
तलवारें चमकाते, बंदूकें लहराते, लाठियां भांजते और शोर मचाते खालिस्तान समर्थक संगठन ने अमृतसर में गुरुवार को एक थाने पर हमला बोल दिया. ये हमला इसलिए था, क्योंकि पुलिस ने खालिस्तान समर्थिक अमृतपाल सिंह के करीबी को गिरफ्तार किया था. अपने करीबी को छुड़ाने पहुंचे अमृतपाल के लोगों ने जमकर बवाल काटा. इस दौरान खालिस्तान समर्थित संगठन 'वारिस पंजाब दे' के लोग थाने पर टूट पड़े और पुलिस की गाड़ियां तोड़ने लगे. इस दौरान उन्होंने पुलिस पर भी हमला किया. जिसके बाद पुलिसकर्मी जैसे-तैसे जान बचाकर भागे.
पंजाब में 15 दिनों के भीतर ये दूसरी ऐसी घटना है. जहां खालिस्तान समर्थित लोगों ने पुलिस पर हमला किया गया है. खालिस्तानी तत्वों ने खुले तौर पर पुलिस प्रशासन को धमकी तक दी है. दिलचस्प बात यह है कि पुलिस ने दोनों मामलों में बल का प्रयोग नहीं किया. जिसके बाद चर्चा है कि पुलिस पर राजनीतिक दबाव रहा, ऐसे में पुलिस कोई ठोस एक्शन नहीं सकी. वहीं इन मामलों पर सत्ताधारी पार्टी की तरफ से भी कोई ठोस प्रतिक्रिया सामने नहीं है. गुरुवार को हुई इस घटना के बाद ऐसा लगता है कि पुलिस भी बैकफुट पर आ गई है. कारण, पंजाब पुलिस का कहना है कि अमृतपाल सिंह ने इस मामले में जो सबूत दिए हैं, उससे ऐसा लगता है कि पकड़ा गया आरोपी लवप्रीत मामले में शामिल नहीं था.
पहली घटना मोहाली में 8 फरवरी 2023 को हुई थी. जिसमें 33 पुलिस घायल हो गए थे. तब खलिस्तानी तत्वों ने पुलिस से एक आंसू गैस हैंडगन, गोला-बारूद छीन लिया था और पुलिसकर्मियों को मारने की कोशिश की थी. हमलावरों में कट्टरपंथी नाबालिग लड़के भी शामिल थे. इस दौरान ये लोग खालिस्तान जिंदाबाद के नारे लगा रहे थे. इस दौरान भी पुलिस हिरासत से आरोपियों को छोड़ाने के लिए एक संगठन के लोगों ने पुलिस टीम पर हमला किया था.
दूसरी घटना अजनाला में गुरुवार 23 फरवरी को हुई. जहां खालिस्तान समर्थिक अमृतपाल सिंह के करीबी लवप्रीत सिंह उर्फ तूफान सिंह को छुड़ाने के लिए लोगों ने थाने पर धावा बोल दिया. इस दौरान पुलिसकर्मियों से मारपीट भी हुई, जिसमें 6 पुलिसकर्मी गंभीर रूप से घायल हो गए. इतना ही नहीं, अमृतपाल अपने करीबी को थाने से लेकर भी चला गया. इन दोनों घटनाओं के बाद ये बात तो साफ है कि खालिस्तानी गुटों पर नरमी दिखाने से ही उनके साहस को बढ़ावा मिल रहा है. इतना ही नहीं, अगर इन पर पंजाब सरकार ने सख्ती नहीं दिखाई तो भविष्य में ये इसी तरह खुलेआम कानून को अपने हाथों में लेंगे.
विदेशी फंडिंग खालिस्तानी आंदोलन को दे रही बढ़ावा?
सूत्रों की मानें तो अमृतपाल सिंह और अन्य लोगों के खिलाफ मामला दर्ज नहीं करने को लेकर पुलिस पर दबाव बनाया गया. साथ ही विदेशी फंडिंग राज्य में खालिस्तानी आंदोलन को बढ़ावा दे रही है. अलगाववादी और अन्य संगठनों को विदेशों से मिल रही फंडिंग से इस तरह की घटनाओं को बढ़ावा मिल रहा है. कम से कम आठ देशों में खालिस्तानी सहानुभूति रखने वाले लोग भारत और भारतीय संविधान के खिलाफ षड्यंत्र रच रहे हैं. वहीं पंजाब में कट्टरपंथी खलिस्तानी तत्वों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है.
दोनों घटनाओं में दी खुली धमकी
इन दोनों घटनाओं में एक समानता है. जिसमें खालिस्तानी तत्वों ने पुलिस और सरकार को खुले तौर पर धमकी दी है. लेकिन इस पर भी पुलिस निष्क्रिय नजर आ रही है. चाहे मोहाली की बात करें या फिर अजनाला की, पुलिस के पास असामाजिक तत्वों के खिलाफ बल प्रयोग करने के लिए ऊपर से आदेश तक नहीं थे. यही कारण है कि खालिस्तानियों द्वारा खुले तौर पर चुनौती देने के बावजूद प्रशासन ने उन्हें गिरफ्तार करने की तक हिम्मत नहीं की.
खालिस्तान की आग में फिर तप रहा पंजाब?
आज पंजाब खालिस्तानी की आग में कैसे तप रहा है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि हाल ही में दिल्ली में अलग-अलग राज्यों की पुलिस का एक सम्मेलन हुआ था. जिसमें पंजाब के DGP ने ये बताया था कि वर्ष 2015 के बाद से पंजाब में खालिस्तानी गतिविधियां कई गुना बढ़ गई हैं और इसके पीछे पाकिस्तान मुख्य तौर पर शामिल है. वहीं वर्ष 2021 में पंजाब पुलिस ने ऐसे 3 हज़ार 988 लोगों की पहचान की थी, जो सोशल मीडिया के ज़रिए पंजाब के नौजवानों को खालिस्तान बनाने के लिए भड़का रहे थे.
अमृतपाल के करीबी को पुलिस ने क्यों पकड़ा था?
कुछ दिनों पहले वरिंदर सिंह नाम के एक युवक ने अमृतपाल सिंह के खिलाफ सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर किया था. जिसमें उसने अमृतपाल पर सिखों को गुमराह करने का आरोप लगाया था. इस युवक का आरोप है कि उसकी इस बात से नाराज होकर अमृतपाल सिंह और उसके साथियों ने उसका 15 फरवरी को अपहरण कर लिया था और उसकी जमकर पिटाई की थी. इस मामले में युवक की शिकायत के बाद पुलिस ने अमृतपाल सिंह और लवप्रीत तूफान समेत 6 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया था. इसी मामले में लवप्रीत
तूफान को पुलिस ने गिरफ्तार किया था.
कौन है अमृतपाल सिंह?
बता दें कि खालिस्तानी समर्थक अमृतपाल सिंह अलग सिख राज्य की मांग करता है और उसको लेकर भड़कीले बयान भी देता है. जरनैल सिंह भिंडरावाले की तरह पोशाक पहनने वाला अमृतपाल सिंह पिछले कुछ सालों से सिखों से जुड़े मुद्दों पर बयान देता रहा है. इसके अलावा वह पंजाब के गांवों में जाकर आजादी और सिख धर्म से जुड़ी चीजों पर लोगों से बातें करता है. आरोप है कि वो लोगों को खालिस्तान के नाम पर भड़का रहा है. अमृतपाल सिंह ने गृहमंत्री अमित शाह को भी धमकी दी है. अमृतपाल पिछले 6 साल से दुबई में था और पिछले साल ही सितम्बर के महीने में भारत आया है. इसे हाल ही में 'वारिस पंजाब दे' नाम के एक संगठन का प्रमुख बनाया गया है, जिसकी नींव दीप सिद्धू नाम के व्यक्ति ने रखी थी. दीप सिद्ध वही व्यक्ति है, जिसने 26 जनवरी 2021 को लाल किले पर खालसा पंथ का झंडा फहराया था. इसके एक साल बाद 15 फरवरी 2022 को उसकी एक सड़क हादसे में मौत हो गई थी.