Advertisement

16 साल की मुस्लिम लड़की अपनी मर्जी से कर सकती है शादी, पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट का फैसला

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने एक मामले पर सुनवाई करते हुए कहा कि 16 साल से अधिक उम्र की मुस्लिम लड़की अपनी पसंद के लड़के से शादी कर सकती है. साथ ही हाईकोर्ट ने पुलिस को आदेश दिया कि 16 साल की लड़की को पति के साथ रहने के लिए जरूरी सुरक्षा मुहैया कराई जाए.

सांकेतिक तस्वीर. सांकेतिक तस्वीर.
संजय शर्मा
  • चंडीगढ़,
  • 20 जून 2022,
  • अपडेटेड 10:53 AM IST
  • 16 साल की उम्र में मुस्लिम लड़की की शादी पर फैसला
  • पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने सुनाया फैसला

शादी की उम्र समान करने की मांग वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट में लंबित है. लेकिन इसी बीच पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट की एकल जज पीठ का फैसला आया है, जिसके मुताबिक मुस्लिम लड़की 16 साल की उम्र होने पर अपनी मर्जी से शादी कर सकती है. इसके पीछे कोर्ट ने इस्लामिक कानून का हवाला दिया है, जिसमें लड़का लड़की में किशोरावस्था में यौन लक्षण उभरने के साथ ही उनको वयस्क मन लिया जाता है.

Advertisement

हाईकोर्ट ने कहा कि मुस्लिमों का निकाह मुस्लिम पर्सनल लॉ के अधीन होता है. इसके तहत कोई भी व्यक्ति जो यौन परिपक्वता प्राप्त कर लेता है, वह शादी के योग्य माना जाता है. साथ ही यह भी स्पष्टीकरण है कि यदि सुबूत मौजूद नहीं है तो 15 वर्ष की आयु को शादी योग्य माना जाता है. हाईकोर्ट ने कहा कि देश के हर एक नागरिक को जीवन और स्वतंत्रता की रक्षा का अधिकार है.

दरअसल, घर वालों की मर्जी के बिना निकाह करने वाले मुस्लिम जोड़े ने अपनी सुरक्षा को लेकर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में अर्जी लगाई थी. उसी अर्जी को मंजूर करते हुए हाईकोर्ट के जस्टिस जसजीत सिंह बेदी ने पठानकोट के एसएसपी को 16 वर्षीय लड़की को पति के साथ रहने के लिए जरूरी सुरक्षा मुहैया कराने का आदेश दिया है.

Advertisement

दंपति ने याचिका में बताया कि उन्होंने 8 जून को इस्लामिक रीति से निकाह किया. लेकिन दोनों के घरवाले उनकी जान के पीछे पड़े हैं. लिहाजा जान बचाकर वो हाईकोर्ट की शरण में आए हैं. जस्टिस बेदी ने अपने फैसले में मुस्लिम पर्सनल लॉ पर लिखी दिनशाह फरदून जी मुल्ला की किताब का हवाला देते हुए कहा कि दंपति का निकाह जायज है.

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement