ने सीएम भगवंत मान को भेजे पत्र में कहा था कि यह सत्र राजभवन की अनुमति के बिना बुलाया जा रहा है और ऐसे में तीन वित्त विधेयकों को पेश करने की अनुमति नहीं दी जा सकती. इतना ही नहीं, राज्यपाल ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर अवैध विधानसभा सत्र बुलाया गया तो वह इसकी रिपोर्ट राष्ट्रपति को भेजेंगे और उचित कार्रवाई पर विचार करने के लिए मजबूर होंगे. इसको लेकर पंजाब की आम आदमी पार्टी सरकार में रोष है.

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सीएम ने राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित के सत्र को अवैध करार दिए जाने पर कहा कि बड़े अफसोस कि बात है कि पंजाब सरकार की ओर से लाए जाने वाले विधेयकों को पास नहीं किया जाएगा. हमसे सवाल किया गया कि इतना कर्ज क्यों लिया, उसका हम जवाब दे चुके हैं. हमारे लिए बदकिस्मती की बात है कि हमें कर्ज विरासत में मिला है. पिछली सरकारों ने इतने कर्ज लिए लेकिन कभी उनसे गवर्नर ने सवाल नहीं किया. 

उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार ने बजट सेशन बुलाया. पहले राज्यपाल ने उसकी हामी भरी. अगले दिन उसे कैंसिल कर दिया. इसके बाद हमें उसकी परवानगी के लिए सुप्रीम कोर्ट जाना पड़ा. जहां सिर्फ 3 मिनट की जिरह हुई और उस तीन मिनट के लिए हमें 25 लाख रुपये खर्च करने पड़े. इसका बोझ पंजाब पर पड़ा और फिर भी हमसे कहा जा रहा है कि इतने इतना कर्ज क्यों लिया जा रहा है.
 

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