Advertisement

नए कृषि कानून की इस खामी के चलते पंजाब के किसानों और आढ़तियों में फिर उबाल!

किसानों को जब भी खाद, बीज, कीटनाशक या फिर दूसरी वस्तुओं की खरीददारी करनी होती है तो वह आढ़तियों से तुरंत कर्जा लेकर अपना काम चला लेते हैं. लेकिन अब इस कानून में आढ़तियों की भूमिका खत्म हो जाने से किसानों को कर्ज लेने में दिक्कत आ रही है.

किसानों में आक्रोश (फाइल फोटो) किसानों में आक्रोश (फाइल फोटो)
मनजीत सहगल
  • चंडीगढ़,
  • 21 दिसंबर 2020,
  • अपडेटेड 8:02 AM IST
  • आयकर विभाग के छापों से नाराज है आढ़तिए
  • किया 4 दिन तक दाना मंडियां बंद करने का ऐलान
  • कैप्टन बोले- आढ़तियों पर भड़ास निकाल रहा केंद्र

जैसे-जैसे किसान आंदोलन जोर पकड़ रहा है वैसे-वैसे केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों में खामियां सामने लाना भी तेज होता जा रहा है. अब फार्मर प्रोड्यूस ट्रेड एंड कमर्स (प्रमोशन एंड फैसिलिटेशन) कानून की एक बड़ी खामी सामने आई है. इस कानून में APMC (एग्रीकल्चर प्रोड्यूस मार्केट कमेटी) व्यवस्था से आढ़तियों यानी बिचौलियों की भूमिका खत्म करने का प्रावधान है.

Advertisement

लेकिन आढ़तियों की भूमिका खत्म कर देने से किसानों के सामने लिक्विडिटी यानी वित्तीय तरलता की समस्या आ गई है. आढ़तिया समुदाय कई दशकों से किसानों को कर्ज मुहैया करवाता रहा है. हालांकि आढ़तियों पर किसानों के शोषण और मोटा ब्याज वसूलने के आरोप भी लगते आए हैं लेकिन इसके बावजूद किसान वित्तीय सहायता के लिए आढ़तियों पर ही निर्भर रहते हैं.

किसानों को जब भी खाद, बीज, कीटनाशक या फिर दूसरी वस्तुओं की खरीददारी करनी होती है तो वह आढ़तियों से तुरंत कर्जा लेकर अपना काम चला लेते हैं. लेकिन अब इस कानून में आढ़तियों की भूमिका खत्म हो जाने से किसानों को कर्ज लेने में दिक्कत आ रही है.

देखें: आजतक LIVE TV

कई किसानों ने ‘आजतक’ को बताया कि इस कानून के अस्तित्व में आने के बाद अब आढ़तिए भी कर्जा देने में आनाकानी कर रहे हैं. कर्ज देने में सरकारी बैंकों की हिचक किसी से छिपी नहीं है.

Advertisement

दरअसल, सरकार ने फार्मर्स प्रोड्यूसर ट्रेड एंड कॉमर्स (प्रमोशन एंड फैसिलिटेशन ) कानून में आढ़तियों की भूमिका तो खत्म कर दी लेकिन किसानों की तरलता की समस्या का कोई समाधान नहीं सुझाया.

कृषि जानकारों का भी मानना है कि आढ़तियों को जिस तरह मीडिया या फिर फिल्मों में दर्शाया जाता है वह सही नहीं है.

कृषि मामलों के जानकार देविंदर शर्मा का मानना है कि अगर छोटे आढ़तिए शोषण करते हैं तो सूट-बूट और टाई पहनने वाले बड़े आढ़तिए शोषण नहीं करेंगे, इसकी कोई गारंटी नहीं है. उनका मानना है कि अगर किसानों का शोषण हुआ भी है तो उसके लिए एपीएमसी को और पारदर्शक बनाया जाना चाहिए.

कृषि नीति के माहिर डॉ प्रमोद कुमार का भी मानना है कि अगर बिचौलियों की भूमिका खत्म करनी है तो किसानों को आसान ऋण की सुविधा मिलनी चाहिए क्योंकि बैंक अक्सर कर्जा देने में आनाकानी करते हैं.

आढ़तियों पर आयकर विभाग के छापों से समुदाय नाराज 

आढ़तियों पर आरोप है कि वे फार्मर प्रोड्यूसर ट्रेड एंड कमर्स (प्रमोशन एंड फैसिलिटेशन) कानून को रद्द करवाने के लिए किसान संगठनों को पैसा मुहैया करवा रहे है. इन्हीं आरोपों के चलते अब आयकर विभाग ने कई आढ़तियों के यहां पर छापेमारी तेज कर दी है।

फेडरेशन ऑफ आढ़तिया एसोसिएशन ऑफ पंजाब ने आयकर विभाग के छापों से नाराज होकर चार दिनों तक दाना मंडियां बंद रखने का फैसला किया है. फेडरेशन के अध्यक्ष विजय कालरा ने कहा कि आयकर विभाग उनको सिर्फ इसलिए निशाना बना रहा है क्योंकि वह किसानों की मदद कर रहे हैं.

Advertisement

कालरा ने कहा कि उन्होंने 12 दिसंबर को सिंघु बॉर्डर पर किसानों के समर्थन में भाषण दिया और 15 दिसंबर को उनको आयकर विभाग का नोटिस थमा दिया गया. 16 दिसंबर को उनसे 6 घंटे लगातार पूछताछ की गई और अब उनको 21 दिसंबर को सारा रिकॉर्ड लेकर हाजिर होने के आदेश दिए गए हैं.

फेडरेशन ऑफ आढ़तिया एसोसिएशन ऑफ पंजाब ने साफ साफ कहा है कि पंजाब में कहीं भी जब आयकर विभाग का छापा पड़ेगा तो आढ़तिया समुदाय आयकर अधिकारियों का घेराव करेगा. उधर, पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने आयकर विभाग के छापों की टाइमिंग पर सवाल खड़े करते हुए बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर कटाक्ष किया है. कैप्टन ने कहा कि बीजेपी सरकार किसान आंदोलन को ठंडा करने में नाकाम रही तो अब आढ़तियों पर भड़ास निकाल रही है.

ये भी पढ़ें

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement