Advertisement

दिल्ली चुनाव से किनारा, पंजाब में CAA का विरोध, क्या है अकाली दल की मंशा?

केंद्र में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की सहयोगी पार्टी अकाली दल ने दिल्ली में विधानसभा चुनाव लड़ने से किनारा कर लिया है. सहयोगी होने के बाद भी पंजाब में अकाली दल नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) का विरोध कर रहा है. लोकसभा में इस कानून पर अकाली दल ने चुप्पी साधी थी और अब पंजाब में विरोध. क्या है अकाली दल के बदले रुख की वजह?

पीएम नरेंद्र मोदी के साथ शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल (फोटो: Getty Images) पीएम नरेंद्र मोदी के साथ शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल (फोटो: Getty Images)
मनजीत सहगल
  • चंडीगढ़,
  • 23 जनवरी 2020,
  • अपडेटेड 7:44 AM IST

  • अकाली दल को मुस्लिम वोट छिटकने का डर
  • कांग्रेस ने अकाली दल को दी एनडीए छोड़ने की चुनौती
  • AAP का दावा- पंजाब में BJP-अकाली गठबंधन टूटा
लोकसभा में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) पर चुप्पी साधने के बाद पंजाब में इस कानून का विरोध करके शिरोमणि अकाली दल दरअसल एक राजनीतिक चक्रव्यूह में फंस गया है. भारतीय जनता पार्टी(बीजेपी) से अलग जाकर एक तरफ जहां अकाली दल को केंद्रीय मंत्रिमंडल में मिले प्रतिनिधित्व को खोने का डर है, वहीं दूसरी ओर पंजाब में अपने परंपरागत वोट बैंक में सेंध लगने का भी डर पार्टी को सता रहा है.

दरअसल पंजाब में नागरिकता संशोधन कानून का विरोध करना अकाली दल की एक बड़ी राजनीतिक मजबूरी है. अकाली दल से टूटकर बना अकाली दल टकसाली नागरिकता संशोधन कानून को लेकर मुस्लिम समुदाय से करीबियों को जता रहा था. अकाली दल के नेताओं को डर है कि अगर उन्होंने पंजाब में सीएए का विरोध नहीं किया तो उसका बड़ा फायदा अकाली दल टकसाली को होगा. अगर ऐसा हुआ तो पार्टी अपने परंपरागत मुस्लिम वोट बैंक से हाथ धो बैठेगी.

Advertisement

अकाली दल के वरिष्ठ नेता डॉ दलजीत सिंह चीमा ने 'आज तक' से हुई खास बातचीत में कहा कि उन्होंने नागरिकता संशोधन कानून का स्वागत किया था क्योंकि इससे अफगानिस्तान और पाकिस्तान में प्रताड़ित सिख समुदाय सहित दूसरे अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को नागरिकता हासिल होगी. वे चाहते हैं कि इसमें मुस्लिम समुदाय को भी शामिल किया जाए.

बीजेपी ने रुख बदलने की दी थी नसीहत

वहीं भारतीय जनता पार्टी ने अकाली दल को नागरिकता संशोधन कानून को लेकर अपना स्टैंड बदलने को कहा था. उधर पंजाब में सत्ताधारी दल कांग्रेस ने अब अकाली दल को चुनौती दी है कि यदि वह सचमुच मुस्लिम समुदाय के प्रति चिंतित है तो राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंध (एनडीए) से नाता तोड़कर दिखाए.

कांग्रेस ने CAA विरोध को बताया दिखावा

पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने एक बयान में कहा था कि पहले अकाली दल ने संसद में नागरिकता संशोधन कानून का खुलेआम समर्थन किया. बाद में राजनीतिक कारणों से उसका विरोध कर दिया. उन्होंने कहा कि अकाली दल के नेता सिखों के हिमायती बनने का सिर्फ दंभ भर रहे हैं, जबकि इस कानून को लेकर उनका विरोध महज दिखावा है.

Advertisement

अकाली दल है डूबता 'जहाज'

एक अन्य कांग्रेस नेता जगपाल सिंह अबुलखुराना ने कहा की अकाली दल और भारतीय जनता पार्टी के बीच बढ़ती दूरियां इस बात का सबूत है कि लोगों द्वारा बुरी तरह नकार दिए जाने के बाद अब दोनों पार्टियां पंजाब में अपना वजूद तलाशने पर मजबूर हैं. पंजाब की प्रमुख विपक्षी पार्टी आम आदमी पार्टी(AAP) के वरिष्ठ नेता अमन अरोड़ा ने अकाली दल को एक डूबता जहाज करार दिया और कहा कि अकाली दल पंजाब में अपना वजूद खो चुका है इसलिए भारतीय जनता पार्टी अकाली दल से किनारा कर रही है.

दरअसल दिल्ली विधानसभा चुनाव न लड़ने के फैसले का चुनाव परिणामों पर उतना ज्यादा असर नहीं होगा जितना कि पंजाब में बीजेपी और अकाली दल के दशकों पुराने संबंधों पर होगा. देखना दिलचस्प होगा कि क्या दोनों पार्टियां राजनीतिक रंजिश भुलाकर पंजाब में अपना गठबंधन जारी रखती है या फिर अपने अलग रास्ते चुनती हैं.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement