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रिटायर्ड भारतीय राजनयिक विवेक काटजू के हालिया खुलासे के मुताबिक, कनाडा जम्मू-कश्मीर में तैनात सशस्त्र बलों के वीजा को खारिज कर रहा है. काटजू के इस खुलासे ने पंजाब पुलिस के अधिकारियों को भी प्रकाश में ला दिया है जिनके कई शीर्ष अधिकारियों को वीजा नहीं मिल रहा है. ऐसा विशेष रूप से उन लोगों के साथ हो रहा है जिन्होंने आतंकवाद विरोधी अभियानों में काम किया है. पंजाब पुलिस के एक एआईजी कनाडा के वीजा के लिए एक साल से इंतजार कर रहे हैं. उन्होंने और उनके परिवार ने इसके लिए आवेदन किया था. लेकिन एक साल से अधिक समय हो गया, अधिकारियों की ओर से कोई बयान नहीं आया.
नाम न छापने की शर्त पर बोलते हुए रिटायर्ड अधिकारी कहते हैं, 'सेना, अर्धसैनिक बल और पंजाब पुलिस आतंक से लड़ने में सबसे आगे रहे हैं. लेकिन कनाडा ने अन्याय किया है. व्यक्तियों को अलग करने में. मैं अपने नाम का खुलासा नहीं करना चाहता, अपने परिवार का नाम बता रहा हूं कनाडा में ख़तरा है, क्योंकि वहां कई खालिस्तानी समूह सक्रिय हैं.
एक अन्य अधिकारी जो पंजाब पुलिस इंटेलिजेंस विंग का हिस्सा रहे हैं, उन्होंने कहा कि यह विडंबना है कि गैंगस्टरों और खालसीतानी चरमपंथियों को कनाडा में खुली छूट है. लेकिन जिन लोगों ने कानून प्रवर्तन एजेंसियों में काम किया है उन्हें बाधाओं का सामना करना पड़ता है.
आगे बोलते हुए, अधिकारी कहते हैं, 'मैं अकेला नहीं हूं, ऐसे कई अन्य लोग हैं जिनका वीजा के लिए इंतजार कभी खत्म नहीं होता है. पंजाब पुलिस के एक पूर्व महानिरीक्षक जो 2022 में रिटायर हुए वे एक साल से वीजा के लिए इंतजार कर रहे हैं.
उन्होंने कहा, 'वह और उनकी पत्नी एक साल से इंतजार कर रहे हैं. वह प्रेस के पास नहीं जाना चाहते. अधिकारियों ने स्वीकार किया कि कनाडा वीजा आवेदन मांगते समय मांग करता है कि इन सुरक्षा कर्मियों को कनाडाई लोगों को उन स्थानों के बारे में सूचित करना चाहिए जहां उन्होंने सेवा की है.
तेजिंदर सिंह ढिल्लों, जो 2010 में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल से आईजी-पुलिस के पद से रिटायर हुए, उनको 2010 में कनाडा के आव्रजन और शरणार्थी संरक्षण अधिनियम की एक उपधारा के तहत अयोग्य घोषित कर दिया गया था. लुधियाना से फोन पर बात करते हुए ढिल्लों ने कनाडा सरकार पर निशाना साधा.
एक सम्मानित अधिकारी और कॉमन वेल्थ शूटिंग कोच ने कहा कि वह 30 से अधिक वर्षों से कनाडा की यात्रा कर रहे हैं, जिसमें कई बार सीआरपीएफ के एक सेवारत अधिकारी के रूप में यात्रा भी शामिल है. भारत में जारी कनाडाई वीजा के साथ जो 2024 तक वैध था.
उन्होंने कहा कि मैंने वैंकूवर में अधिकारियों से कहा कि वर्दी में सेवा करने वाले सभी लोग मानवाधिकार उल्लंघनकर्ता नहीं हैं. इसका कोई सबूत नहीं है. फिर उन्होंने उनसे कार्यकाल के बारे में पूछा.
पूर्व राजदूत विवेक काटजू ने कहा कि कनाडा नियमित रूप से हमारे सुरक्षा बलों के उन सदस्यों को वीजा देने से इनकार करता है जिन्होंने जम्मू-कश्मीर में सेवा की है. कनाडा ने हमारी सेवाओं के सदस्यों को भी वीजा देने से इनकार कर दिया है, जिसके बारे में हम बात नहीं करते हैं और मैं भी बात नहीं करना चाहता हूं, जिसमें बहुत वरिष्ठ लोग भी शामिल हैं जिन्होंने इन सेवाओं में काम किया है. विवेक काटजू ने इंडिया टुडे टीवी के दौरान ये खुलासे किए.